प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने अधिकांश समय चीन पर की थी चर्चा- अधिकारी
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने पिछले महीने व्हाइट हाउस के ओवल कार्यालय में अपनी बैठक के दौरान अधिकांश समय चीन और उसके राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर चर्चा की थी। व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने इस बात का खुलासा किया है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 21 से 23 जून के बीच राजकीय यात्रा पर अमेरिका गए थे।
दोनों नेताओं ने चीन से संबंध सुधारने के लिए की कड़ी मेहनत- अधिकारी
अधिकारी ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडन ने बैठक के दौरान अधिकांश समय चीन के बारे में बात की थी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपने अनुभवों के बारे में बात की थी।" उन्होंने आगे कहा, "दोनों नेता जिनपिंग को पिछले काफी समय से जानते हैं और चीन के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत कर रहे थे, लेकिन अब दोनों नेताओं ने इसमें हार मान ली है।"
अधिकारी बोला- अमेरिका और भारत के लिए चीन बड़ा खतरा
अधिकारी ने कहा, "मोदी और बाइडन ने कहा कि चीन उनके (भारत और अमेरिका) रिश्तों को जोड़ने के लिए जरूरी नहीं है। हालांकि, वह एक कारण है, जिसकी वजह से हम काफी लंबे समय तक एक साथ रहने वाले हैं।" अधिकारी ने आगे कहा, "भारत और अमेरिका का मानना है कि चीन उनके लिए एक बड़ा राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा है। बाइडन प्रशासन सोचता है कि बीजिंग को संभालने के मामले में नई दिल्ली वाशिंगटन से आगे रही है।"
अधिकारी ने और क्या कहा?
अधिकारी ने कहा, "भारतीय कई मायनों में हम से आगे हैं। चीन के खतरे का मुकाबला करने की दृष्टि से चाहे वह टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाना हो या किसी चीनी उपकरण के मोबाइल नेटवर्क का निर्माण करना हो, उन्होंने वास्तव में डी-रिस्किंग से आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया है, इसीलिए मुझे लगता है कि वे इतने आलोचनात्मक हैं।" साथ ही उन्होंने कहा कि अमेरिका की तरह भारत भी चीनी चीजों पर काफी निर्भर है।
पिछले महीने राजकीय यात्रा पर अमेरिका गए थे प्रधानमंत्री मोदी
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी पिछले महीने अमेरिका की राजकीय यात्रा पर गए थे। इस दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रक्षा, अंतरिक्ष सहयोग और निवेश समेत कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी संसद की को भी संबोधित किया था। संसद की संयुक्त बैठक में यह प्रधानमंत्री का दूसरा संबोधन था और विश्व के चुनिंदा नेताओं को ही यह अवसर मिला है।