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    कोरोना संक्रमितों की संख्या का कोई मतलब नहीं, कम गंभीरता दर्शाता है डाटा- कोविड पैनल प्रमुख

    कोरोना संक्रमितों की संख्या का कोई मतलब नहीं, कम गंभीरता दर्शाता है डाटा- कोविड पैनल प्रमुख
    लेखन भारत शर्मा
    Jan 08, 2022, 03:57 pm 1 मिनट में पढ़ें
    कोरोना संक्रमितों की संख्या का कोई मतलब नहीं, कम गंभीरता दर्शाता है डाटा- कोविड पैनल प्रमुख
    कोरोना संक्रमण की जांच करते चिकित्साकर्मी।

    कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के सामने आने के बाद से देश में संक्रमितों की संख्या में तेज रफ्तार से इजाफा हो रहा है। इससे सरकार और चिकित्सा विशेषज्ञ खासे चिंतित है। इसी बीच राष्ट्रीय कोविड सुपरमॉडल समिति के प्रमुख डॉ एम विद्यासागर ने कहा है कि देश में प्रतिदिन सामने आ रहे नए संक्रमितों की संख्या को देखने का कोई मतलब नहीं है। अब तक सामने आए डाटा से स्पष्ट है कि यह बीमारी ज्यादा गंभीर नहीं है।

    क्या है राष्ट्रीय कोविड सुपरमॉडल समिति?

    बता दें कि कोरोना महामारी की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में महामारी के संभावित प्रसार का अनुमान लगाने के लिए राष्ट्रीय कोविड सुपरमॉडल समिति का गठन किया था। प्रोफेसर विद्यासागर की अध्यक्षता वाली इस सुपरमॉडल समिति में IIT कानपुर के प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल और सेना चिकित्सा सेवा की उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानिटकर को भी शामिल किया गया था। यह समिति गणितीय मॉडल के आधार पर महामारी का आंकलन करती है।

    "वायरस के प्रसार को रोकना है असंभव"

    राष्ट्रीय कोविड सुपरमॉडल समिति के प्रमुख होने के साथ हैदराबाद में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के प्रोफेसर विद्यासागर ने न्यूज 18 से कहा, "ओमाइक्रोन वेरिएंट से संक्रमित मिले लोगों की कमजोर संख्या हालातों की भयावहता को उजागर करने के लिए एक उपयुक्त उपाय नहीं है।" उन्होंने कहा, "वायरस के प्रसार को रोकना असंभव है, क्योंकि अधिक म्यूटेशन वैक्सीन से मिलने वाली इम्यूनिटी को चकमा देता है और शरीर को कमजोर बनाता है।"

    लॉकडाउन और पाबंदियों के लिए नहीं देखनी चाहिए संक्रमितों की संख्या- विद्यासागर

    डॉ विद्यासागर ने कहा, "हमें स्कूलों, कार्यालयों को बंद करने या लॉकडाउन लागू करने के लिए प्रतिदिन के संक्रमितों की संख्या को देखना बंद करना होगा। बचाव नहीं होने के कारण मामले तो बढ़ेंगे, लेकिन इससे गंभीर बीमारी नहीं होगी। यह ऐसा है जैसे सर्दियों में लोग सामान्य तौर पर बीमार होते हैं।" उन्होंने कहा, "संक्रमण तो फैलेगा चाहे कुछ भी हो और लॉकडाउन वायरस को फैलने से नहीं रोकेगा, लेकिन इससे दहशत फैलाने वालों पर लगाम कसेगी।"

    "संक्रमित होंगे, लेकिन गंभीर बीमार नहीं होंगे"

    डॉ विद्यासागर ने कहा, "प्रतिदिन मामलों की संख्या बढ़ेगी, लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है। लोग टेस्ट में वायरस से संक्रमित पाए जाएंगे, लेकिन उनमे बीमारी का गंभीर रूप नहीं मिलेगा। ऐसे में आप वायरस के चपेट में तो आएंगे, लेकिन गंभीर लक्षण नहीं होंगे।"

    ओमिक्रॉन वेरिएंट पर पूर्व में लगाया अनुमान गलत साबित हुआ

    दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन के बाद हुई स्थिति के आधार पर पहले अनुमान लगाया गया था कि यह वेरिएंट डेल्टा की तुलना में 2.2 गुना तेजी से फैलता है और वैक्सीन को भी चकमा देता है। डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ मिली इम्यूनिटी को भी 50 प्रतिशत तक चकमा दे सकता है। इसमें फरवरी के मध्य में देश में प्रतिदिन 1.5 लाख मामले होने का अनुमान लगाया था, लेकिन वर्तमान स्थिति में यह पूरी तरह से गलत साबित हो गया है।

    गंभीर बीमारी होने की कम संभावना दिखाता है डाटा- विद्यासागर

    डॉ विद्यासागर ने कहा, "ताजा डाटा बताता है कि ओमिक्रॉन भी डेल्टा वेरिएंट जितना ही संक्रामक है। यह प्राकृतिक इम्यूनिटी को 70-100 प्रतिशत तक चकमा दे सकता है। ऐसे में देश में प्रतिदिन संक्रमण के मामलों की संख्या बहुत अधिक होगी। इसका कारण है कि इसका कोई बचाव ही नहीं है।" उन्होंने आगे कहा, "अस्पताल में भर्ती होने और ऑक्सीजन की बहुत कम आवश्यकता होगी। ऐसे में संक्रमितों की संख्या कोई मायने नहीं रखती है।"

    दक्षिण अफ्रीका की तुलना में काफी अच्छी है भारत की स्थिति

    डॉ विद्यासागर ने कहा कि ओमिक्रॉन की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका में 12 प्रतिशत मरीज अस्पताल में भर्ती हो रहे थे, लेकिन भारत में यह 3.5 प्रतिशत ही है। इसी तरह ओमिक्रॉन का प्रकोप झेल रहे यूनाइटेड किंगडम में यह एक प्रतिशत ही है।

    बेहद खराब स्थिति में क्या होगी भारत की हालत?

    डॉ विद्यासागर ने कहा, "मान लीजिए सबसे खराब स्थिति में भारत में प्रतिदिन 10 लाख मामले सामने आते हैं। ऐसे में 3.5 प्रतिशत के हिसाब से 35,000 मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होगी और इनमें से 1.3 प्रतिशत यानी 13,000 मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत होगी।" उन्होंने कहा, "ओमिक्रॉन संक्रमण में मरीजों को पांच दिन में ही अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है, जबकि डेल्टा में यह समय 10-15 दिन था। तो घबराने की जरूरत नहीं है।"

    भारत में क्या है कोरोना संक्रमण की स्थिति?

    भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से संक्रमण के 1,41,986 नए मामले सामने आए और 285 मरीजों की मौत दर्ज हुई। इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 3,53,68,372 हो गई है। इनमें से 4,83,463 लोगों की मौत हुई है। सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 4,72,169 हो गई है। ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण देश में मामलों में ये उछाल देखने को मिल रहा है और सरकार ने कहा है कि तीसरी लहर शुरू हो चुकी है।

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