डोकलाम पर फिर से चीन की बुरी नजर, रच रहा साजिश
भारत का ताकतवर पड़ोसी चीन एक बार फिर से डोकलाम में साजिश रच रहा है। चीन ने डोकलाम सीमा के पास अपने सैनिकों की संख्या दोगुनी कर दी है। उसका मकसद चुनावी साल में मौके का फायदा उठाने का है। सीमा पर जमा देने वाली ठंड में भारतीय सेना के जवान भी दुश्मन को उसी की भाषा में मुंहतोड़ जबाव देने के लिए तैनात खड़े हैं। विवादित क्षेत्र में भारत और चीन की सेना 2017 में आमने-सामने आ गई थीं।
चीन ने दोगुनी की सैनिकों की संख्या
खबरों के अनुसार, 2 साल तक डोकलाम पर शांत रहने के बाद चीन के नापाक इरादे फिर से जाग उठे हैं। उसने सीमा पर सैनिकों की संख्या दोगुनी कर दी है। यही नहीं, चीनी सेना ने इलाके में तैनात अपने टैंकों की सख्या भी बढ़ा दी है। चीन को जबाव देने के लिए भारतीय जवान लगातार ड्रिल कर रहे हैं। कारगिल युद्भ में पाकिस्तान को धूल चटाने वाली बोफोर्स तोप भी इलाके में तैनात है।
उत्तरी सिक्किम में दुनिया का सबसे ऊंचा सैनिक हेडक्वार्टर
मेजर खुराना ने आजतक को बताया कि हर मौसम में दुश्मन को जबाव देने के लिए जवानों को तैयार रखने के लिए इतनी ठंड में भी लगातार ड्रिलिंग की जा रही है। उन्होंने कहा, "सर्दियों में पानी और तेल जम जाते हैं। हथियार और टैंकों को दुरुस्त रखने के लिए लगातार ड्रिल की जाती है।" उत्तरी सिक्किम में 16,240 फीट की ऊंचाई पर दुनिया का सबसे ऊंचा सैनिक हेडक्वार्टर है। यहां का तापमान माइनस 40 डिग्री तक चला जाता है।
क्या है ऊंचाई के नुकसान?
इतने कम तापमान में जवानों का टिका रहना और दुश्मन के हर कदम पर नजर रखना बेहद मुश्किल कार्य है। ज्यादा ऊंचाई पर तापमान के साथ-साथ ऑक्सीजन भी कम रहती है। इसके कारण जवानों को त्वचा और सांस संबंधी समस्याओं से लगातार जूझना पड़़ता है। इन मुश्किल परिस्थितियों में खुद में जोश भरे रखना भी बेहद मुश्किल कार्य है। भारतीय जवान हर समस्या को बौना साबित करते हुए अपनी जान पर खेल कर देश की रक्षा को तैनात रहते हैं।
क्या हुआ था 2017 डोकलाम विवाद में?
डोकलाम भारत, चीन और भूटान की सीमा पर स्थित इलाका है। यहां अगस्त 2017 में चीन ने अवैध निर्माण कार्य शुरु किए थे। उसका मकसद भूटान के अंदर तक सड़क बनाने का था, ताकि भारत पर लगातार नजर रखी जा सके। यह चीनी कॉरिडोर सिलीगुड़ी की तरफ जाता है और इसके लिए चीन उत्तर-पूर्व भारत पर बुरी नजर डाल सकता है। 72 दिनों तक तनातनी और विवाद के बाद चीन की सेना को पीछे हटना पड़ा था।