रूस-यूक्रेन तनाव का भारतीय बाजार और लोगों पर क्या असर पड़ेगा?
रूस और यूक्रेन के बीच इस समय उच्च स्तरीय तनाव बना है। रूस ने यूक्रेन से सटी अपनी सीमा पर सैनिकों की संख्या में इजाफा कर दिया है। सैटेलाइट इमेजों में इसका खुलासा भी हो गया है। इससे दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका बढ़ गई है। यदि ऐसा होता है तो इसका सीधा प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ भारतीय बाजार और लोगों पर दिखाई देगा। आइए जानते है कि रूस-यूक्रेन तनाव का भारतीय बाजार पर क्या असर पड़ेगा?
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हो सकता है बढ़ा इजाफा
रूस-यूक्रेन तनाव के कारण भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा हो सकता है। रूस कच्चे तेल के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। ऐसे में वहां से इसकी आपूर्ति कम होने के कारण वैश्विक बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें मंगलवार को 98 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। यह सितंबर 2014 के बाद से सबसे अधिक है। इसी के साथ भारतीय बास्केट में कच्चे तेल की कीमत 93.6 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई।
100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच जाएगी कीमतें
रूस और यूक्रेन के मौजूदा संकट के बीच आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से पार पहुंच जाएगी। इसका वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर सीधा असर देखने को मिलेगा। जेपी मॉर्गन के विश्लेषण में कहा गया है कि कच्चे तेल की कीमतों में 150 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से वैश्विक GDP विकास दर घटकर 0.9 प्रतिशत रह जाएगी। इसका सीधा असर भारतीय बाजार में भी देखने को मिलेगा।
भारत में सात-आठ रुपये प्रति लीटर महंगा हो सकता है पेट्रोल-डीजल
4 नवंबर, 2021 को केंद्र सरकार ने डीजल पर 10 रुपये और पेट्रोल पर पांच रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी। उस दौरान भारतीय बास्केट में कच्चे तेल की कीमत 83 डॉलर प्रति बैरल थी। उसके बाद से इसमें 10 डॉलर का इजाफा हो चुका है। बॉलपार्क के अनुसार, कच्चे तेल की कीमत में एक डॉलर के इजाफे से खुदरा दर 70-80 पैसे तक बढ़ती है। ऐसे में भारत में सात-आठ रुपये प्रति लीटर का इजाफा हो सकता है।
विधानसभा चुनावों के बाद बढ़ सकती है तेल की कीमतें
केंद्र सरकार ने पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों को देखते हुए पिछले साल नवंबर से तेल की कीमतों में इजाफा नहीं किया है। ऐसे में उम्मीद है कि सरकार ने 10 मार्च को चुनाव परिणाम के बाद कीमतों में इजाफा कर सकती है।
प्राकृतिक गैस की कीमतों में भी होगी बढ़ोतरी
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) बास्केट में कच्चे तेल से संबंधित उत्पादों की प्रत्यक्ष हिस्सेदारी नौ प्रतिशत से अधिक है। इसलिए, ब्रेंट क्रूड की कीमतों में बढ़ोतरी भारत की WPI मुद्रास्फीति में लगभग 0.9 प्रतिशत का इजाफा कर देगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध होता है तो घरेलू प्राकृतिक गैस (CNG, PNG और बिजली) की कीमतें 10 गुना तक बढ़ सकती है। इसी तरह LPG और केरोसिन की सब्सिडी भी बढ़ेगी।
ऊंचाई पर पहुंच सकती है गेहूं की कीमतें
विशेषज्ञों की माने तो रूस-यूक्रेन तनाव की वजह से काला सागर में अनाजों के सप्लाई में बाधा आने पर खाद्य पदार्थों की कीमतें भी बढ़ेंगी। रूस दुनिया का सबसे बड़ा और यूक्रेन चौथा बड़ा गेहूं निर्यातक देश है। दुनिया में गेहूं की कुल खरीद का 25 प्रतिशत यहीं से आता है। ऐसे में यदि दोनों देशों के बीच युद्ध होता है तो इसका सीधा असर गेहूं के निर्यात पर पड़ेगा और दुनिया में गेहूं संकट पैदा हो सकता है।
कोरोना महामारी की वजह से पहले ही बढ़ी हुई है कीमतें
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी में सप्लाई चेन के बाधित होने से पहले ही खाद्य पदार्तों की कीमत एक दशक में अपने उच्चतम स्तर पर है। ऐसे में यूक्रेन संकट की वजह से स्थिति और भी खराब हो सकती है।
धातुओं की कीमतें भी बढ़ेंगी
अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी और यूरोपीय देशों द्वारा रूस पर लगाए जा रहे प्रतिबंधों के कारण पैलेडियम, ऑटोमोटिव एग्जॉस्ट सिस्टम और मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाली धातु की कीमतें काफी बढ़ जाएंगी। इनमें अभी से ही इजाफा होनो शुरू हो गया है। बता दें कि पैलेडियम का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश रूस ही है और अगर रूस युद्ध की शुरूआत कर देता है, तो फिर मोबाइल फोन निर्माण पर इसका सीधा असर पड़ेगा।
यूक्रेन में वर्तमान में क्या है स्थिति?
वर्तमान में यूक्रेन में हालात काफी तनावपूर्ण है। रूस ने दक्षिणी बेलारूस और यूक्रेन की सीमा के पास कई अन्य जगहों पर अपनी सेना और दूसरे साजो-सामान की मौजूदगी बढ़ा दी है। इसके पहले मंगलवार को रूस ने संसद में प्रस्ताव लेने के बाद यूक्रेन के दो विद्रोही इलाकों लुहान्स्क और दोनेत्स्क को स्वतंत्र क्षेत्र के तौर पर मान्यता दे दी। अमेरिका सहित पश्चिमी और यूरोपीय देशों ने इसका विरोध करते हुए रूस पर प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए हैं।