
सीपी राधाकृष्णन होंगे NDA के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार, भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में लगी मुहर
क्या है खबर?
भाजपा ने रविवार को उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल और भाजपा नेता सीपी राधाकृष्णन को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) का उम्मीदवार घोषित किया है। यह निर्णय भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में लिया गया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसकी जानकारी दी है। राधाकृष्णन तमिलनाडु से हैं और लंबे समय से राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में एक प्रमुख हस्ती रहे हैं। आइए उनके बारे में जानते हैं।
ऐलान
नड्डा ने क्या दिया बयान?
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में आयोजित भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में सर्वसम्मति से महाराष्ट्र के राज्यपाल राधाकृष्णन को NDA का उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने का फैसला लिया गया है।" उन्होंने आगे कहा, "हम विपक्ष से भी इस संबंध में बात करेंगे। हमें उनका समर्थन भी प्राप्त करना चाहिए ताकि हम मिलकर उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्विरोध चुनाव सुनिश्चित कर सकें।"
ट्विटर पोस्ट
यहां सुने नड्डा का पूरा बयान
#WATCH | Delhi: BJP national president and Union Minister JP Nadda says, "We will talk to the opposition as well. We should also get their support so that together we can ensure an unopposed election for the post of Vice President. As we said earlier, we have been in touch with… https://t.co/OLpIsl8dHa pic.twitter.com/JCnkTY4fH5
— ANI (@ANI) August 17, 2025
परिचय
कौन है सीपी राधाकृष्णन?
तमिलनाडु के तिरुप्पुर में 20 अक्टूबर, 1957 को जन्मे चन्द्रपुरम पोनुस्वामी राधाकृष्णन भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे हैं। वह 31 जुलाई, 2024 से में महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। इससे पहली वह फरवरी 2023 से जुलाई 2024 तक झारखंड के राज्यपाल रहे और मार्च से जुलाई 2024 तक तेलंगाना का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला है। इसी तरह उन्होंने मार्च से अगस्त 2024 तक पुडुचेरी के उपराज्यपाल का भी अतिरिक्त प्रभार संभाला था।
सफर
कैसा रहा है राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर?
राधाकृष्णन ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और जनसंघ से की थी। वह महज 16 साल की उम्र में ही RSS और जनसंघ से जुड़ गए थे। वह साल 1998 और 1999 में कोयम्बटूर से लोकसभा सांसद चुने गए। इसी तरह उन्होंने 2003 से 2006 तक तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष पद की भी जिम्मेदारी संभाली थी। दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु और केरल में भाजपा को मजबूत करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
कार्य
राधाकृष्णन ने ये किए उल्लेखनीय काम
भाजपा तमिलनाडु अध्यक्ष रहते हुए 2004-2007 के दौरान उन्होंने 93 दिन की रथ यात्रा निकाली थी, जिसका उद्देश्य नदियों को आपस में जोड़ना, आतंकवाद के खिलाफ जागरूकता और अस्पृश्यता उन्मूलन था। वह संसद में वे वस्त्र उद्योग पर स्थायी समिति के अध्यक्ष भी रहे थे। इसके साथ ही कई वित्तीय और सार्वजनिक उपक्रमों से जुड़ी समितियों में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। उन्होंने कोयंबटूर के वीओ चिदंबरम कॉलेज से BBA की डिग्री प्राप्त की है।
कारण
भाजपा के राधाकृष्णन को क्यों घोषित किया उपराष्ट्रपति उम्मीदवार?
राधाकृष्णन अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में शामिल गाउंडर की उपजाति कोंगु वेल्लालर हैं। अन्नामलई और AIADMK नेता ई पलनीस्वामी भी इसी जाति से हैं। AIADMK के साथ गठबंधन के लिए जब भाजपा ने प्रदेशाध्यक्ष के रूप में अन्नामलई को बदल दिया था तो उसके बाद चर्चा थी कि इस उपजाति के वोट भाजपा से दूर जा सकते हैं। तमिलनाडु में अगले साल चुनाव हैं। ऐसे में राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति बनाने का कदम खोई हुई साख वापस हासिल करना है।
समर्थन
चंद्रबाबू नायडू ने किया समर्थन का ऐलान
तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने NDA द्वारा उपराष्ट्रपति पद के रूप में राधाकृष्णन के नाम की घोषणा पर उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन एक वरिष्ठ और प्रतिष्ठित नेता हैं, जिन्होंने देश सेवा में लंबे समय तक उल्लेखनीय योगदान दिया है। TDP इस नामांकन का गर्मजोशी से स्वागत करती है और चुनाव में पूर्ण समर्थन देने का वचन देती है।
चुनाव
कब है उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव?
उपराष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है। चुनाव कार्यक्रम के अनुसार, एक से अधिक उम्मीदवार होने पर 9 सितंबर को चुनाव होगा और उसी दिन मतगणना की जाएगी। NDA को निर्वाचक मंडल में शामिल 781 सदस्यों में कम से कम 422 सदस्यों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल है। ऐसे में अगर चुनाव होता है तो सत्तारूढ़ NDA गठबंधन के उम्मीदवार की जीत तय है।
पृष्ठभूमि
धनखड़ ने 21 जुलाई को दिया था इस्तीफा
बता दें कि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गत 21 जुलाई को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन ही स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद से यह पद खाली है। धनखड़ के इस्तीफे में लिखा था, "स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए मैं संविधान के अनुच्छेद 67(A) के तहत तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं।"