
द्विपक्षीय संबंध सुधारने के लिए चीन के कई प्रस्ताव, करना चाहता है मोदी की मेजबानी
क्या है खबर?
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी सैन्य तनाव के बीच चीन ने दो सालों में पहली बार भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने की पहल की है।
बीजिंग ने नई दिल्ली को बातचीत शुरू करने के लिए कई तरह के प्रस्ताव भेजे हैं, जिनमें दोनों देशों के शीर्ष नेताओं की यात्राएं भी शामिल हैं।
चीन इस साल BRICS सम्मेलन की मेजबानी करेगा और वह चाहता है भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें हिस्सा लें।
द्विपक्षीय संबंध
इस महीने भारत आ सकते हैं चीनी विदेश मंत्री
चीन की इस पहल के तहत उसके विदेश वांग यी इसी महीने भारत दौरा कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि उनके दौरे के लिए तारीखें निर्धारित की जा रही हैं।
इसके बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन का दौरा कर सकते हैं।
चीन ने भारत को पोलित ब्यूरो सदस्य और शी जिनपिंग सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की यात्रा का भी प्रस्ताव भेजा है।
इसके अलावा भी चीन ने कई अन्य कार्यक्रम आयोजित करने का सुझाव दिया है।
BRICS सम्मेलन
मोदी की मेजबानी करना चाहता है चीन
इन प्रस्तावों और कोशिशों के बीच चीन का खास मकसद BRICS सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेजबानी करना है। इस साल चीन में होने वाले इस सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी हिस्सा लेंगे।
बता दें कि BRICS ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का एक संगठन है, जिसका मकसद इन देशों में आर्थिक और अन्य तरह का सहयोग बढ़ाना है।
इसका गठन 2006 में किया गया था और इसका मुख्यालय शंघाई में है।
सवाल
क्या मोदी जाएंगे चीन?
मौजूदा हालात में जब सीमा पर तनाव बरकरार है, प्रधानमंत्री मोदी के लिए चीन जाना राजनीतिक तौर पर काफी मुश्किल रहने वाला है।
बता दें कि मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आखिरी मुलाकात नवंबर, 2019 में ब्राजील में हुए BRICS सम्मेलन के दौरान ही हुई थी। उससे पहले अक्टूबर, 2019 में जिनपिंग अनौपचारिक सम्मेलन के भारत आए थे। महाबलिपुरम में हुए इस सम्मेलन के इतर भी मोदी और जिनपिंग ने मुलाकात की थी।
जानकारी
2017 में मोदी ने की थी चीन यात्रा
सितंबर, 2017 में आखिरी बार चीन में BRICS सम्मेलन का आयोजन हुआ था और मोदी ने इसमें शिरकत की थी।
यह भी गौर करने वाली बात है कि इस सम्मेलन से थोड़े ही दिन पहले डोकलाम में जारी विवाद का समाधान निकला था।
इस बार भी मंत्री स्तर की यात्राओं का प्रस्ताव देकर चीन ने संकेत दे दिए हैं कि वह खराब हो चुके रिश्तों को दोबारा पटरी पर लाने को तैयार है।
अवसर
दोनों देशों के पास रिश्ते सुधारने का बड़ा मौका
भारत के लिए चीन का प्रस्ताव एक बड़ा मौका है। पिछले दो सालों के दौरान सैन्य तनाव के चलते दोनों देशों के रिश्तों में आई दरार को बातचीत के जरिये फिर से भरा जा सकता है।
भारत का हमेशा से मानना रहा है कि सीमा पर जारी तनाव से द्विपक्षीय रिश्तों में खटास आई है।
वहीं चीन का कहना है कि द्विपक्षीय रिश्तों को ध्यान में रखते हुए सीमा के मुद्दे को उचित तरीके से सुलझाया जाना चाहिए।