भारत-कनाडा में सबकुछ ठीक नहीं? G-20 सम्मेलन में ट्रूडो-मोदी को देख मिले संकेत
क्या है खबर?
भारत की अध्यक्षता में G-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन सफलतापूर्वक हो गया है। अब सम्मेलन का समापन होने के बाद लोगों का ध्यान कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के व्यव्हार पर जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात में गर्मजोशी न होना और कई दूसरे कारणों की वजह से कयास लग रहे हैं कि दोनों देशों के बीच सबकुछ ठीक नहीं है।
आइए समझते हैं कि पूरा मामला क्या है।
सोशल मीडिया
सोशल मीडिया पर दोनों नेताओं ने शेयर नहीं की तस्वीरें
सम्मेलन के पहले दिन जब तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत पहुंचे तो उन्होंने इसकी जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर साझा की। प्रधानमंत्री मोदी ने इन सब नेताओं की पोस्ट पर जाकर उनका भारत आगमन पर स्वागत किया, लेकिन मोदी ने ट्रूडो के साथ एक भी तस्वीर शेयर नहीं की।
इसी तरह ट्रूडो ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक समेत दूसरे नेताओं के साथ तस्वीर शेयर की, लेकिन उनके अकाउंट पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक भी फोटो नहीं है।
बैठक
मोदी-ट्रुडो की द्विपक्षीय बैठक भी नहीं
G-20 शिखर सम्मेलन के अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने करीब 15 नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। उन्होंने सुनक, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज और इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं।
हालांकि, ट्रूडो के साथ किसी तरह की औपचारिक बैठक नहीं हुई। दोनों देश केवल 'पुल असाइड' बैठकों में शामिल हुए।
मुलाकात
मुलाकात में नहीं दिखी गर्मजोशी
सम्मेलन के पहले दिन जब सभी नेता आयोजनस्थल भारत मंडपम पहुंचे तो प्रधानमंत्री मोदी उनके स्वागत के लिए वहां मौजूद थे। उन्होंने सभी नेताओं के गले मिलकर बेहद गर्मजोशी से स्वागत किया।
बाइडन को तो उन्होंने मंच के पीछे लगे कोणार्क चक्र का इतिहास भी बताया, लेकिन ट्रूडो के साथ मामला कुछ अलग रहा। ट्रूडो मोदी से हाथ मिलाकर तुरंत आगे बढ़ गए और दोनों की मुलाकात थोड़ी असहज रही।
समझौता
कनाडा ने रोकी थी आर्थिक समझौते पर बातचीत
1 सितंबर को कनाडा ने भारत के साथ प्रस्तावित व्यापार संधि पर बातचीत रोक दी थी।
तब कनाडा ने कहा था, "व्यापार वार्ता लंबी और जटिल प्रक्रियाएं हैं। हम इस बात का जायजा लेने के लिए रुके हैं कि हम कहां हैं।"
कनाडा में भारत के दूत संजय कुमार वर्मा ने कहा था कि कनाडा ने इसके पीछे की वजह नहीं बताई। कनाडा के इस फैसले को 'अप्रत्याशित' माना गया था।
खालिस्तान
खालिस्तान को लेकर चल रहा है विवाद?
कनाडा में खालिस्तानी आतंकी भारत विरोधी हरकतें करते रहते हैं।
कनाडा में इंदिरा गांधी हत्याकांड की झांकी निकाली गई, भारतीय दूतावास से तिरंगा उतारकर खालिस्तान का झंडा फहराया गया, हिंदू मंदिरों पर हमले किए गए, भारत विरोधी नारे लगाए गए और खालिस्तान को लेकर जनमत संग्रह भी करवाया गया।
भारत ने इन हरकतों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि कनाडा सरकार आतंकियों के प्रति नरम रुख अपना रही है।
रुख
खालिस्तानियों के प्रति ट्रूडो का है नरम रुख?
कनाडा में ट्रूडो की लिबरल पार्टी के लिए सिख वोट काफी अहम हैं।
जब भारत ने कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों पर आपत्ति जताई तो ट्रूडो ने कहा था कि यहां हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है।
साल 2015 में ट्रूडो ने कहा था कि जितने सिख कनाडा की कैबिनेट में हैं, उतने तो भारत के कैबिनेट में भी नहीं है। किसान आंदोलन को लेकर भी ट्रूडो ने बयान दिया था।