ईरान का सऊदी में हमलों के पीछे होने से इनकार, अमेरिका ने लगाए थे आरोप
क्या है खबर?
ईरान ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के उन आरोपों का खंडन किया है, जिसमें उन्होंने सऊदी की तेल कंपनियों पर हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया था।
शनिवार को सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको के दो बड़े ठिकानों अबकीक और खुरैस पर ड्रोन हमले हुए थे, जिस कारण इन जगहों पर तेल उत्पादन प्रभावित हुआ है।
इन हमलों के बाद पूरी दुनिया में तेल की आपूर्ति पर असर पड़ेगा, जिससे कीमतें बढ़ सकती हैं।
आरोप
पोम्पियो ने ईरान पर लगाए आरोप
इन ड्रोन हमलों के पीछे ईरान समर्थित यमक के हूती विद्रोही का हाथ माना जा रहा है।
पोम्पियो ने हमले के पीछे ईरान को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि था कि ईरान ने दुनिया की तेल आपूर्ति पर हमला किया है।
हालांकि, उन्होंने अपने दावे की पुष्टि के लिए कोई सबूत पेश नहीं किए थे। बता दें जहां हूती विद्रोही को ईरान का समर्थन हासिल है, वहीं सऊदी अरब, अमेरिका के साथ मिलकर इनके खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है।
खंडन
ईरान ने किया आरोपों का खंडन
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अब्बास मौसवी ने पोम्पियो के बयान को बेबुनियाद बताते हुए कहा की यह कूटनीतिक माहौल में अर्थहीन है।
साथ ही उन्होंने यमन में जंग छेड़ने के लिए सऊदी अरब की आलोचना की। हालंकि, अभी तक सऊदी अरब ने सार्वजनिक तौर पर इस हमले केे लिए ईरान को जिम्मेदार नहीं ठहराया है, लेकिन इसके विदेश मंत्रालय ने तेल आपूर्ति को हमलों से बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की मांग की है।
जानकारी
तेल उत्पादन पर पड़ रहा असर
इन हमलों से कंपनी का तेल उत्पादन प्रभावित होकर आधा हो गया है। सऊदी अरब के उर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुल अजीज बिन सलमान ने कहा है कि इस हमले से रोजाना 57 लाख बैरल कच्चे तेल के उत्पादन पर असर पड़ रहा है।
जांच
हूती विद्रोहियों के पास लंबी रेंज वाले ड्रोन
अभी तक यह पता नहीं चला है कि हमले को अंजाम देने वाले ड्रोन्स कहां से आए थे। हूती विद्रोही के पास ऐसे ड्रोन हैं जो लगभग 1,500 किलोमीटर तक उड़ान भर सकते हैं।
ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि ये ड्रोन इराक से भेजे गए थे, लेकिन इराक के प्रधानमंत्री अदील अब्दुल महदी ने इन खबरों का खंडन किया है।
उन्होंने कहा कि इराक अपनी जमीन का दूसरे देशों पर हमला करने के लिए इस्तेमाल नहीं करने देगा।
चेतावनी
भविष्य में हो सकते हैं और हमले- हूती
हूती ग्रुप के प्रवक्ता ने कहा था कि इस हमले के लिए 10 ड्रोन इस्तेमाल किये गए थे।
साथ ही उन्होंने कहा कि यह सऊदी अरब में हूती विद्रोहियों द्वारा किया गया सबसे बड़ा हमला है और सऊदी पर भविष्य में ऐसे और भी हमले हो सकते हैं।
उन्होंने दावा किया कि सऊदी शासन को बड़े लोगों की मदद मिली है। हालांकि सऊदी के अधिकारियों ने हूती के दावे पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
तनाव
अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ रहा है तनाव
डोनाल्ड ट्रम्प ने राष्ट्रपति बनने के बाद ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से खुद को अलग कर लिया था।
इसके बाद से ईरान समझौते के तहत लागू हुई कई शर्तों का पालन नहीं कर रहा है।
अमेरिका अब वापस ईरान को समझौते के लिए विवश करने के लिए इस पर कई तरह से दबाव बना रहा है।
अमेरिका ने कूटनीतिक तौर पर ईरान को अलग-थलग करने के लिए उस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं।
असर
कच्चे तेल की कीमतों पर असर शुरू
सऊदी अरब की अरामको दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनियों में से एक है। पिछले साल इसका लाभ 111 अरब डॉलर था, जो ऐपल और एल्फाबेट जैसी बड़ी कंपनियों से ज्यादा था।
हमले के कारण प्रतिदिन 57 लाख बैरल कच्चे तेल का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। यह दुनिया की कुल आपूर्ति का छह फीसदी है।
हमले का असर तेल की कीमतों पर दिखना शुरू हो गया है। सोमवार को कच्चे दामों की कीमतों की में 10 फीसदी इजाफा हुआ।
क्या आप जानते हैं?
ईरान और सऊदी के बीच तनाव की वजह क्या है?
मध्यपूर्व के दो बड़े देशों सऊदी अरब और ईरान के बीच लंबे समय से तनाव जारी है। शिया मुसलमानों की अधिक संख्या वाले ईरान और सुन्नी मुलसमानों की बहुलता वाले सऊदी अरब में प्रभुत्व की लड़ाई इस तनाव की वजह है।