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    'ओमिक्रॉन' के खतरे के बीच सामने आया 'डेल्मिक्रॉन' क्या है?
    ओमिक्रॉन के खतरे के बीच सामने आया डेल्मिक्रॉन।

    'ओमिक्रॉन' के खतरे के बीच सामने आया 'डेल्मिक्रॉन' क्या है?

    लेखन भारत शर्मा
    Dec 25, 2021
    03:31 pm

    क्या है खबर?

    कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन ने दुनियाभर में खलबली मचा रखी है। यह यूरोप और अमेरिका में तेजी से पैर पसार रहा है और भारत में भी इसके मामले बढ़ रहे हैं।

    इसी बीच 'डेल्मिक्रॉन' नाम का नया खतरा सामने आ गया है। कई वैज्ञानिकों ने इस पर चिंता जताते हुए लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है।

    ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर डेल्मिक्रॉन क्या है और यह ओमिक्रॉन की तुलना में कितना खतरनाक है।

    सवाल

    आखिर क्या है डेल्मिक्रॉन?

    स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, डेल्मिक्रॉन कोरोना के ओमिक्रॉन और डेल्टा वेरिएंट का संयोजन है, यानि कि एक साथ डेल्टा और ओमिक्रॉन संक्रमण हो जाने की स्थिति को डेल्मिक्रॉन का नाम दिया गया है।

    भारत में डेल्मिक्रॉन शब्द का उल्लेख सबसे पहले महाराष्ट्र की कोरोना टास्क फोर्स के विशेषज्ञ डॉ शशांक जोशी ने किया था।

    उन्होंने कहा कि यूरोप और अमेरिका में डेल्टा और ओमिक्रॉन के संयोजन स्पाइक्स से बने डेल्मिक्रॉन के कारण ही मामलों में तेज उछाल आया है।

    वेरिएंट

    क्या कोरोना वायरस का नया वेरिएंट या म्यूटेशन है डेल्मिक्रॉन?

    नहीं, डेल्मिक्रॉन कोरोना वायरस का नया वेरिएंट या म्यूटेशन नहीं है। यह शब्द उसी स्थिति में उपयोग में लिया जा रहा है जब कोई व्यक्ति कोरोना वायरस के डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों वेरिएंट से संक्रमित होता है। कोरोना के ये दोनों वेरिएंट भारत सहित कई देशों में सामने आ चुके हैं।

    विशेषज्ञ ऐसा मान रहे हैं कि डेल्टा और ओमिक्रोम के मिलने से दुनिया में महामारी की एक नई लहर सामने आ सकती है, जो बेहद गंभीर प्रभाव दिखाएगी।

    जानकारी

    कैसे बना है डेल्मिक्रॉन?

    विशेषज्ञों का मानना है कि डेल्मिक्रॉन में डेल्टा और ओमिक्रॉन के जुड़वां स्पाइक प्रोटीन हैं। इसकी वजह से ही डेल्मिक्रॉन ज्यादा घातक असर दिखा रहा है। स्पाइक प्रोटीन के कारण ही वायरस मानव शरीर की कोशिका में घुसने के दरवाजे खोलता है।

    खतरा

    किन लोगों में है डेल्मिक्रॉन का सबसे अधिक खतरा?

    विशेषज्ञों के अनुसार, डेल्मिक्रॉन फैलने का खतरा कमजोर इम्यूनिटी वाले, बुजुर्गों और एक से अधिक बीमारियों से जूझ रहे लोगों में सबसे ज्यादा है।

    इसी तरह अब तक वैक्सीन नहीं लगवाने वाले लोग भी इसकी चपेट में आसानी से आ सकते हैं। ऐसे में जिन क्षेत्रों में अभी वैक्सीनेशन की रफ्तार धीमी है, वहां डेल्मिक्रॉन कहर बरपा सकता है।

    ऐसे में इससे बचने के लिए सबसे आवश्यक है कि वैक्सीनेशन की रफ्तार को बढ़ाया जाए।

    लक्षण

    क्या है डेल्मिक्रॉन के प्रमुख लक्षण?

    विशेषज्ञों के अनुसार, डेल्मिक्रॉन के कोई विशेष लक्षण नहीं हैं और यहां तक कि अभी तक आधिकारिक तौर पर किसी का मूल्यांकन भी नहीं किया गया है।

    अब तक, डेल्टा और ओमिक्रॉन रोगियों ने बुखार, खांसी, नाक बहना, सिरदर्द और गंध या स्वाद चला जाना सहित अन्य लक्षणों की सूचना दी है।

    हालांकि, अध्ययनों में सामने आया है कि डेल्मिक्रॉन का प्रभाव डेल्टा की तुलना में हल्का होता है। ऐसे में मौत का खतरा कम रहता है।

    बचाव

    डेल्मिक्रॉन की चपेट में आने से कैसे बचा जाए?

    डेल्मिक्रॉन के बारे में अभी ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि नियमित रूप से मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के साथ अन्य सभी कोरोना प्रोटोकॉल के पालन के जरिए इसकी चपेट में आने से बचा जा सकता है।

    इसी तरह वैक्सीनेशन भी प्रमुख हथियार है। अमेरिका में ओमिक्रोन के मामले बढ़ने के बाद सरकार ने वैक्सीन कवरेज और बूस्टर शॉट्स को दोगुना करने पर ध्यान केंद्रित कर दिया है।

    हालात

    अमेरिका और यूरोप में क्या हैं ताजा हालात?

    अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार, दिसंबर के तीसरे सप्ताह में कोरोना संक्रमण के कुल मामलों में से 73 प्रतिशत के लिए ओमिक्रॉन जिम्मेदार है।

    इसी तरह 26.6 प्रतिशत मामले डेल्टा वेरिएंट के हैं। यहां बढ़ते संक्रमण के लिए डेल्मिक्रॉन भी जिम्मेदार हो सकता है।

    इसी तरह यूनाइटेड किंगडम (UK) में महामारी शुरू होने के बाद पहली बार बुधवार को एक लाख नए मामले सामने आए हैं। वहां भी ओमिक्रॉन और डेल्मिक्रॉन का खतरा बताया जा रहा है।

    ओमिक्रॉन

    भारत में 415 पर पहुंची ओमिक्रॉन संक्रमितों की संख्या

    भारत में ओमिक्रॉन के मामलों में तेजी से उछाल आ रहा है। अब तक 17 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इसके 415 मामले सामने आ चुके हैं।

    महाराष्ट्र 108 संक्रमितों के साथ पहले स्थान पर है, वहीं 79 मरीजों के साथ दिल्ली दूसरे स्थान पर है।

    इसी तरह गुजरात (43), तेलंगाना (38), केरल (37), तमिलनाडु (34), कर्नाटक (31), राजस्थान (22), ओडिशा, हरियाणा चार-चार, बंगाल और जम्मी-कश्मीर तीन-तीन, उत्तर प्रदेश दो, चंडीगढ़, लद्दाख, उत्तराखंड में एक-एक मामला है।

    खतरा

    भारत के लिए कितना खतरनाक है डेल्मिक्रॉन?

    विशेषज्ञों की माने तो यदि डेल्मिक्रॉन दुनिया के अन्य हिस्सों में असर दिखा रहा है तो यह भारत के लिए भी खतरा हो सकता है। हालांकि अभी ये कह पाना थोड़ा मुश्किल है।

    डॉ जोशी ने कहा कि भारत में अभी डेल्टा ही प्रभावी वेरिएंट है, लेकिन दुनिया के अन्य देशों में ओमिक्रॉन डेल्टा की जगह ले रहा है। इसके बाद भी अभी यह भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है कि डेल्टा और ओमिक्रॉन मिलकर भारत में कैसे व्यवहार करेंगे।

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