कोरोना वायरस: अमेरिका में 8 लाख के पार हुई मृतकों की संख्या, बुजुर्ग सबसे अधिक प्रभावित
कोरोना वायरस महामारी से सबसे अधिक प्रभावित अमेरिका में संक्रमण से मरने वालों की संख्या आठ लाख के दुर्भाग्यपूर्ण आंकड़े को पार कर गई है। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार, अमेरिका में अभी तक कुल 8,00,473 लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हो चुकी है। ये पूरी दुनिया में हुई मौतों के 15 प्रतिशत से ज्यादा है। वैश्विक स्तर पर 53.23 लाख लोग कोरोना संक्रमण से दम तोड़ चुके हैं।
रोजाना औसतन हो रही 1,000 से ज्यादा मौतें, बुजुर्ग सबसे अधिक प्रभावित
अमेरिका में अभी रोजाना औसतन 1,000 से अधिक मौतें हो रही हैं और अक्टूबर के बाद से यहां एक लाख से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमण से मर चुके हैं। 65 साल से अधिक उम्र के लोग महामारी से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं और 75 प्रतिशत मौतें इसी आयु वर्ग में हुई हैं। बुजुर्गों पर महामारी के प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस वर्ग के हर 100 लोगों पर एक की मौत हुई है।
अमेरिका में संक्रमितों की संख्या 5 करोड़ पार
संक्रमण के मामलों की बात करें तो अमेरिका में पांच करोड़ से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इस मामले में भी वह दुनिया में पहले नंबर पर है। देश में पिछले कुछ दिनों से ओमिक्रॉन वेरिएंट बेहद तेजी से फैल रहा है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार, 11 दिसंबर को समाप्त हुए हफ्ते में 2.9 प्रतिशत नए मामले ओमिक्रॉन के रहे। इससे पहले के हफ्ते में ये आंकड़ा मात्र 0.4 प्रतिशत था।
अन्य देशों की क्या स्थिति?
अन्य देशों की बात करें तो मौतों के मामले में अमेरिका के बाद ब्राजील दूसरा सबसे अधिक प्रभावित राज्य है और यहां कोरोना संक्रमण से लगभग 6.17 लाख की मौत हो चुकी है। 4.76 लाख मौतों के साथ भारत तीसरा सबसे अधिक प्रभावित देश है। संक्रमितों की संख्या के मामले में ये स्थिति उलट जाती है और 3.47 करोड़ मामलों के साथ भारत दूसरा सबसे अधिक प्रभावित देश है। 2.21 करोड़ मामलों के साथ ब्राजील तीसरे स्थान पर है।
ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण दहशत में हैं देश
अगले साल से सामान्य स्थिति की तरफ लौटने की कोशिश कर रहे देशों के समीकरणों को कोरोना वायरस के नए ओमिक्रॉन वेरिएंट ने बिगाड़ दिया है और वे इसे रोकने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस वेरिएंट की स्पाइक प्रोटीन में 32 म्यूटेशन हैं और शुरूआती अध्ययनों में इसे मौजूदा वैक्सीनों को काफी हद तक चकमा देने में कामयाब पाया गया है। ये अधिक संक्रामक भी है और इसे अभी तक 77 देशों में पकड़ा जा चुका है।