दुनिया-जहां: आजादी के बाद रूस के साथ कैसे बढ़ता गया यूक्रेन का तनाव?
यूक्रेन में जारी युद्ध को एक हफ्ते से अधिक का समय हो गया है। यूक्रेन का नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) और यूरोपीय संघ (EU) की तरफ झुकाव रूस को पसंद नहीं आ रहा और उसने 24 फरवरी को युद्ध की शुरुआत कर दी थी। NATO की तरफ झुकाव को चलते पहले भी रूस और यूक्रेन आमने-सामने आए थे। आइये आज दुनिया-जहां में यूक्रेन की आजादी के बाद रूस के साथ उसके टकराव की अहम घटनाओं को समझते हैं।
1991 में सोवियत संघ से अलग हुआ था यूक्रेन
पिछले अंक में हमने बताया था कि यूक्रेन का इतिहास कहां से शुरू हुआ और वह सफर कैसे 1991 में आजादी तक पहुंचा। आज 1991 से आगे की बात करते हैं। दरअसल, 1991 में सोवियत संघ से अलग होकर यूक्रेन एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया था। जनमत संग्रह और राष्ट्रपति चुनाव में यहां के लोगों ने लियोनिड क्रावचुक को अपना नेता चुना। 1994 में हुए चुनावों में क्रावचुक को लियोनिड कुचमा के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
2004 में हुए बड़े स्तर पर प्रदर्शन
1999 में कुचमा एक बार फिर राष्ट्रपति चुने गए, लेकिन इन चुनावों के दौरान धांधलियों के आरोप लगे। ऐसे ही आरोप 2004 के चुनावों के दौरान लगे, जब रूस के समर्थक माने जाने वाले विक्टर यानुकोविच राष्ट्रपति चुने गए थे। चुनावों में हेरफेर को लेकर यूक्रेन के लोगों ने बड़ा प्रदर्शन किया था, जिसे 'ऑरेंज रिवॉल्यूशन' के नाम से जाना जाता है। प्रदर्शनकारियों की मांग के आगे झुकते हुए यहां दोबारा चुनाव कराए गए।
2008 में NATO ने किया यूक्रेन को अपना सदस्य बनाने का वादा
दोबारा हुए चुनावों में पूर्व प्रधानमंत्री और पश्चिम की तरफ झुकाव रखने वाले विक्टर युशचेंको राष्ट्रपति चुने गए। 2005 में उन्होंने यूक्रेन को रूस की छाया से दूर और NATO और EU के करीब ले जाने के वादे के साथ सत्ता संभाली। 2008 में यूक्रेन ने NATO की सदस्यता के लिए आवेदन किया था। हालांकि, आगे चलकर यह प्रक्रिया रोक दी गई। उस समय NATO ने भी यूक्रेन को सदस्यता देने का वादा किया था।
2010 में युनाकोविच ने दोबारा जीता चुनाव
अब आता है साल 2010। इस साल युनाकोविच दोबारा चुनाव जीत गए। उनके सत्ता में आने के बाद यूक्रेन ने काला सागर तट पर रूसी नौसेना की लीज बढ़ाने के बदले गैस का समझौता किया था। रूस समर्थक माने जाने वाले युनाकोविच ने नवंबर, 2013 में EU के साथ व्यापार और बातचीत रोक दी और मॉस्को के साथ व्यापारिक रिश्ते मजबूत करने लगे। इसके विरोध में यूक्रेन की राजधानी कीव में लोगों ने बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया था।
2014 में रूस ने क्राइमिया पर किया कब्जा
2014 आते-आते यह प्रदर्शन हिंसक हो गया और दर्जनों प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। फरवरी, 2014 में यूक्रेन की संसद ने युनाकोविच को हटाने का प्रस्ताव पारित किया और वो देश छोड़कर भाग गए। इसके कुछ ही दिन बाद हथियारबंद लोगों ने क्राइमिया में संसद की इमारत पर कब्जा किया और रूस का झंडा लहरा दिया। 16 मार्च, 2014 को जनमत संग्रह के जरिये रूस ने क्राइमिया को यूक्रेन से अलग कर दिया।
डोनबास में 2014 से जारी है हिंसा
क्राइमिया के अलग होते ही डोनबास इलाके के रूस समर्थित अलगाववादियों ने आजादी का ऐलान कर दिया। इसके बाद शुरू हुई लड़ाई लगातार चलती रही। अब रूस ने इस इलाके में स्थित लुहांस्क और दोनेत्सक को स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर मान्यता दे दी है।
2017 में यूक्रेन और EU के बीच हुआ अहम समझौता
मई, 2014 में हुए राष्ट्रपति चुनावों में पश्चिम की तरफ झुकाव रखने वाले कारोबारी पेट्रो पेरोशेंको ने जीत हासिल की। करीब तीन साल बाद 2017 में यूक्रेन और EU के बीच सामान और सेवाओं के खुले कारोबार के लिए एक समझौता हुआ। इसी समझौते में यूक्रेनी नागरिकों को EU में यात्रा के लिए वीजा से छूट दी गई थी। 2019 में यूक्रेन के एक ऑर्थोडॉक्स चर्च को औपचारिक मान्यता मिल गई, जिससे रूस की नाराजगी और बढ़ गई।
2019 में जेलेंस्की बने राष्ट्रपति
2019 के चुनाव में पोरोशेंको को हराकर वोलोडिमीर जेलेंस्की यूक्रेन के राष्ट्रपति बने। वो डोनबास में जारी हिंसा समाप्त करने के वादे के साथ सत्ता में आए थे। जनवरी, 2021 में उन्होंने अमेरिका से यूक्रेन को NATO में शामिल होने देने की मांग की। अगले ही महीने उन्होंने विपक्षी नेता और रूस के सबसे करीबी समझे जाने वाले विक्टर मेडवेडचुक पर प्रतिबंध लगा दिए। इसी दौरान रूस ने यूक्रेन से सटी सीमा पर अपनी सेना की तैनाती शुरू कर दी।
रूस ने मांगी कानूनी गारंटी
यूक्रेन सीमा पर बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका ने रूस के चेतावनी दी कि अगर वह हमला करेगा तो उसे कठोर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। दिसंबर, 2021 में रूस ने कानूनी गारंटी मांगी की यूक्रेन को NATO में शामिल नहीं किया जाएगा।
रूस ने कहा- नहीं मानी गई उसकी मांगें
रूस ने कहा कि बातचीत के दौरान उसकी मांगें नहीं मानी गई और उसने यूक्रेन की सीमा पर सैन्य तैनाती बढ़ाना शुरू कर दिया। इसी साल जनवरी में यूक्रेन की सरकारी वेबसाइट्स पर साइबर हमला हुआ, जिसमें लोगों को बुरे से बुरे के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी गई। 17 जनवरी को रूस की सेना बेलारूस पहुंचनी शुरू हो गई। तनाव बढ़ता देख NATO ने पूर्वी यूरोप में अपने सैनिकों और विमानों की तैनाती बढ़ा दी।
चीन ने किया रूस की मांग का समर्थन
4 फरवरी को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चीन पहुंचे और शी जिनपिंग से मुलाकात की। इसके बाद चीन ने यूक्रेन को NATO में शामिल न करने की मांग का समर्थन किया। 9 फरवरी को अमेरिका ने अपने नागरिकों को यूक्रेन से निकलने को कहा और चेतावनी दी कि हालात तेजी से खराब हो सकते हैं। कुछ दिन बाद फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति और पुतिन यूक्रेन को लेकर बैठक करने को तैयार हैं।
रूस ने लुहांस्क और दोनेत्स्क को स्वतंत्रत देश घोषित किया
21 फरवरी को पुतिन ने देश के नाम संबोधन में कहा कि यूक्रेन हमेशा से रूस का हिस्सा था। उन्होंने डोनबास इलाके में स्थित लुहांस्क और दोनेत्स्क को स्वतंत्रत देश के तौर पर मान्यता देते हुए वहां सेना भेजने का ऐलान किया। इसके बाद अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोपीय देशों ने रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए। रूस पर इसका कोई असर नहीं हुआ और उसने कहा कि यूक्रेन ने पुराने समझौते का पालन नहीं किया है।
आज युद्ध का 11वां दिन
23 फरवरी को रूस के समर्थन वाले अलगाववादियों ने यूक्रेनी सेना के आक्रमण से बचाने के लिए पुतिन की मदद मांगी। अगले दिन यानी 24 फरवरी को पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन में 'विशेष सैन्य अभियान' चलाने का ऐलान कर दिया। इसी के साथ यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की शुरुआत हो गई। आज इस युद्ध का 11वां दिन है और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह यूरोप में सबसे लंबा चलने वाला युद्ध बन गया है।