
#NewsBytesExplainer: घटती विदेशी मुद्रा, बढ़ता कर्ज और शेयर बाजार में गिरावट; क्या ढह जाएगी पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था?
क्या है खबर?
भारत से जारी तनाव के बीच पाकिस्तान के लिए आर्थिक मोर्चे पर भी हालात अच्छे नहीं है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम हो रहा है, कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है और भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तानी शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी है।
वैश्विक वित्त और रेटिंग एजेंसियों ने भी पाकिस्तान की चिंताए बढ़ा दी हैं।
आइए जानते हैं क्या पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खतरे में है।
विदेशी मुद्रा भंडार
केवल 3 महीने का विदेशी मुद्रा भंडार बचा
पाकिस्तान के पास फिलहाल 15 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बचा है। ये केवल 3 महीने के लिए पर्याप्त है। वहीं, भारत के पास करीब 11 महीने तक चलने लायक विदेशी मुद्रा भंडार है।
पाकिस्तान सरकार ने विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर रखने के लिए कदम उठाना शुरू कर दिए हैं। हाल ही में सरकार ने कीमती धातुओं, आभूषणों और रत्नों के आयात और निर्यात पर 60 दिन का प्रतिबंध लगा दिया है।
कर्ज
कर्ज में डूबी अर्थव्यवस्था
पाकिस्तान पर फिलहाल 10 लाख करोड़ से भी ज्यादा का बाहरी कर्ज है। ये उसके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का करीब 90 प्रतिशत है।
इनमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक, चीन और एशियाई विकास बैंक (ADB) का कर्ज शामिल है।
9 मई को IMF के कार्यकारी बोर्ड की बैठक होने वाली है। इसमें पाकिस्तान के लिए जारी 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की समीक्षा की जाएगी। भारत इसे रुकवाने की कोशिश कर रहा है।
शेयर बाजार
शेयर बाजार में 4 सालों की सबसे बड़ी गिरावट
पहलगाम हमले के बाद से पाकिस्तानी शेयर बाजार का मुख्य सूचकांक कराची स्टॉक एक्सचेंज 100 इंडेक्स (KSE-100) करीब 13 प्रतिशत गिर चुका है।
आज KSE-30 में 7.2 प्रतिशत की बड़ी गिरावट देखने को मिली। हालत इतनी खराब हुई कि लोअर सर्किट लगने के बाद व्यापार रोकना पड़ा।
पाकिस्तानी शेयर बाजार में ये 2021 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, निवेशकों को इससे करीब 5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
एजेंसी
मूडीज ने भी दिए संकेत
वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने हाल ही एक रिपोर्ट में कहा कि मौजूदा तनाव के कारण बाहरी ऋण दबाव बढ़ने के अलावा IMF कार्यक्रम पर पाकिस्तान की प्रगति पर भी असर पड़ने की संभावना है।
मूडीज ने कहा, "भारत के साथ तनाव में निरंतर वृद्धि से पाकिस्तान की वृद्धि पर असर पड़ेगा और सरकार के चालू राजकोषीय समेकन में बाधा आएगी। इससे व्यापक आर्थिक स्थिरता हासिल करने में पाकिस्तान की प्रगति पीछे चली जाएगी।"
विशेषज्ञ
क्या कह रहे हैं जानकार?
फाइनेंशियल टाइम्स में एक लेख में सिटीग्रुप के यूसुफ नजर ने लिखा, "किसी भी तरह की सैन्य वृद्धि विदेशी पूंजी बाजारों और द्विपक्षीय वित्तपोषण तक पहुंच को खतरे में डाल सकती है, जिससे पुनर्भुगतान की चुनौतियां बढ़ सकती हैं और भंडार पर दबाव पड़ सकता है। बढ़ते भू-राजनीतिक जोखिम के कारण IMF कार्यक्रम खुद ही पटरी से उतर सकता है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, जो IMF कार्यक्रम के तहत अस्थायी सुधार दिखा रही थी, ध्वस्त हो सकती है।"
हमला
पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान में तनाव
22 अप्रैल को पाकिस्तानी आतंकियों ने पहलगाम में पर्यटकों पर हमला किया था। इसमें 26 लोग मारे गए थे।
इसके जवाब में भारत ने सिंधु जल संधि रद्द करने समेत कई कूटनीतिक कदम उठाए थे।
भारत ने 6-7 मई की रात ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया था, जिमसें 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए।
अगले दिन पाकिस्तान ने 15 शहरों पर हमला करने की कोशिश की, जिसे भारत ने नाकाम कर दिया।