ट्रम्प को पद से हटाने की हो रही तैयारी, जानें क्यों और क्या है इसकी प्रक्रिया
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग (impeachment) की प्रक्रिया को आधिकारिक तौर पर शुरू कर दिया गया है। अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने बुधवार को ये घोषणा की। अगर महाभियोग संसद के दोनों सदनों से पारित हो जाता है तो ट्रम्प को अपना पद छोड़ना होगा। लेकिन क्या ऐसा संभव है और ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग क्यों लाया जा रहा है, आइए इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं।
क्या है महाभियोग?
महाभियोग संवैधानिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति (इस मामले में राष्ट्रपति) को उसके पद से हटाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रक्रिया को कहते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के खिलाफ देशद्रोह, रिश्वत और दूसरे संगीन अपराधों में महाभियोग लाया जा सकता है।
क्यों लाया जा रहा है महाभियोग?
राष्ट्रपति ट्रम्प पर आरोप है कि 25 जुलाई को यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदीमीर जेलेंस्की के साथ फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने अपने प्रतिद्विंदी जो बाइडेन के खिलाफ जांच शुरू करने का दवाब बनाया था। बाइडेन अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से ट्रम्प के खिलाफ मैदान में उतर सकते हैं। बाइडेन और उनके बेटे हंटर बाइडेन का यूक्रेन में व्यापार है और हंटर वहां की एक गैस कंपनी के बोर्ड मेंबर हैं।
"बाइडेन डींगे मारते हैं कि उन्होंने जांच को रुकवाया, आप मामले को देखिए"
व्हाइट हाउस की ओर से जारी फोन बातचीत के ब्यौरे के अनुसार, ट्रम्प ने जेलेंस्की से कहा था कि बाइडेन ने यूक्रेन पर पूर्व अटॉर्नी जनरल विक्टर शौकीन को पद से हटाने के लिए दबाव डाला था। शौकीन का कार्यालय हंटर की कंपनी के खिलाफ जांच कर रहा था। ट्रम्प ने अपनी बातचीत में कहा था कि बाइडेन ये डींगे मारते हैं कि उन्होंने इस जांच को रुकवाया, इसलिए आप इस मामले को देखिए।
इसलिए बिडेन के खिलाफ जांच चाहते हैं ट्रम्प
आरोपों के अनुसार, ट्रम्प राष्ट्रपति चुनाव में बाइडेन के साथ संभावित टक्कर के मद्देनजर चाहते थे कि यूक्रेन उनके नाम पर कीचड़ उछाले और वह चुनाव में इसका फायदा उठाएं। ऐसा न करने पर उन्होंने यूक्रेन की सैन्य सहायता बंद करने की धमकी दी थी।
मुश्किल है महाभियोग की डगर
अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। निचले सदन में डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत है और यहां से महाभियोग का प्रस्ताव पारित हो सकता है। लेकिन असली समस्या अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन सीनेट में आएगी। सीनेट में ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है और यहां महाभियोग के प्रस्ताव को नियमों के मुताबिक दो-तिहाई बहुमत से पारित करना बेहद मुश्किल होगा।
पहले भी उठ चुकी है ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग लाने की मांग
विवादित कार्यालय के दौरान ट्रम्प पर महाभियोग लाने की मांग पहले भी उठी है, लेकिन इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। सबसे पहले पिछले राष्ट्रपति चुनाव में रूस के साथ मिलीभगत के आरोपों में उनके खिलाफ महाभियोग लाने की मांग उठी। इसके बाद चार महिला डेमोक्रेट्स सांसदों के खिलाफ 'नस्लीय टिप्पणी' के लिए ये मांग हुई। दो महिलाओं के साथ अंतरंग संबंधों को गुप्त रखने के लिए पैसे देने के आरोपों में भी महाभियोग की संभावना पर चर्चा हुई थी।
अब तक तीन राष्ट्रपतियों के खिलाफ लाया गया महाभियोग
अमेरिका में अब तक केवल तीन राष्ट्रपतियों के खिलाफ महाभियोग लाया गया है, जिनमें से दो ने इसका सामना किया जबकि एक ने वोटिंग से पहले इस्तीफा दे दिया। सबसे पहले 1868 में राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन के खिलाफ महाभियोग लाया गया था। जॉनसन की नीतियों से असहमत तत्कालीन युद्ध मंत्री एडविन स्टैंचन के अपने पद से इस्तीफा देने के बाद उनके खिलाफ महाभियोग लाया गया था। उनका महाभियोग महज एक वोट से बचा था।
बिल क्लिंटन के खिलाफ भी लाया गया था महाभियोग
महाभियोग का सामना करने दूसरे राष्ट्रपति बिल क्लिंटन थे। 1998 में व्हाइट हाउस में इंटर्न मोनिका लेविंस्की के साथ अफेयर होने के मामले में उन पर जूरी के सामने झूठी गवाही देने का आरोप लगा था। आरोप था कि क्लिंटन ने लेविंस्की के साथ संबंधों को लेकर जूरी से झूठ बोला था और लेविंस्की को भी मामले में झूठ बोलने को कहा था। इन आरोपों में उनके खिलाफ महाभियोग लाया गया जो असफल रहा।
रिचर्ड निक्सन ने दिया था वोटिंग से पहले इस्तीफा
इसके अलावा 1973 में तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के खिलाफ भी वॉटरगेट स्कैंडल महाभियोग लाया गया था। लेकिन निक्सन ने महाभियोग पर वोटिंग से पहले ही 9 अगस्त 1974 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
डेमोक्रेटिक पार्टी को महाभियोग का दांव असफल रहने का डर
अगर ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग सफल रहता है तो वह महाभियोग के जरिए हटने वाले अमेरिका के पहले राष्ट्रपति होंगे। हालांकि इसकी संभावना कम ही नजर आ रही है। डेमोक्रेटिक पार्टी को ये डर है कि अगर महाभियोग असफल रहा तो ये अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में ट्रम्प के लिए मददगार साबित हो सकता है। ट्रम्प दावा करते रहे हैं कि किसी अन्य अमेरिकी राष्ट्रपति की तुलना में उन्हें सबसे ज्यादा दुर्भावना का सामना करना पड़ा है।