लैंगिक असमानता: भारत की रैंकिंग गिरी, स्वास्थ्य और आर्थिक मामलों में स्थिति भयानक
लैंगिक असमानता के मामले में भारत दुनियाभर में पिछड़कर 112वें स्थान पर पहुंच गया है। वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम (WEF) के सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है। सर्वे के मुताबिक, स्वास्थ्य और आर्थिक भागीदारी के मामले में भारत सबसे निचले पांच देशों में खिसक गया है। लैंगिक असमानता में भारत, चीन (106), श्रीलंका (102), नेपाल (101) इंडोनेशिया (85) और बांग्लादेश (50) से पिछड़कर 112वें स्थान पर है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
आईलैंड में सबसे कम भेदभाव- सर्वे
मंगलवार को जारी हुए इस सर्वे के मुताबिक, आईलैंड ऐसा देश है, जहां लैंगिक आधार पर कोई असमानता नहीं है। वहीं पाकिस्तान, इराक और यमन में दुनियाभर में सबसे ज्यादा लैंगिक असमानता है।
असमानता खत्म होने में लगेंगे लगभग 100 साल
WEF ने कहा कि इस दर से लिंग के आधार पर महिलाओं से होने वाला भेदभाव खत्म होने में 99.5 साल लगेंगे। हालांकि, इस साल सुधार की दर पिछले साल की तुलना में बेहतर रही। 2018 में जिस दर से सुधार हुए थे, उसके आधार पर अनुमान लगाया गया कि लैंगिक असमानता खत्म होने में 108 साल लगेंगे। यानी दुनियाभर में स्वास्थ्य, शिक्षा, काम और राजनीति में महिलाओं से होने वाला भेदभाव दूर होने में अभी एक जीवन और लगेगा।
राजनीती में बढ़ी महिलाओं की भागीदारी
जेनेवा स्थित WEF ने कहा कि इस साल आए सुधारों की बड़ी वजह भारी मात्रा में महिलाओं का राजनीति में आना रहा। सर्वे के मुताबिक, राजनीति में महिलाओं और पुरुषों को बीच जारी असमानता को खत्म होने में अभी 95 साल और लगेंगे। इस साल दुनियाभर के संसदों के निचले सदनों में महिलाओं की भागीदारी 25.2 प्रतिशत और मंत्री पदों पर महिलाओं की भागीदारी 21.2 प्रतिशत है। यह संख्या पिछले साल क्रमश: 24.1 और 19 प्रतिशत थी।
आर्थिक भागीदारी के मामलों में बढ़ रही असमानता
एक तरफ राजनीति में जहां असमानता की खाई कम हो रही है, वहीं दूसरी तरफ आर्थिक मौकों में यह खाई बढ़ रही है। पिछले साल यह खाई पाटने में 202 सालों का अनुमान था, जो इस साल बढ़कर 257 साल हो गया है। सर्वे में कहा गया है कि इस असमानता को खत्म करने में सबसे बड़ी चुनौती क्लाउंड कंप्यूटिंग, इंजीनियरिंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे उभरते क्षेत्रों में महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व होना है।
रैंकिंग में पिछड़ता जा रहा भारत
WEF ने लैंगिक असमानता को लेकर अपनी पहली रिपोर्ट 2006 में पेश की थी। तब भारत 98वें स्थान पर था। उसके बाद से भारत की रैंकिंग सर्वे के चार में तीन मानकों पर खराब होती गई है। राजनीतिक सशक्तिकरण के मामले में भारत बढ़कर जरूर 18वें स्थान पर पहुंचा है, लेकिन स्वास्थ्य के मामले में यह फिसलकर 150वें, आर्थिक भागीदारी के मामले में 149वें और शिक्षा के मामले में यह 112वें स्थान पर पहुंच गया है।
इन देशों में महिलाओं के सीमित आर्थिक मौके
सर्वे में कहा गया है कि भारत (35.4 प्रतिशत), पाकिस्तान (32.7 प्रतिशत), यमन (27.3 प्रतिशत), सीरीया (24.9 प्रतिशत) और इराक (22.7 प्रतिशत) में महिलाओं के लिए बेहद सीमित आर्थिक मौके होते हैं। भारत उन देशों में शामिल है, जहां पर कंपनियों के बोर्डों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व सबसे कम है। भारत में यह संख्या केवल 13.8 प्रतिशत है। इस मामले मेंद चीन सबसे पीछे है। यहां यह संख्या 9.7 प्रतिशत है।
भारत में बढ़ रहा है आर्थिक भागीदारी में लैंगिक असमानता
WEF ने कहा कि भारत ने दो तिहाई लैंगिक भेदभाव को खत्म कर दिया है, लेकिन भारतीय समाज के बड़े हिस्से में महिलाओं की स्थिति खासतौर पर आर्थिक भेदभाव के मामले में अनिश्चित बनी हुई है। 2006 से यह यह खाई बढ़ती जा रही है। भारत इस रिपोर्ट में शामिल 153 देशों में से एकमात्र ऐसा देश है, जहां पर राजनीति से ज्यादा आर्थिक मामलों में ज्यादा लैंगिक असमानता है।