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दुनिया के 100 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में सबसे ज्यादा भारत के 46 शहर
दुनिया के 100 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में भारत और चीन के 88 शहर

दुनिया के 100 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में सबसे ज्यादा भारत के 46 शहर

Nov 22, 2021
02:46 pm

क्या है खबर?

हर साल दिवाली के बाद दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक हो जाता है और लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है। भारत के साथ-साथ पड़ोसी देश भी वायु प्रदूषण चुनौती से जूझ रहे हैं। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 100 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में भारत, चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के सबसे ज्यादा शहर हैं और यहां की हवा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बनी हुई है।

वायु प्रदूषण

100 सबसे प्रदूषित शहरोें में भारत के 46

हवा की गुणवत्ता पर नजर रखने वाले IQAir के अनुसार, 2020 में 100 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से भारत के 46, चीन के 42, पाकिस्तान के छह, बांग्लादेश के चार, इंडोनेशिया और थाईलैंड के एक-एक शहर शामिल थे। इन सभी शहरों में हवा की PM2.5 गुणवत्ता रेटिंग 50 के पार थी। इसका मतलब यहां की हवा में सांस लेना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। सबसे प्रदूषित 10 शहरों में से नौ भारत के हैं।

जानकारी

चीन का होटान सबसे अधिक प्रदूषित शहर

2020 में चीन का होटान सबसे प्रदूषित शहर रहा। सूची में दूसरे स्थान पर गाजियाबाद, तीसरे पर बुलंदशहर, चौथे पर बिसरख जलालपुर, पांचवें पर भिवाड़ी, छठे पर नोएडा, सातवें पर ग्रेटर नोएडा, आठवें पर कानपुर, नौेंवें पर लखनऊ और 10वें स्थान पर दिल्ली है।

खतरा

भारत में जानलेवा होता जा रहा है प्रदूषण

मेडिकल जर्नल लान्सेट के मुताबिक, 2019 में वायु प्रदूषण के कारण भारत में 16 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई थी। प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन की जगह रसोई गैस का इस्तेमाल बढ़ने से 1990 के बाद घरों में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतें कम हुई हैं, लेकिन वातावरण में फैले प्रदूषण तत्व अधिक घातक साबित हो रहे हैं। यहां वाहनों और उद्योगों से निकलने और पराली जलाने से होने वाला धुआं प्रदूषण की मुख्य वजहों में शामिल है।

जानकारी

प्रदूषण का स्वास्थ्य पर असर

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि हर साल वायु प्रदूषण से 70 लाख मौतें होती हैं। वायु प्रदूषण व्यक्ति के दिमाग, आंखों, फेफड़ों और दिल पर असर डालता है और इसके कारण कैंसर से लेकर डायबिटीज तक होने का खतरा रहता है।

वायु प्रदूषण

प्रदूषित इलाके में रहती है दुनिया की 90 फीसदी आबादी

सितंबर में WHO ने हवा की गुणवत्ता को लेकर नई और कड़ी गाइडलाइन जारी की थी। इसमें मनुष्य की सेहत के लिए सुरक्षित समझे जाने वाले प्रदूषक तत्वों के स्तर को कम किया गया था। WHO का कहना है कि दुनिया की 90 फीसदी आबादी उन प्रदूषित इलाकों में रहती है, जो पुराने मानकों के हिसाब से भी सुरक्षित नहीं थे। अब कड़ी गाइडलाइन आने के बाद ऐसी आबादी की मात्रा बढ़ने वाली है।

वायु प्रदूषण

हवा में PM की मौजूदगी खतरनाक

हवा में पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5, PM10, ओजोन, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड और कार्बन मोनोक्साइड के स्तर के आधार पर गुणवत्ता मापी जाती है। पार्टिकुलेट मैटर अत्यंत सूक्ष्म कण है, जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। हवा में PM 2.5 और PM10 की मौजूदगी को सबसे खतरनाक माना जाता है। इनका व्यास क्रमश: 2.5 μm और 10μm होता है, जबकि इंसान के बाल का व्यास 50 से लेकर 70 μm तक होता है।