
भारत-चीन विवाद: दोनों देशों के बीच कल होगी 13वें दौर की कोर कमांडर स्तरीय वार्ता
क्या है खबर?
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच पिछले 17 महीनों से चले आ रहे तनाव को शांत करने के लिए कल रविवार को भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच 13वें दौर की कोर कमांडर स्तरीय वार्ता होगी।
यह वार्ता सुबह के समय चीनी हिस्से के चुशुल-मोल्डो में होगी। उम्मीद है कि इस बैठक में सैन्य अधिकारी पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 या हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्रों से डिसइंगेजमेंट पर चर्चा कर सकते हैं।
जानकारी
जनरल पीजीके मेनन करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व
14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। इसमें उनके साथ एक राजनयिक प्रतिनिधि भी शामिल होगा। चीन के लिए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन करेंगे।
विवाद
कैसे शुरू था भारत और चीन की सेनाओं के बीच विवाद?
बता दें कि अप्रैल 2020 में चीन ने पूर्वी लद्दाख और अन्य इलाकों में हथियारों के साथ सैनिकों की तैनाती कर दी थी।
उसके बाद गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स इलाकों में दोनों सेनाएं आमने-सामने आ गई थी। 15 जून की रात तनाव हिंसा में बदल गया था।
इसी खूनी संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हुए तो कई चीनी सैनिकों की मौत हो गई थी। उसके बाद से शांति के लिए वार्ताओं का दौर जारी है।
सफलता
वार्ताओं के दौर के बीच फरवरी में मिली थी पहली सफलता
दोनों देशों के बीच कमांडर और राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद इस साल फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों तथा हथियारों की वापसी का समझौता हुआ था।
उसके बाद इसे समझौते के अनुसार डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया को पूरा भी कर लिया गया था।
हालांकि, हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेपसांग जैसे क्षेत्रों में गतिरोध अब भी बरकरार है और इस मुद्दे को सुलझाने के वार्ताओं के दौर जारी हैं।
उम्मीद
तनाव के क्षेत्रों का हल निकालने पर रहेगा फोकस
सैन्य अधिकारियों की माने तो 13वें दौर की बैठक में हॉट स्प्रिंग और कुछ अन्य क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने पर चर्चा होने की उम्मीद है। इसमें तनाव कम करने के प्रयासों पर चर्चा होगी।
हालांकि, भारत यह पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह कंप्लीट डिसइंगेजमेंट के लिए तभी सहमत होगा जब एक साथ और एक समान वापसी पर सहमति बनेगी। दोनों पक्षों ने सैन्य वार्ता की तैयारियों के तहत विवरण का आदान-प्रदान भी कर लिया है।
बयान
चीन के नए बुनियादी ढांचे का विकास है चिंता का विषय- नरवणे
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, दोनों देशों के बीच इस बैठक से पहले शनिवार को थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने चीन द्वारा लद्दाख क्षेत्र में किए गए नए बुनियादी ढांचे के विकास पर चिंता जताई है।
उन्होंने कहा, "हां, यह चिंता का विषय है कि बड़े पैमाने पर जमावड़ा हुआ है और यह जारी है। चीन की ओर बुनियादी ढांचे का भी विकास किया गया है। इसका मतलब है कि वो (PLA) वहां बने रहने के लिए हैं।"
हालात
"लद्दाख में भी हो सकते हैं LoC जैसे हालात"
नरवणे ने कहा, "हम चीन के सभी घटनाक्रम पर कड़ी नजर रखे हुए हैं, लेकिन अगर वो वहां हैं तो हम भी वहां बने हुए हैं। भारत की ओर से भी तैनाती और बुनियादी ढांचे का विकास PLA के समान है।"
उन्होंने कहा, "इससे क्या होगा, खासकर अगर वो दूसरी सर्दियों में भी वहां पर बने रहते हैं तो इसका मतलब है कि हम एक तरह से LoC (नियंत्रण रेखा) की स्थिति में होंगे। हालांकि, हालात उतने खराब नहीं होगे।"
आवश्यकता
चीन की हर हरकत पर नजर रखना है बहुत जरूरी- नरवणे
नरवणे ने कहा, "हमें चीनी सेना की तैनाती पर नजर रखनी होगी ताकि वो दोबारा कोई दुस्साहस न करें। यह समझना मुश्किल है कि चीन ने ऐसे समय गतिरोध क्यों शुरू किया, जब दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही थी और जब उसके सामने देश के पूर्वी समुद्र की ओर कुछ मुद्दे थे।"
उन्होंने कहा, "जब यह सब चल रहा हो, एक और मोर्चे को खोलने की बात समझना मुश्किल है। हम इन सभी घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं।"
कारण
चीन के प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने से बिगड़ रहे हालात- नरवणे
नरवणे ने कहा, "मुझे नहीं लगता वो भारतीय सेना की प्रतिक्रिया के कारण कुछ भी हासिल कर पाए हैं। उत्तरी सीमा पर जो कुछ भी हुआ है, वह चीन की ओर से व्यापक पैमाने पर सैन्य जमावड़े और विभिन्न प्रोटोकॉल का पालन न करने के कारण है।"
उन्होंने कहा, "पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद भारतीय सेना ने महसूस किया कि उसे खुफिया, निगरानी और टोह क्षेत्र में और अधिक करने की जरूरत है और इस पर काम जारी है।"
जानकारी
तनाव वाले क्षेत्रों में हाई अलर्ट पर हैं सैनिक
बता दें कि वर्तमान में तनाव वाले क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाएं हाई अलर्ट पर हैं। इन क्षेत्रों में दोनों सेनाओं के 50,000-60,000 सैनिक अभी तैनात है। हालांकि, चीन की ओर से बुनियादी ढांचे का विकास करना भारत के लिए चिंता का कारण है।