क्या है भारत-चीन के बीच मौजूद LAC और अरुणाचल प्रदेश को लेकर विवाद?
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प की खबर सुर्खियों में बनी हुई है। दोनों देशों के सैनिकों के बीच LAC पर यह पहली झड़प नहीं है और पहले भी कई बार इसे लेकर विवाद हो चुका है। आइए विस्तार से समझते हैं कि भारत-चीन के बीच मौजूद LAC क्या है और इसे लेकर दोनों देश के बीच विवाद क्यों है।
क्या है LAC?
भारत और चीन के बीच जो रेखा अनाधिकारिक सीमा के तौर पर काम करती है, उसे LAC कहा जाता है। भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूद नियंत्रण रेखा (LoC) की तरह LAC की स्थिति निर्धारित नहीं है और भारत और चीन दोनों की इसे लेकर अपनी-अपनी धारणाएं हैं। भारत LAC को 3,488 किलोमीटर, जबकि चीन 2,000 किलोमीटर लंबी मानता है। LAC भारत के पांच राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों (अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख) से गुजरती है।
मुख्य तौर पर तीन सेक्टर में विभाजित है LAC
भारत की तरफ LAC तीन सेक्टर में विभाजित है। पूर्वी सेक्टर में अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम, मध्य सेक्टर में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश और पश्चिमी सेक्टर में लद्दाख आता है। पूर्वी सेक्टर में LAC और 1914 की मैकमोहन लाइन एक ही है और मुख्य विवाद अरुणाचल प्रदेश के तवांग को लेकर है जिसे चीन दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है। मध्य सेक्टर पर सबसे कम विवाद है और बाराहोती (उत्तराखंड) के मैदानों को छोड़ बाकी जगह स्थिति साफ है।
पश्चिमी सेक्टर के पूर्वी लद्दाख में है मुख्य विवाद
भारत और चीन के बीच मुख्य विवाद पश्चिमी सेक्टर में है और यहां पर भी मुख्य विवाद पूर्वी लद्दाख में स्थित पैंगोंग झील के आसपास के इलाके में है। दरअसल, पैंगोंग झील के आसपास की पहाड़ियों और घाटियों की बनावट उंगलियों की तरह है और इसलिए इसे 'फिंगर्स एरिया' कहा जाता है। अगर इसे हाथ की उंगलियों की तरह मानकर चलें तो भारत फिंगर आठ तक अपना दावा करता है और वहीं चीन फिंगर दो तक अपना दावा करता है।
अरुणाचल प्रदेश को लेकर क्या विवाद है?
चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा मानता है और इस पर दावा करते हुए इसे दक्षिणी तिब्बत कहता है। वहीं भारत का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न अंग है और उसकी संप्रभुता को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली हुई है। चीन अरुणाचल प्रदेश के 90,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अपना अधिकार बताता है तो भारत कहता है कि चीन ने अक्साई चिन के करीब 38,000 वर्ग किलोमीटर इलाके पर अवैध कब्जा किया हुआ है।
तवांग का क्या मसला है?
अरुणाचल के तवांग में सदियों पुराना बौद्ध मंदिर है और चीन इसे तिब्बत के बौद्धों के लिए बेहद अहम मानता है। 1914 में हुई एक बैठक में ब्रिटिश शासकों और तिब्बत ने तवांग को भारत का हिस्सा माना था, लेकिन चीन इस फैसले का विरोध करते हुए बैठक से बाहर चला गया। इसके बाद 1962 के युद्ध में चीन ने तवांग पर कब्जा कर लिया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद उसे यह भारत को लौटना पड़ा।
2020 से चल रहा मौजूदा टकराव क्या है?
भारत और चीन के बीच अप्रैल, 2020 से LAC पर तनाव बना हुआ है। तब चीन ने पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में घुसपैठ कर दी थी। उसकी इस हरकत के बाद गलवान घाटी, पैंगोंग झील और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स इलाकों में दोनों सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं और 15 जून, 2020 को गलवान में तनाव हिंसा में बदल गया। इसी खूनी संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हुए तो कई चीनी सैनिकों भी मारे गए।
अरुणाचल प्रदेश में भी चीन ने की घुसपैठ, बसाए दो गांव
चीन ने लद्दाख के अलावा अरुणाचल प्रदेश में भी घुसपैठ की है और यहां भारतीय सीमा के अंदर घुसकर दो गांव बसा लिए हैं। चीन ने एक गांव अरुणाचल प्रदेश के शी-योमी जिले में बनाया है और इसमें लगभग 60 घर हैं। ये गांव भारतीय सीमा के छह-सात किलोमीटर अंदर है। चीन द्वारा बसाए गए दूसरे गांव में लगभग 100 घर हैं। इसके अलावा चीन ने अरुणाचल प्रदेश की 15 जगहों के नाम भी बदल दिए हैं।