अमेरिका: वैलेंटाइन डे पर चिड़ियाघरों में विशेष अभियान, कॉकरोच को दें सकेंगे पूर्व प्रेमी का नाम
वैलेंटाइन डे का दिन प्यार करने वालों को समर्पित है। लोग इस खास दिन को अपने पार्टनर के साथ बड़े प्यार के साथ मनाते हैं। इसके उलट जिन लोगों का प्यार सफल नहीं हो पाता है, वो कहीं न कहीं इससे नफरत करने लगते हैं। अगर आपके मन में भी अपने पूर्व प्रेमी के लिए नफरत है तो इसे निकालने के लिए अमेरिका में हो रहे एक अभियान में हिस्सा लेकर अपने पिछले रिश्तों से आगे बढ़ सकते हैं।
क्या है अभियान?
न्यूयॉर्क में ब्रोंक्स चिड़ियाघर ने वैलेंटाइन डे के मौके पर 'नेम-ए-रोच' नामक अभियान की घोषणा की है। इसके तहत लोग अपने पूर्व प्रेमी/प्रेमिका के नाम पर एक कॉकरोच का नाम रख सकते हैं। इतना ही नहीं, कॉकरोच को नाम देने के बाद याद के रूप में आपको एक सर्टिफिकेट और अन्य चीजें भी मिलेंगी। इस अभियान का मकसद ऐसे लोगों को आगे बढ़ने की अनुमति देना है, जो अपने पुराने टूटे हुए रिश्तों से आगे नहीं बढ़ पाए हैं।
जानवरों को खिलाने का भी है अभियान
ब्रोंक्स चिड़ियाघर के अलावा टेक्सास में स्थित सैन एंटानियो नामक चिड़ियाघर ने भी वैलेंटाइन डे के लिए विचित्र अभियान निकाला है। इस अभियान का नाम 'क्राई मी अ कॉकरोच' है। इसके तहत आप किसी कॉकरोच, चूहे या सब्जी का नाम अपने पूर्व प्रेमी/प्रेमिका पर रखकर उसे अपने चुने गए जानवरों को खिला सकते हैं। यह दिल टूटने वाले उपचारक के रूप में आपको अपने अतीत से उभरने में मदद करेगा।
उपहार में मिलेगी हिप्पोपॉटेमस के मल की खुशबू वाली मोमबत्ती
सैन एंटानियो के वैलेंटाइन पैकेज में कॉकरोच के अलावा आपको एक मोमबत्ती भी दी जाएगी, जो हिप्पोपॉटेमस के मल की खुशबू वाली होगी। इस विशेष मोमबत्ती में टिमोथी नामक हिप्पोपॉटेमस की सुगंध होती है, जिसका इस्तेमाल पार्टनर को प्रभावित करने के लिए किया जाता है। आपको बता दें कि वैलेंटाइन डे पर कॉकरोच का नामकरण करने वाले ये अभियान अब एक तरह की परंपरा बन गई है, जिसमें लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
पिछले साल कनाडा में हुए थे ऐसे आयोजन
इससे पहले 2023 में वैलेंटाइन डे पर कनाडा में टोरंटो चिड़ियाघर वन्यजीव संरक्षण ने भी ऐसे ही अभियान की मेजबानी की थी। उसके तहत लोग अपने पूर्व प्रेमी या कोई इंसान, जिसे वे नापसंद करते थे, उसके नाम पर एक कॉकरोच का नाम रख सकते थे। इसके बाद नाम देने वाले व्यक्ति को डिजिटल सर्टिफिकेट, चैरिटेबल टैक्स रसीद और डिजिटल तस्वीर भी दी जाती थी। बता दें कि इसके लिए व्यक्ति को 2,000 रुपये भी देने होते थे।