यूक्रेन के नजदीकी देशों में हजारों सैनिक तैनात करेगा NATO
नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) ने यूक्रेन सीमा से सटे देशों में हजारों सैनिक तैनात करने का ऐलान किया है। NATO महासचिव जेन्स स्टोल्टनबर्ग ने बताया कि सहयोगी देशों में रैपिड रिस्पॉन्स फोर्स तैनात की जा रही है, जिसमें जमीन, हवा और पानी में लड़ने वाले सैनिकों के साथ-साथ स्पेशल ऑपरेशन फोर्स भी शामिल होगी। इसके साथ ही NATO सहयोगियों ने यूक्रेन को हथियार देने जारी रखने की भी घोषणा की है।
NATO क्या है?
NATO अमेरिका और उसके सहयोगियों का एक सैन्य गठबंधन है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 4 अप्रैल, 1949 को एक संधि के जरिए इसका गठन किया गया था। अमेरिका, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम (UK) समेत कुल 12 देशों ने इसकी स्थापना की थी। अभी इसके सदस्यों की संख्या 30 है। NATO का सबसे प्रमुख प्रावधान ये है कि अगर कोई इनमें से किसी एक देश पर हमला करता है तो इसे सभी देशों पर हमला माना जाएगा।
"सहयोगी देशों की सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाया जाएगा"
स्टोल्टनबर्ग ने कहा कि सहयोगी देश मदद देने के लिए प्रतिबद्ध है और पहली बार सामूहिक सुरक्षा के संदर्भ में NATO सैनिक तैनात किए जा रहे हैं। सहयोगी देशों और NATO क्षेत्र की सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाया जाएगा। यूक्रेन से सटे NATO देशों में फ्रांस के नेतृत्व वाली वेरी हाई रेडीनेस ज्वाइंट टास्क फोर्स के सैनिक तैनात किए जाएंगे। बता दें, NATO रैपिड रिस्पॉन्स फोर्स में 40,000 सैनिक हैं, लेकिन इन सभी को तैनात नहीं किया जा रहा।
NATO सहयोगियों ने जताई थी सुरक्षा चिंताएं
NATO का यह बयान ऐसे समय में आया है जब एस्टोनिया से लेकर बुल्गारिया आदि देशों ने यूक्रेन पर रूस के हमले को देखते हुए तत्काल बैठक बुलाने की मांग की थी। संगठन में शामिल नेताओं ने अपने बयान में कहा, "हम सभी सहयोगी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी फैसले और कदम उठाने जारी रखेंगे।" बता दें कि यूक्रेन NATO का लंबे समय से सहयोगी रहा है, लेकिन वह उसका सदस्य नहीं है।
यूक्रेन की सरकार गिराने का प्रयास कर रहा रूस-स्टोल्टनबर्ग
NATO महासचिव ने रूस पर यूक्रेन सरकार को गिराने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि संदेशों से ऐसे संकेत मिलते हैं कि रूस का लक्ष्य यूक्रेन की लोकतांत्रिक सरकार को गिराना है। बता दें, NATO में शामिल 30 देशों में से कुछ यूक्रेन को हथियार और दूसरी मदद दे रहे हैं, लेकिन बतौर संगठन NATO यूक्रेन की सहायता नहीं कर रहा है। NATO साफ कर चुका है कि वह यूक्रेन के समर्थन में कोई सैन्य कार्रवाई नहीं करेगा।
मौजूदा तनाव की बड़ी वजह है NATO
यूक्रेन युद्ध के पीछे NATO को सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है, जिसे रूस अपने सबसे बड़े दुश्मनों में से एक मानता है। दरअसल, यूक्रेन NATO में शामिल होना चाहता है, लेकिन रूस ऐसा होने देने के लिए तैयार नहीं है।
रूस NATO से चिढ़ता क्यों है?
दरअसल, NATO का गठन रूस (तब सोवियत संघ) को देखते हुए ही किया गया था और इसका सबसे प्रमुख लक्ष्य सोवियत संघ के विस्तार को रोकना था। जिस समय NATO का गठन हुआ, वो शीत युद्ध की शुरूआत का समय था और दुनिया अमेरिका और सोवियंत के दो धड़ों में बंटी हुई थी। NATO के तहत सोवियत संघ के आसपास कई सैन्य ठिकाने बनाए गए जो सैन्य संघर्ष की स्थिति में निर्णायक साबित हो सकते थे।