पिछले छह दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 2017 के बाद सबसे ज्यादा इजाफा

पिछले हफ्ते सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको की दो फैक्ट्रियों पर हमले का असर भारत पर भी दिख रहा है। पिछले छह दिनों में पेट्रोल की कीमतों में 1.59 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमतों में 1.31 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि आई है जो 2017 के बाद सबसे ज्यादा है। रविवार को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 73.62 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 66.74 रुपये प्रति लीटर दर्ज की गई।
भारत अपनी जरूरत का 83 प्रतिशत कच्चा तेल बाहर से आयात करता है। सऊदी अरब भारत का दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर है और तेल के कुल आयात में उसकी 20 प्रतिशत हिस्सेदारी है। भारत सऊदी अरब से हर महीने लगभग 20 लाख टन कच्चा तेल खरीदता है। इस महीने भारत को अब तक 12-13 लाख टन तेल मिल चुका है और सऊदी अरब ने बाकी हिस्से की आपूर्ति भी जल्दी करने की आश्वासन दिया है।
शनिवार को हमले के बाद से ही भारत सरकार सऊदी अरब प्रशासन के संपर्क में हैं। गुरुवार को तेल मंत्री धर्मेंद प्रधान ने सऊदी अरब के तेल मंत्री राजकुमार अब्दुलाअजीज बिन सलमान से बात की, जिन्होंने भारत को पूरी आपूर्ति करने का आश्वासन दिया है।
हालांकि सऊदी अरब ने LPG की आपूर्ति में थोड़ी मोहलत मांगी है। भारत सऊदी अरब से हर महीने लगभग दो लाख टन LPG खरीदता है। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) के चेयरमैन संजीव सिंह ने बताया कि सऊदी अरब ने पूरी आपूर्ति की व्यवस्था का आश्वासन दिया है और इसमें कमी होने पर कतर से LPG खरीदी जाएगी। वहीं भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) अक्टूबर में LPG की आपूर्ति के लिए पहले ही टेंडर निकाल चुका है।
पिछले हफ्ते शनिवार को सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको की अबकैक और खुरैस स्थित तेल फैक्ट्रियों पर ड्रोन हमला किया गया था। अबकैक में अरामको की सबसे बड़ी रिफाइनरी है और इसे सऊदी अरब के तेल उत्पादन का दिल माना जाता है। इस हमले से सऊदी अरब के तेल उत्पादन में 57 लाख बैरल की कमी आई है जोकि उसके कुल उत्पादन का लगभग 60 प्रतिशत और वैश्विक तेल उत्पादन का छह प्रतिशत है।
हमले की जिम्मेदारी यमन के हूती विद्रोहियों ने ली है और कहा है कि वह भविष्य में भी ऐसे हमलों को अंजाम दे सकते हैं। हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन हासिल है और इसलिए इस मामले में ईरान पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अमेरिका ने तो ईरान पर हमले में सीधे तौर पर शामिल होने का आरोप लगाया है। लेकिन ईरान ने इन आरोपों का खंडन किया है।
वहीं सऊदी अरब ने कहा है कि अगर हमले में ईरान का हाथ होने की बात सामने आती है तो इसे "युद्ध के लिए उकसावा" माना जाएगा और इसके गंभीर परिणाम होंगे। बता दें कि सऊदी अरब और ईरान की लड़ाई को अक्सर शिया-सुन्नी की लड़ाई के तौर पर देखा जाता है। सऊदी अरब में सुन्नी मुसलमान ज्यादा हैं, वहीं ईरान में शिया मुसलमानों की संख्या ज्यादा है। दोनों देशों में मुस्लिम देशों में प्रभुत्व जमाने की होड़ है।
सऊदी अरब और ईरान सीधे तो एक-दूसरे से नहीं लड़ते, लेकिन उन्होंने अन्य देशों को अपने शीत युद्ध का अखाड़ा बनाया हुआ है। ऐसा ही कुछ यमन में हो रहा है। यमन में 2015 से गृह युद्ध चल रहा है। तब हूती विद्रोहियों ने तत्कालीन राष्ट्रपति अबद्राबुह मंसूर हादी को देश छोड़कर भागने पर मजबूर कर दिया था। सऊदी अरब हादी का समर्थन करता है। वहीं, ईरान पर हूती विद्रोहियों को समर्थन देने का आरोप लगता है।