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    दुनिया-जहां: कजाकिस्तान में आजादी के बाद की सबसे भीषण हिंसा, क्या है इसका कारण?
    दुनिया-जहां: कजाकिस्तान में आजादी के बाद की सबसे भीषण हिंसा, क्या है इसका कारण?

    दुनिया-जहां: कजाकिस्तान में आजादी के बाद की सबसे भीषण हिंसा, क्या है इसका कारण?

    लेखन प्रमोद कुमार
    Jan 09, 2022
    02:30 pm

    क्या है खबर?

    पिछले महीने ही अपनी आजादी की 30वीं सालगिरह मनाने वाले मध्य एशियाई देश कजाकिस्तान में यह सप्ताह हिंसा से भरा रहा।

    गैस की कीमतें बढ़ाए जाने के बाद शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया। इसमें दर्जनों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और हजारों लोगों को हिरासत में लिया गया है।

    इसी बीच सरकार ने इस्तीफा दे दिया और रूस के नेतृत्व वाली शांति सेना भी कजाकिस्तान पहुंच गई।

    आइये समझते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई।

    इतिहास

    1991 में स्वतंत्र देश बना कजाकिस्तान

    सोवियत संघ का हिस्सा रहा कजाकिस्तान चीन और रूस के बीच स्थित है।

    1991 में स्वतंत्र देश बनने वाला कजाकिस्तान मध्य एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता है। यहां हाइड्रोकार्बन और धातु के बड़े प्राकृतिक भंडार हैं। यह तेल का नौवां और कोयले का 10वां सबसे बड़ा उत्पादक देश है।

    कजाकिस्तान परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में इस्तेमाल होने वाली यूरेनियम का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यहां मची अशांति से इसकी कीमतों में 8 प्रतिशत का उछाल आया है।

    विरोध

    कैसे हुई विरोध की शुरुआत?

    कजाकिस्तान में लिक्विड पेट्रोलियम गैस (LPG) को ऑटोगैस नाम से भी जाना जाता है। कीमत कम होने के कारण ज्यादातर लोग अपनी गाड़ियां LPG से ही चलाते थे।

    इस साल की शुरुआत होते ही LPG के दामों पर सरकारी नियंत्रण समाप्त हो गया था। इससे गैस की कीमतें तेजी से बढ़ते हुए दोगुनी हो गई।

    इस कारण पहले से ही महंगाई से त्रस्त लोगों की जेब पर सीधा असर पड़ा और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

    कजाकिस्तान

    अलमाटी में हिंसक हुआ विरोध प्रदर्शन

    गैस की बढ़ी कीमतों के खिलाफ सबसे पहले 2 जनवरी को झानाओजेन शहर में प्रदर्शन शुरू हुए।

    विरोध की यह आग तेजी से देश की पूर्व राजधानी और वित्तीय केंद्र माने जाने वाले अलमाटी और बाद में लगभग सभी शहरों में पहुंच गई।

    अलमाटी में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और यहां प्रदर्शन ने हिंसक झड़प का रूप ले लिया। लोगों को रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े।

    कजाकिस्तान

    झड़प में 26 लोगों के मारे जाने की खबर

    पुलिस की तरफ से बल प्रयोग के बाद भी लोग रुके नहीं और उन्होंने सुरक्षाबलों पर हमला शुरू कर दिया।

    उग्र भीड़ ने अलमाटी शहर में राष्ट्रपति भवन और दूसरी इमारतों में आग लगा दी और कई जगहों पर तोड़फोड़ की। इस हिंसक भिड़ंत में सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों दोनों को नुकसान हुआ।

    झड़प में 26 लोगों के मारे जाने की खबर है। हालांकि, प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि असल में यह संख्या ज्यादा है।

    कार्रवाई

    प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए क्या किया गया?

    हालात बिगड़ते देख बुधवार को राष्ट्रपति कासिम जोमार्ट तोकायेव ने कई हिस्सों में आपातकाल का ऐलान किया और इंटरनेट सेवाओं पर भी पाबंदी लगा दी। इसके बावजूद हजारों लोग सड़कों पर निकल आए थे।

    इसके बाद राष्ट्रपति ने विवादित मुद्दों का हल करने की घोषणा करते हुए गैस की कीमते घटाने का वादा किया।

    उन्होंने ढिलाई बरतने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री अस्कर ममीन की सरकार को बर्खास्त कर दिया था। इसके बावजूद प्रदर्शनकारी शांत नहीं हुए।

    कार्रवाई

    बुलाई गई शांति सेना

    बुधवार को प्रदर्शनकारियों ने अलमाटी हवाई अड्डे को अपन नियंत्रण में ले लिया था।

    इसके बाद राष्ट्रपति तोकायेव ने रूस के नेतृत्व वाले कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (CSTO) से शांति सेना भेजने की अपील की।

    इसके तुरंत बाद शांति सेना के दस्ते कजाकिस्तान पहुंच गए और उन्होंने स्थानीय बलों के साथ मिलकर हवाई अड्डे का नियंत्रण वापस ले लिया।

    तोकायेव ने सेना को बिना चेतावनी दिए प्रदर्शकारियों पर गोली चलाने के भी आदेश दिए थे।

    विरोध

    इन मांगों पर अड़े प्रदर्शनकारी

    पिछले कुछ घंटों में यहां हालात बेहतर होने लगे हैं और राष्ट्रपति ने प्रशासनिक कार्य और जन सेवाएं बहाल करने का आदेश दिया है।

    उन्होंने अलीखान स्माईलोव को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया है, लेकिन हालात एकदम सामान्य नहीं हुए हैं।

    प्रदर्शनकारी सरकार में बदलाव, स्थानीय गवर्नरों की नियुक्ति की जगह चुनाव, राष्ट्रपति के कार्यकाल और अधिकार सीमित करने वाले 1993 के संविधान की वापसी और नागरिकों के खिलाफ दर्ज मुकदमे रद्द कराने समेत कई मागों को लेकर डटे हुए हैं।

    कजाकिस्तान

    क्या LPG को महंगा करना इतने बड़े विरोध का कारण है?

    मीडिया रिपोर्ट्स में जानकारों के हवाले से लिखा गया है कि इतने बड़े विरोध के पीछे सिर्फ LPG की कीमतों में बढ़ोतरी एकमात्र कारण नहीं है।

    साल 2015 के बाद से यहां हालात बिगड़ते जा रहे हैं और महंगाई आसमान छू रही है। यहां नाम का चुनावी लोकतंत्र बचा है और असहमतियों का दमन किया जा रहा है।

    जानकारों का कहना है कि कजाकिस्तान के लोग इन सबके खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए सड़कों पर आए हैं।

    विरोध की वजह

    पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ गुस्सा?

    कई विशेषज्ञ लोगों के इस गुस्से को पूर्व राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव के खिलाफ मानते हैं।

    कजाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति नूरसुल्तान ने तीन दशकों तक देश पर शासन किया था। वो निरंकुश तरीकों से सरकार चलाने के लिए जाने जाते थे। हालांकि, वो कजाकिस्तान में विदेशी निवेश लाने में सफल रहे थे।

    नजरबायेव राजधानी को अलमाटी से हटाकर अस्ताना ले आए थे। बाद में उनके सम्मान में राजधानी का नाम नूरसुल्तान कर दिया गया था।

    जानकारी

    2019 में नजरबायेव ने दिया इस्तीफा

    गैस और तेल से समृद्ध कजाकिस्तान में 2015 से हालात खराब होने लगे और 2019 में बड़े स्तर पर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद नजरबायेव को कुर्सी छोड़नी पड़ी।

    उन्होंने इसके पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया था, लेकिन उनकी मंशा अपनी विरासत बचाए रखने की मानी जा रही थी।

    इसके बाद हुए चुनाव में उन्हीं की पसंद के तोकायेव को राष्ट्रपति चुना गया था और नजरबायेव शक्तिशाली सुरक्षा परिषद के प्रमुख बने रहे।

    विरोध की वजह

    नजरबायेव के खिलाफ क्यों हैं लोग?

    BBC के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव में धांधली के आरोप लगे हैं और कई अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने इसकी आलोचना की है। तोकायेव के राष्ट्रपति बनने के बाद भी नजरबायेव का सरकार पर नियंत्रण बना हुआ है।

    उनके इस्तीफे के बाद भी लोगों को अपेक्षित सुधार नजर नहीं आ रहे हैं और बदलावों की गति बेहद धीमी है। यहां नागरिक आजादी का भी हनन हुआ है। ऐसे में लोगों का गुस्सा नजरबायेव के खिलाफ माना जा रहा है।

    जानकारी

    नए नेताओं को सत्ता सौंपना चाहते हैं लोग

    लोग यह सवाल भी पूछ रहे हैं कि अब तक की सरकारों ने उनके लिए क्या किया है? इसलिए वो सड़कों से हटने से पहले ऐसे लोगों को सरकार में लाने की मांग कर रहे हैं, जिनका मौजूदा नेताओं से कोई संबंध न हो।

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