प्रधानमंत्री मोदी की मिस्र यात्रा के मायने और कैसे दोनों देशों के संबंध मजबूत हो रहे?
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले हफ्ते अपनी पहली मिस्र यात्रा पर थे। उनकी यात्रा अमेरिका की ऐतिहासिक यात्रा के बाद हुई थी, लेकिन मिस्र की यात्रा कई मायनों में अधिक महत्वपूर्ण थी।
इस दौरे पर पहली बार मिस्र के साथ भारत ने द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी के दस्तावेज पर व्यक्तिगत रूप से हस्ताक्षर किए, जिससे भारत के लिए अरब जगत का नया अध्याय खुला है।
इसके अलावा भारत और मिस्र धार्मिक कट्टरपंथ के खिलाफ भी एकजुट हुए हैं।
मायने
मोदी की मिस्र यात्रा क्यों अहम रही?
1997 के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की मिस्र की पहली यात्रा थी। इस यात्रा में सभी का ध्यान द्विपक्षीय आर्थिक और वैश्विक दक्षिण सहयोग पर था, लेकिन भारत का प्रमुख उद्देश्य मिस्र तक पहुंचना था क्योंकि वह अरब जगत का एक बड़ा नेता माना जाता है।
प्रधानमंत्री की मिस्र यात्रा ऐसे समय में हुई है जब अरब जगत के नेतृत्व को लेकर सऊदी अरब, कतर, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), ईरान और तुर्की के बीच खींचतान चल रही है।
मोदी
मिस्र के साथ अंतर को मिटाने की अहम कोशिश
इससे पहले तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन के भारत दौरे के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी सऊदी अरब, UAE, कतर और ईरान जैसे अरब देशोंं का दौरा कर चुके हैं, लेकिन यह यात्रा इस्लामी शिक्षा के केंद्र मिस्र तक पहुंच के एक महत्वपूर्ण अंतर को मिटाने की कोशिश थी।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि जब भी धार्मिक कट्टरपंथ का मुकाबला करने की बात आती है तो भारत और मिस्र दोनों एकजुट नजर आते हैं।
प्रतिबंध
धार्मिक कट्टरपंत पर मिस्र का क्या रुख?
मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी पूरे मध्य-पूर्व में मुस्लिम ब्रदरहुड और उसके कट्टरपंथी सहयोगियों के खिलाफ अपनी दृढ़ता दिखा रहे हैं।
इसके अलावा सऊदी अरब और UAE ने भी मुस्लिम ब्रदरहुड पर प्रतिबंध लगा दिया है और इसके सहयोगी संगठनों को आतंकवादी समूहों के रूप में नामित किया है।
भारत भी यही चाहता है, लेकिन कतर, कुवैत और यहां तक कि ईरान जैसे मुस्लिम देश मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे कट्टर धार्मिक संगठनों के साथ खड़े नजर आते हैं।
सीसी
अरब जगत में मुस्लिम ब्रदरहुड के खिलाफ खड़ा है मिस्र
राष्ट्रपति सीसी ने सार्वजनिक मंचों से कहा है कि मुस्लिम ब्रदरहुड पिछले 90 सालों से मिस्र को तबाह कर रहा है और उसके जैसे समूहों ने अरब देशों के बीच संदेह और अविश्वास की संस्कृति पैदा की है।
उन्होंने कहा कि ब्रदरहुड जैसे कट्टरपंथी संगठनों ने दशकों से लाखों शरणार्थियों और चरमपंथियों की पीढ़ियों जन्म दिया है और अरब देशों को भारी क्षति पहुंचाई है।
राष्ट्रपति सीसी की इसी दृढ़ता से भारत और मिस्र की नजदीकियां बढ़ी हैं।
संकेत
भारत और मिस्र के संबंध मजबूत होने के और क्या उदाहरण?
मिस्र के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के प्रयास के कई उदाहरण देखे जा सकते हैं।
मिस्र यात्रा से लौटते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति सीसी को नई दिल्ली में आयोजित होने वाली G-20 शिखर सम्मेलन के लिए विशेष सदस्य के रूप में आमंत्रित किया है।
इससे पहले 2023 गणतंत्र दिवस परेड में राष्ट्रपति सीसी को भारत की ओर से मुख्य अतिथि बनाया गया था। यह दोनों देशों के बीच मजबूत रिश्तों की बानगी पेश करता है।