#NewsBytesExplainer: क्या 'शुगर-फ्री' विकल्प स्वास्थ्यवर्धक होते हैं? जानिए क्या है सच्चाई
क्या है खबर?
लो-कैलोरी, लो-कार्ब और शुगर-फ्री खाद्य पदार्थों की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इनमें नॉन-न्यूट्रीटिव शुगर मौजूद होती है।
नॉन-न्यूट्रीटिव शुगर को आर्टिफिशियल स्वीटनर भी कहा जाता है।
इसका मतलब है कि आप बाजारों में बिकने वाले शुगर-फ्री उत्पादों के रूप में आर्टिफिशियल स्वीटनर ले रहे हैं, जिसके लंबे इस्तेमाल से सेहत को रिफाइंड चीनी की तुलना में गंभीर नुकसान पहुंच सकता है।
आइए आज आर्टिफिशियल स्वीटनर के स्वास्थ्य प्रभावों से संबंधित कुछ अध्ययनों पर नजर डालते हैं।
जानकारी
आर्टिफिशियल स्वीटनर क्या है?
आर्टिफिशियल स्वीटनर को कई लोग चीनी के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करते हैं और यह एक तरह का केमिकल है।
मधुमेह के कई रोगी चीनी की जगह आर्टिफिशियल स्वीटनर युक्त चीजों का इस्तेमाल करते हैं, ताकि उनके खाने में मिठास आ सके, लेकिन यह किसी मीठे जहर से कम नहीं है।
रोजाना एक चम्मच आर्टिफिशियल स्वीटनर का सेवन न सिर्फ ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा सकता है, बल्कि कई अन्य रोगों का भी कारण बन सकता है।
प्रभाव
आर्टिफिशियल स्वीटनर का प्रभाव
कई लोग मीठा खाने की तलब को दूर करने के लिए शुगर-फ्री खाद्य पदार्थों को यह सोचकर खा लेते हैं कि ये सुरक्षित हैं, जबकि ऐसा नहीं है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नवीनतम दिशानिर्देशों के अनुसार, नॉन-शुगर स्वीटनर शरीर की चर्बी कम करने में कोई लाभ प्रदान नहीं करते हैं और ऐसे विकल्पों के उपयोग से सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
इससे टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
अध्ययन
आर्टिफिशियल स्वीटनर को लेकर हुए अध्ययन क्या कहते हैं?
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के मुताबिक, आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल लोगों में विभिन्न शारीरिक और मानसिक विकारों के जोखिम को बढ़ा सकता है।
एक अन्य अध्ययन के अनुसार, आर्टिफिशियल स्वीटनर मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर को भी प्रभावित कर सकता है, जो मूड और व्यवहार को बदल सकता है। इसके अलावा इसके अत्यधिक उपयोग से लिवर और आंतों पर भी बुरा असर पड़ता है।
वजन
आर्टिफिशियल स्वीटनर से बढ़ती है मीठे की लालसा
सोडा, डाइट कोक, डेसर्ट और सीरिल्स जैसे बाजार में कई उत्पाद हैं, जिनमें आर्टिफिशियल स्वीटनर मौजूद होता है।
इनका जब कम मात्रा में सेवन किया जाता है तो ये सुरक्षित होते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में इनका सेवन या नियमित आधार पर इन्हें लेना स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है।
ये चीनी की लालसा का कारण बनते हैं, जो वजन बढ़ाता है। इनसे शरीर की मेटाबॉलिज्म क्षमता धीमी होती है और सुस्त और थका हुआ महसूस होता है।
कैंसर
मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और कैंसर का बढ़ जाता है खतरा
आर्टिफिशियल स्वीटनर को व्यवहारिक और कॉग्निटिव समस्याओं से जोड़ा जाता है। इसके लंबे उपयोग के कारण सीखने में कठिनाई, सिरदर्द, माइग्रेन, चिड़चिड़ापन, चिंता और अनिद्रा जैसे लक्षण महसूस होने लगते हैं।
यही नहीं, ऐसे कई अध्ययन हुए हैं, जो बताते हैं कि आर्टिफिशियल स्वीटनर कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
आर्टिफिशियल स्वीटनर के अधिक इस्तेमाल से इंसुलिन रजिस्टेंस का स्तर भी बढ़ने लगता है, जो मधुमेह होने का मुख्य कारण है।
अंतर
आर्टिफिशियल स्वीटनर बनाम नेचुरल स्वीटनर
आर्टिफिशियल स्वीटनर को चीनी के विकल्प के तौर पर बनाया जाता है। इनमें शून्य कैलोरी होती है और ये चीनी से भी अधिक मीठा होता है।
एसिल्स्फाम के, एस्पार्टेम, एडवांटम, साइक्लेमेट्स, नियोटेम, सैकरिन, सुक्रोलोज, स्टीविया और स्टेविया डेरिवेटिव आदि आर्टिफिशियल स्वीटनर के कुछ उदाहरण हैं।
दूसरी ओर नेचुरल स्वीटनर सेहत के लिए लाभदायक माने जाते हैं। शहद और मेपल सिरप इसके कुछ उदाहरण हैं। हालांकि, नेचुरल शुगर में किसी तरह की मिलावट नहीं होनी चाहिए।
विकल्प
फल, खजूर और सूखे मेवों का करें सेवन
आर्टिफिशियल स्वीटनर एक तेज धार वाली तलवार के रूप में काम कर सकता है।
इसकी जगह नेचुरल स्वीटनर को अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं या फिर फल, खजूर और सूखे मेवों का सेवन करें।
फलों में आप आम, तरबूज, नाशपती, खरबूजा और बेरीज का सेवन कर सकते हैं, जो मीठे की तलब को प्राकृतिक रूप से दूर करने सहित कई तरह के स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकते हैं।