
#NewsBytesExplainer: दशकों पुराने जगुआर विमानों को क्यों इस्तेमाल कर रहा है भारत? जानें खासियत और कमजोरी
क्या है खबर?
राजस्थान के चूरू में भारतीय वायु सेना का एक लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। समाचार एजेंसी ANI ने बताया है कि यह जगुआर विमान है। इस हादसे में 2 लोगों की मौत हो गई है और आसपास के इलाके में मलबा फैल गया है। इस साल के केवल 6 महीनों में ही जगुआर का ये तीसरा हादसा है, जिसने इन विमानों की श्रमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आइए जगुआर के बारे में जानते हैं।
विमान
1960 के दशक में बनाए गए थे जगुआर विमान
1960 के दशक में ब्रिटेन और फ्रांस ने मिलकर लगुआर विमानों का निर्माण शुरू किया था। दरअसल, इसी दशक में ब्रिटिश रॉयल वायुसेना और फ्रांसीसी वायु सेना ने एक नई सक्षम विमान प्रणाली की जरुरत महसूस की। इसके लिए 1965 में दोनों देशों ने औपचारिक रूप से एक समझौता किया। इस साझेदारी को यूरोपियन प्रॉडक्शन कंपनी फॉर द कॉम्बैट एंड टैक्टिकल सपोर्ट एयरक्राफ्ट (SEPECAT) नाम दिया गया। इस विमान ने 1968 में पहली उड़ान भरी थी।
देश
कौन-कौनसे देश इस्तेमाल करते हैं जगुआर विमान?
जगुआर को फ्रांस, ब्रिटेन, भारत, ओमान, इक्वाडोर और नाइजीरिया इस्तेमाल करते हैं। भारत इन विमानों का सबसे बड़ा आयातक है। भारत में इस विमान के अलग-अलग वैरिएंट का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) करता है। जुलाई, 2005 में फ्रांस और अप्रैल 2007 में ब्रिटेन ने इन विमानों को सेवा से हटा दिया था, लेकिन भारत अभी भी इनका इस्तेमाल कर रहा है। इसका इस्तेमाल मॉरिटानिया, चाड, इराक, बोस्निया और पाकिस्तान में कई संघर्षों और सैन्य अभियानों में किया गया है।
भारत
भारतीय वायुसेना में कैसे शामिल हुए जगुआर विमान?
भारत ने 1970 और 1980 के दशक में HAL के साथ मिलकर जगुआर विमानों को अपनी वायुसेना में शामिल किया था। ये 1987 से 1990 के बीच श्रीलंका में भारतीय शांति सेना के मिशन के दौरान इसने महत्वपूर्ण जासूसी और निगरानी मिशन अंजाम दिए। 1999 के करगिल युद्ध में जगुआर ने ऊंचे और कठिन इलाकों में अनगाइडेड और लेजर-गाइडेड बमों से दुश्मन की चौकियों को निशाना बनाया। फिलहाल वायुसेना के पास 120 के आसपास जगुआर विमान हैं।
खासियत
क्या है विमानों की खासियत?
जगुआर डबल इंजन वाला एक हल्का लड़ाकू विमान है, जो जमीन और हवा दोनों से मार कर सकता है। ये 1,700 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 36,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने में सक्षम है। एक खाली जगुआर का वजन 7,700 किलोग्राम होता है और ये अपने साथ भारी बम और मिसाइलें ले जा सकता है। इसमें आधुनिक एवियोनिक्स जैसे रडार, संचार प्रणाली और सेंसर और शक्तिशाली हथियार प्रणालियां मौजूद हैं।
कमजोरी
क्या है जगुआर विमानों की कमजोरी?
जगुआर विमान 70-80 के दशक में भले ही आधुनिक हो, लेकिन अब ये काफी पिछड़ चुके हैं। भारत को छोड़कर सभी देश इन्हें अपने बेड़े से हटा चुके है। 2013 में इन विमानों को अपग्रेड करने का प्रोग्राम शुरू किया गया था। इसके तहत 120 विमानों को आधुनिक तकनीकों से लैस किया गया, लेकिन ये पुराने विमान को केवल नया दिखाने का प्रयास था। कभी इसकी ताकत रही नीची उड़ान क्षमता अब आधुनिक रडारों के सामने कमजोरी बन गई है।
हादसे
5 महीने में 3 जगुआर हुए हादसे का शिकार
इससे पहले 2 अप्रैल को गुजरात के जामनगर में जगुआर विमान हादसे का शिकार हो गया था। इसमें 28 वर्षीय पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव की मौत हो गई थी। यादव नियमित प्रशिक्षण उड़ान पर थे। उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद ये हादसा हो गया था। 7 मार्च को हरियाणा के अंबाला में जगुआर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हालांकि, पायलट ने समय रहते खुद को इजेक्ट कर लिया था।