#NewsBytesExplainer: रूस में बगावत से राष्ट्रपति पुतिन की छवि को क्या नुकसान हुआ?
रूस में वागनर समूह ने शनिवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ विद्रोह का ऐलान करते हुए राजधानी मॉस्को का रुख लिया था। हालांकि, वागनर समूह के लड़ाकों ने रूसी सरकार और उनके प्रमुख येवगेनी प्रिगोजिन के बीच हुए एक समझौते के बाद अपने कदम वापस खींच लिए। आइए जानते हैं कि इस बगावत से पुतिन की छवि को क्या नुकसान हुआ है और इसका यूक्रेन युद्ध पर क्या फर्क पड़ेगा।
विद्रोह ने पुतिन के दावों के सामने पेश की बड़ी चुनौती
वागनर समूह के प्रमुख येवगेनी प्रिगोजिन के विद्रोह के कारण कई वर्षों से रूस की सत्ता पर काबिज पुतिन की छवि को भारी नुकसान पहुंचा है। पुतिन रूस में एकता और स्थिरता का दावा करते रहे हैं, लेकिन इस विद्रोह ने उनके इन दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस बगावत से यह भी साफ हो गया है कि रूस में हर चीज पुतिन के नियंत्रण में नहीं है, जैसा कि अभी तक वह पेश करते आए हैं।
कड़ी कार्रवाई की बात कहने के बाद पुतिन पड़े कमजोर
पुतिन ने देश के नाम संबोधन में बगावत को देशद्रोह करार देते हुए कहा था कि इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, वागनर समूह बड़ी आसानी से मॉस्को के करीब 200 किलोमीटर तक पहुंच गया और इस दौरान उसने रोस्तोव शहर में रूसी सेना के ठिकानों पर कब्जा भी कर लिया। समझौते के बाद वागनर लड़ाके सुरक्षित वापस चले गए और कड़ी कार्रवाई की बात करने वाले पुतिन ने उनके खिलाफ कुछ नहीं किया।
पुतिन को लेनी पड़ी बेलारूस के राष्ट्रपति की मदद
पुतिन को इस बगावत से निपटने के लिए बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको की मदद लेनी पड़ी, जिन्होंने वागनर समूह और रूसी सरकार के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई। बेलारूस आज तक रूस की मदद लेता रहा है, लेकिन इस बार भूमिकाएं पलट गईं।
क्या पुतिन ने खुद करवाई थी बगावत?
रूस में बगावत के कारणों को लेकर एक अलग तरह की चर्चा भी है। दावा किया जा रहा है कि बगावत का पूरा खेल पुतिन ने खुद ही रचा था क्योंकि वह यूक्रेन युद्ध से ध्यान भटकाना चाहते थे। कहा जा रहा है कि रूस को कमजोर पाकर यूक्रेन ने अपना जवाबी हमला शुरू कर दिया, जिससे रूस को उसकी रणनीति पता चल गई। अगर यह दावा सच साबित होता है तो यह आधुनिक इतिहास का सबसे बड़ा मास्टरस्ट्रोक होगा।
यूक्रेन युद्ध पर क्या असर होगा?
बगावत से निश्चित ही रूसी सेना का मनोबल काफी कमजोर हुआ होगा। यूक्रेनी सेना इसका फायदा उठा सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस युद्ध के साथ ही यूक्रेन जीत के एक कदम नजदीक आ गया है। उनके अनुसार, युद्ध के कारण आलोचनाओं का सामना कर रहे पुतिन के लिए अब इन्हें दबाना आसान नहीं होगा और बगावत से वो कमजोर भी हुए हैं। ऐसे में वह यूक्रेन के साथ किसी न किसी तरह का समझौता कर सकते हैं।
रूस पर नियंत्रण मजबूत करने के लिए क्या कर सकते हैं पुतिन?
पुतिन रूस में अपनी स्थिति को दोबारा मजबूत करने के लिए अभिव्यक्ति की अधिकारों पर पाबंदी लगा सकते हैं, ताकि कोई भी व्यक्ति या संगठन खुले तौर पर रूसी सरकार का विरोध न करे। पुतिन यूक्रेन पर हमले भी बढ़ा सकते हैं और यदि हमले सफल हुए तो बगावत का असर कुछ कमजोर जरूर होगा। हालांकि, निश्चित तौर पर रूस की जनता के बीच संदेश पहुंच गया है कि पुतिन की सत्ता पर पकड़ कमजोर हुई है।
वागनर समूह का क्या होगा?
मौजूदा समय में लगता है कि वागनर समूह को बगावत करने के लिए भंग कर दिया गया है, लेकिन संभव है कि इसके लड़ाकों को रूसी सेना में शामिल कर फिर से युद्ध का हिस्सा बनाया जा सकता है। रूसी सरकार को इनके फिर बगावत करने के खतरे से भी निपटना होगा। वागनर समूह के मुखिया प्रिगोजिन के भविष्य पर सबकी नजर रहेगी क्योंकि संभव है कि पुतिन उनकी बगावत को न भूलें और उनकी जान पर हमला हो।
रूस में क्यों हुई थी बगावत?
प्रिगोजिन ने आरोप लगाया था कि यूक्रेन युद्ध के बीच वागनर समूह के प्रशिक्षण कैंप पर रूसी सेना के आदेश पर मिसाइलों से हमले किए गए थे। उन्होंने कहा था कि इन हमलों में उसके कई सैनिक मारे गए और रूस की सेना वागनर समूह को तबाह करना चाहती है। इसके बाद उन्होंने बगावत का ऐलान करते हुए यूक्रेन से लगी हुई रूस की सीमा में प्रवेश कर लिया था और रोस्तोव शहर पर कब्जा कर लिया था।