SCO बैठक के लिए भारत आएंगे चीनी रक्षा मंत्री, गलवान हिंसा के बाद पहला दौरा
चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू अगले हफ्ते होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेने भारत आएंगे। गलवान घाटी हिंसा के बाद ये पहली बार है, जब चीनी रक्षा मंत्री भारत आ रहे हैं। इस दौरान उनकी मुलाकात भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी होगी। बता दें कि भारत इस समय SCO की अध्यक्षता कर रहा है और इसी संबंध में 27-28 अप्रैल को यह बैठक होनी है।
भारत-चीन के बीच तनाव को देखते हुए बैठक अहम
भारत-चीन के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर तनाव जारी है। पिछले साल दिसंबर में अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांग्त्से में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। हाल ही में चीन ने अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदले थे, जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। इन सभी मुद्दों को देखते हुए इस बैठक को अहम माना जा रहा है।
इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
इस बैठक में आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा और अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। भारत-चीन सीमा विवाद पर भी बातचीत हो सकती है। बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे।
रूस के रक्षा मंत्री भी आएंगे
इसी बैठक में शामिल होने के लिए रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु भी दिल्ली आएंगे। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूसी रक्षा मंत्री की यह पहली भारत यात्रा होगी। बता दें कि हाल ही में भारत-रूस के बीच उच्च स्तरीय संबंधों में गर्मजोशी देखने को मिली है। पिछले हफ्ते रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव दो दिवसीय भारत यात्रा पर थे। इस दौरान वे विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मिले थे।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री के शामिल होने पर संशय
बता दें कि भारत ने इस बैठक में शामिल होने के लिए पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को भी निमंत्रण भेजा है। हालांकि, उनकी तरफ से बैठक में शामिल होने को लेकर आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक में शामिल हो सकते हैं। 4-5 मई को गोवा में SCO देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक होनी है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी इसमें हिस्सा लेंगे।
क्या है SCO?
SCO का गठन 15 जून, 2001 में हुआ था। तब चीन, रूस और चार मध्य एशियाई देशों, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के नेताओं ने इस संगठन की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य सहयोग को बढ़ावा देकर क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखना है। साल 2017 में इस संगठन में भारत और पाकिस्तान को सदस्य देश का दर्जा दिया गया था। इसमें कुल सदस्य देशों की संख्या 8 है।