
भारत के 'टाइगर मैन' वाल्मीक थापर का 73 वर्ष की आयु में निधन
क्या है खबर?
भारत के प्रसिद्ध वन्यजीव संरक्षणवादी, लेखक और बाघों के अथक संरक्षक वाल्मीक थापर का शनिवार को 73 वर्ष की उम्र में नई दिल्ली स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। वह लंबे वक्त से कैंसर से जूझ रहे थे।
थापर ने जीवनभर भारतीय वन्यजीव, विशेषकर बाघों के संरक्षण के लिए अभूतपूर्व योगदान दिया।
यही वजह है कि उन्हें भारत का 'टाइगर मैन' भी कहा जाता था। उनका निधन भारत के पर्यावरण संरक्षण क्षेत्र के लिए गहरी क्षति है।
सफर
प्रकृति प्रेम की शुरुआत और समर्पण
थापर का जन्म 1952 में दिल्ली में हुआ था। उनका झुकाव बहुत कम उम्र से ही प्रकृति और वन्यजीवों की ओर हो गया था।
उन्होंने अपनी शिक्षा के बाद अपना अधिकांश जीवन राजस्थान के रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में बिताया, जहां उन्होंने न सिर्फ बाघों के व्यवहार और जीवनचक्र का अध्ययन किया, बल्कि संरक्षण के ठोस प्रयास भी किए।
उन्होंने 1988 में रणथंभौर फाउंडेशन की सह-स्थापना की। यह संगठन स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर संरक्षण की दिशा में कार्य करता है।
जागरुकता
थापर ने लेखन और डॉक्युमेंट्री के जरिए किया था जागरूकता लाने का प्रयास
थापर एक प्रतिभाशाली लेखक और कथाकार भी थे। उन्होंने बाघों और भारतीय वन्यजीवों पर 30 से ज्यादा किताबें लिखी थीं।
उनकी लेखनी में तथ्य, अनुभव और भावनाओं का बेहतरीन समन्वय है।
उन्होंने कई डॉक्युमेंट्री फिल्मों के जरिए बाघों की दुर्दशा, मानव-पशु संघर्ष, और संरक्षण की अनिवार्यता को आम जनता के सामने रखा।
उन्होंने प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड समेत 150 से ज्यादा सरकारी पैनल और टास्क फोर्स में काम भी किया।