
इनकम टैक्स देनदारी नहीं होने पर भी क्यों भरनी चाहिए ITR? जानिए इसके फायदे
क्या है खबर?
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की अंतिम तारीख (15 सितंबर) नजदीक आने के साथ-साथ इस कार्य में तेजी आ गई है। आयकरदाता टैक्स बचाने की जुगत में लगे हैं तो वहीं टैक्स के दायरे से बाहर वाले निश्चिंत बैठे हैं। ज्यादातर लोग मानते हैं कि जब उन्हें टैक्स देना ही नहीं है तो ITR दाखिल करने की जरूरत भी क्या है। आज हम आपको बताते हैं कि जीरो टैक्स देनदारी के बावजूद रिटर्न दाखिल करना क्यों जरूरी है।
टैक्स दायरा
कितनी आय पर है इनकम टैक्स में छूट?
नई कर व्यवस्था के तहत 4 लाख रुपये तक का सालाना वेतन पाने वाले लोगों को इनकम टैक्स में छूट दी गई है, जो पहले 2.5 लाख रुपये तक की वेतन पर थी। इस वेतन सीमा से भीतर वाले लोगों को की टैक्स देनदारी शून्य होती है। सालाना 12 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को भी आयकर नहीं देना होता है। जीरो टैक्स देनदारी के बावजूद, अगर आप ITR फाइल करते हैं तो इसके कई फायदे मिलते हैं।
प्रमाण
ये काम हो जाते हैं आसान
वित्तीय प्रमाण: ITR आपके लिए एक तरह से वित्तीय प्रमाण (फाइनेंशियल प्रूफ) का काम करता है। चाहे लोन लेना हो या फिर वीजा के लिए आवेदन करना हो, आपसे ITR मांगा जाता है। यह आपके वित्तीय लेनदेन का लेखा-जोखा दिखाता है। लोन और क्रेडिट कार्ड में आसानी: हर साल ITR दाखिल करने वालों को बैंक से लोन या क्रेडिट कार्ड लेने में भी आसानी होती है। यह आपका क्रेडिट स्कोर कम होने पर बहुत उपयोगी हो जाता है।
रिफंड
रिफंड को बनाता है आसान
TDS रिफंड में आसानी: टैक्स के दायरे में नहीं आने पर भी बैंक आपके फिक्स्ड डिपॉजिट या बचत खाते के ब्याज पर TDS काटता है तो ITR फाइल करके आप कटे हुए टैक्स को रिफंड करा सकते हैं। घाटे को करें कैरी फॉरवर्ड: इसमें शेयर या म्यूचुअल फंड में निवेश में हुए घाटे को अगले साल कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं। अगर, आप टैक्स दायरे में भी आ गए हैं तो घाटे से टैक्सेबल इनकम कम हो सकती है।