रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर मतदान न करने की भारत की वजह चीन से कैसे अलग?
यूक्रेन पर युद्ध को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया गया था। अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, नॉर्वे और आयरलैंड समेत 11 देशों ने इसके समर्थन में मतदान किया, जबकि रूस ने वीटो का इस्तेमाल करते हुए इसे खारिज कर दिया। भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात ने खुद को मतदान से दूर रखा। आइये, जानते हैं कि भारत ने मतदान से अलग रहने की क्या वजह बताई और यह चीन से अलग कैसे है।
मतदान से दूर क्यों रहा भारत?
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने अपने बयान में कहा, "यूक्रेन में हुए हालिया घटनाक्रमों से भारत बेहद चिंतित है। हम अपील करते हैं कि हिंसा और शत्रुता खत्म करने के सारे प्रयास किए जाने चाहिए। इंसानी जान की कीमत पर किसी भी समाधान पर नहीं पहुंचा जा सकता। हम यूक्रेन में भारतीय नागरिकों और खासकर छात्रों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।" उन्होंने कहा कि हर मामले का हल बातचीत से निकाला जाना चाहिए।
दोबारा कूटनीति के रास्ते पर लौटना होगा- भारत
त्रिमूर्ति ने भारत का पक्ष रखते हुए अपने बयान में आगे कहा कि मौजूदा वैश्विक व्यवस्था UN चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानूनों और राष्ट्रों की संप्रभुता के सम्मान पर बनी है। सभी सदस्य देशों को इन सिद्धांतों का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह अफसोस की बात है कि कूटनीति का रास्ता छोड़ दिया गया है। इसकी तरफ दोबारा लौटना होगा। इस कारण भारत ने इस प्रस्ताव पर मतदान न करने का फैसला किया है।
चीन ने मतदान न करने के पीछे क्या वजह बताई?
चीनी राजदूत झेंग जुन ने कहा कि उनका देश मानता है कि एक देश की सुरक्षा दूसरे की कीमत पर नहीं हो सकती और क्षेत्रीय सुरक्षा सैन्य विस्तार करने पर निर्भर नहीं होनी चाहिए। सभी देशों की सुरक्षा चिंताओं का सम्मान किया जाना चाहिए। NATO के पूर्व में विस्तार की पृष्ठभूमि को देखते हुए रूस की वैध सुरक्षा चिंताओं पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। चीन ने सभी पक्षों से संयम बरतने और बातचीत करने की अपील की है।
चीन से कैसे अलग है भारत की वजह?
हिंदुस्तान टाइम्स ने एक पूर्व विदेश सचिव के हवाले से लिखा है कि भारत का मतदान से पीछे हटना रूस के साथ इसके लंबे रणनीतिक रिश्ते की झलक देता है, जबकि यूक्रेन में हो रहे घटनाक्रमों पर चिंता जताकर भारत ने अपने मत को दर्शाया है। उन्होंने कहा कि चीन का कारण सुनकर लगता है कि वह रूस का समर्थन कर रहा है, जबकि भारत ने बताया है कि रूस का कदम अंतरराष्ट्रीय कानूनों और UN चार्टर के खिलाफ है।
कीव में गंभीर होते जा रहे हैं हालात
दूसरी तरफ रूस के हमले के बाद यूक्रेन में हालात गंभीर होते जा रहे हैं। रूसी सेना यूक्रेन की राजधानी कीव के इलाकों में पहुंच गई है और वहां भारी गोलीबारी और धमाकों की आवाज सुनी जा रही है। हालांकि, हमलावर सेना को यूक्रेन की तरफ से भारी प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि रूस की सेना को उम्मीद से ज्यादा मुश्किलें झेलनी पड़ रही है।