
अमेरिका-ब्रिटेन का यमन पर तीसरा संयुक्त हमला, हूती विद्रोहियों के 36 ठिकानों को बनाया निशाना
क्या है खबर?
अमेरिका और ब्रिटेन ने यमन स्थित हूती विद्रोहियों के कई ठिकानों पर फिर से हमले करना शुरू किए हैं। शनिवार को एक संयुक्त अभियान में यमन में 13 जगहों पर हूती विद्रोहियों के 36 ठिकानों पर हमले किए गए।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के अनुसार, इन संयुक्त हमलों के तहत हूती विद्रोहियों के हथियार भंडारण केंद्रों, मिसाइलों और लॉन्चरों, वायु रक्षा प्रणालियों और रडार से जुड़े ठिकानों को निशाना बनाया गया।
ये हूती विद्रोहियों पर तीसरा संयुक्त हमला है।
हमला
हूती विद्रोहियों के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई जारी
दरअसल, इजरायल-हमास युद्ध की शुरुआत से हूती विद्रोही लगातार लाल सागर में व्यापारिक जहाजों को निशाना बना रहे हैं। इसके खिलाफ अमेरिका और ब्रिटेन कार्रवाई कर रहे हैं।
दोनों देशों का ये तीसरा संयुक्त अभियान है। इससे पहले अमेरिका और ब्रिटेन ने 28 जनवरी और 11 जनवरी को यमन पर हमला किया था।
इस बीच अमेरिका 9 बार यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों को निशाना बना चुका है, लेकिन हूती विद्रोहियों के हमले अभी भी जारी हैं।
बयान
अमेरिका बोला- हमले बंद नहीं हुए तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे
अमेरिका के रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने एक बयान में कहा, "ये सामूहिक कार्रवाई हूती विद्रोहियों को एक स्पष्ट संदेश है कि अगर उन्होंने लाल सागर में अंतरराष्ट्रीय माल ढुलाई और नौसैनिक जहाजों पर अपने हमले बंद नहीं किए तो उन्हें आगे भी गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।"
उन्होंने कहा, "हम दुनिया के सबसे अहम जल मार्गों में से एक में जीवन और कारोबार के मुक्त प्रवाह की सुरक्षा करने में कोई संकोच नहीं करेंगे।"
बयान
ब्रिटेन ने कहा- हूती विद्रोहियों के कई ठिकानों को किया नष्ट
इस बीच ब्रिटेन के रक्षा सचिव ग्रांट शाप्स ने भी यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हमले की पुष्टि की।
उन्होंने कहा, "हमारे टाइफून जेट ने यमन के 3 ठिकानों पर बम गिराए हैं। सावधानीपूर्वक किए गए खुफिया विश्लेषण से इन ठिकानों की पहचान की गई। इनमें यमन के पश्चिमी तट पर संचालित 2 ड्रोन ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन भी शामिल थे। मुझे विश्वास है कि हमारे नवीनतम हमलों ने हूती विद्रोहियों की क्षमताओं को और कम कर दिया है।"
हमला
हाल में अमेरिका ने IRGC के ठिकानों पर किये थे हमले
शुक्रवार को अमेरिका ने इराक और सीरिया में ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) से जुड़े 85 से अधिक ठिकानों पर हमला किया, जिसमें कथित तौर पर लगभग 40 लोग मारे गए।
ये हमला जॉर्डन में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर हुए हमले की जवाबी कार्रवाई थी, जिसमें 3 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे।
हालांकि, ईरान ने कहा कि इराक और सीरिया में हमले अमेरिका की एक बड़ी गलती है और इससे मध्य पूर्व के देशों में संघर्ष बढ़ेगा।
अमेरिका
कई देशों ने सयुंक्त हमलों का किया समर्थन
अमेरिका के अनुसार, इन संयुक्त हमलों को ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा, डेनमार्क, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड का समर्थन प्राप्त था।
अमेरिका ने ईरान समर्थित समूहों के खिलाफ हमलों के बावजूद कहा है कि वह ईरान के साथ युद्ध नहीं चाहता है और यह भी नहीं मानता कि ईरान भी यही सोचता है, लेकिन कोई अमेरिका को नुकसान पहुंचाएगा तो उसे परिणाम भुगतने होंगे।
दरअसल, पहली बार मध्य पूर्व में अमेरिकी सैनिकों को ईरान ने अप्रत्यक्ष तौर पर निशाना बनाया है।
हमले
30 से अधिक जहाजों पर किए हैं हमले
7 अक्टूबर, 2023 से जारी इजरायल-हमास युद्ध में हूती विद्रोही हमास का समर्थन कर रहे हैं। वे 19 नवंबर के बाद से लगातार लाल सागर से गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों को निशाना बना रहे हैं।
इसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन और उसके सहयोगी देशों ने अपनी नौसेना को लाल सागर में तैनात किया है। नवंबर के मध्य से अब तक लाल सागर में हूती विद्रोहियों ने 30 से अधिक व्यापारिक और नौसैनिक जहाजों पर हमले किए हैं।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
हूती संगठन की नींव 1990 के दशक में हुसैन बदरद्दीन अल-हूती ने रखी थी, जिनका संबंध यमन के शिया बहुल समुदाय से था। इसका नेतृत्व हूती जनजाति करती है और ये देश में शिया मुस्लिमों का सबसे बड़ा संगठन है।
इसके गठन का उद्देश्य तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्लाह सालेह के भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए हुआ था। हूती विद्रोही अमेरिका और इजरायल को अपना दुश्मन मानते हैं और हमास का समर्थन करते हैं।
विद्रोहियों का 2015 से यमन पर कब्जा है।