#NewsBytesExplainer: रूस-यूक्रेन युद्ध के 2 साल पूरे, कितना हुआ नुकसान और कितने बदले हालात?
यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध को 2 साल पूरे हो गए हैं। 24 फरवरी, 2022 को ही रूस ने आधिकारिक तौर पर यूक्रेन पर हमला शुरू किया था। तब राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे सैन्य कार्रवाई बताया था, जो अब तक जारी है। दोनों देशों के लाखों लोग बीते 2 सालों से युद्ध की यातना झेल रहे हैं। आइए जानते हैं कि 2 सालों में युद्ध से कितना नुकसान हुआ है।
क्यों शुरू हुआ था युद्ध?
रूस और यूक्रेन के बीच तनाव नया नहीं है। साल 2014 में रूस ने यूक्रेन के द्वीप क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था। इसी के बाद से दोनों देशों के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई थी। इसकी एक बड़ी वजह यूक्रेन का पश्चिम की ओर झुकाव और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) में शामिल होने की चाहत है। रूस को डर है कि अगर यूक्रेन NATO में शामिल हो गया तो उसकी मुसीबतें बढ़ सकती हैं।
1.4 करोड़ से ज्यादा यूक्रेनी बेघर
युद्ध में यूक्रेन के 10,000 आम नागरिकों की मौत हुई है, जबकि 18,500 लोग घायल हुए हैं। 30,000 से ज्यादा यूक्रेनी अभी भी लापता हैं। ये या तो मारे गए हैं या रूस द्वारा बंधक बना लिए गए हैं। यूक्रेन के 1.76 करोड़ लोग राहत सामग्री के भरोसे रह रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र (UN) का कहना है कि 1.4 करोड़ लोग युद्ध की वजह से विस्थापित हुए हैं। ये यूक्रेन की कुल आबादी का लगभग एक-तिहाई है।
5 लाख से ज्यादा सैनिकों की मौत
2 साल में दोनों पक्षों के 5 लाख से भी ज्यादा सैनिकों की मौत हो गई है। हालांकि, दोनों देश हताहतों के अलग-अलग आंकड़े बताते हैं, लेकिन कई अनुमानों में इनकी संख्या 5 लाख से भी ज्यादा आंकी गई हैं। अमेरिका का कहना है कि अब तक 3.15 लाख रूस के सैनिकों की मौत हुई है। हालात ये हैं कि दोनों ही देश सैनिकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं।
यूक्रेन ने 18 प्रतिशत जमीन गंवाई
अब तक रूस ने यूक्रेन की 18 प्रतिशत जमीन पर कब्जा कर लिया है। यूक्रेन के 6 बड़े शहर- सेवेरोडोनेट्स्क, डोनेट्स्क, लुहांस्क, जपोरिजिया, मारियुपोल और मेलिटोपोल आंशिक या पूर्ण रूप से रूस के कब्जे में हैं। हाल ही में यूक्रेन के सैनिक अवदिवका शहर से भी पीछे हट गए हैं। अब ये शहर भी रूस के कब्जे में आ गया है। रूस ने मोटे तौर पर काला सागर के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा कर लिया है।
दोनों देशों की सेनाओं को भयंकर नुकसान
यूक्रेन का दावा है कि युद्ध के दौरान रूस की नौसेना का 33 प्रतिशत हिस्सा खत्म हो चुका है। रूस के 3 युद्धपोत तबाह हो गए हैं और करीब 24 दूसरे जहाज भी इस्तेमाल के लायक नहीं बचे हैं। यूक्रेन युद्ध से पुतिन की उन कोशिशों को भी झटका लगा है, जिसके तहत वे अपनी सेना को आधुनिक बनाना चाहते थे। यूक्रेन के भी हथियार लगभग पूरी तरह खत्म हो गए हैं और वो पश्चिमी देशों पर निर्भर है।
प्रतिबंधों के बावजूद रूस की अर्थव्यवस्था खुशहाल
युद्ध के पहले ही साल यूक्रेन के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 30 प्रतिशत की गिरावट आई थी। विश्व बैंक का कहना है कि यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने के लिए 500 बिलियन डॉलर की आवश्यकता होगी। दूसरी ओर, प्रतिबंधों के बावजूद रूस की अर्थव्यवस्था ने बेहतर प्रदर्शन किया है। 2023 में रूसी अर्थव्यवस्था अमेरिका से भी आगे निकलते हुए 3.6 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। 2024 में भी इसके बेहतर रहने के अनुमान हैं।
आगे क्या होगा?
रूस-यूक्रेन युद्ध के निकट भविष्य में रुकने की संभावनाएं नहीं दिखाई देती हैं। विश्लेषकों का मानना है कि केवल समझौता ही युद्ध को खत्म करवा सकता है, लेकिन दोनों ही देश इस पर राजी नहीं दिख रहे हैं। यूरोपियन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस का एक सर्वे कहता है कि अधिकांश यूरोपीय लोग रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन का समर्थन करते हैं, लेकिन 10 में से सिर्फ एक को लगता है कि यूक्रेन जीत सकता है।
युद्ध को लेकर क्या है देशों का रुख?
युद्ध में ज्यादातर पश्चिमी देश यूक्रेन के समर्थन में खड़े दिखाई देते हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के कई देश तो यूक्रेन को करोड़ों डॉलर की सैन्य सहायता भी दे रहे हैं। हालांकि, कई आलोचक पश्चिम पर यूक्रेन को बढ़ा-चढ़ाकर युद्ध में धकेलने के आरोप लगाते हैं। दूसरी ओर, चीन मोटे तौर पर रूस का समर्थन कर रहा है। बीच में सऊदी अरब समेत कुछ देशों ने बातचीत का प्रस्ताव भी रखा था, जिस पर सहमति नहीं बन सकी।