कनाडा में अगले दो साल तक घर नहीं खरीद सकेंगे भारतीय, ट्रूडो सरकार ने लगाया प्रतिबंध
कनाडा सरकार ने विदेशी लोगों के दो साल तक देश में घर खरीदने में प्रतिबंध लगा दिया है। इससे अधिकांश भारतीय भी अब यहां घर नहीं खरीद सकेंगे। दरअसल, कनाडा में घरों की कीमत आसमान छू रही हैं, जिसके कारण यहां स्थानीय लोग ही घर नहीं खरीद पा रहे हैं। 2021 चुनाव में जस्टिन ट्रूडो की पार्टी ने इस तरह के प्रतिबंध की बात कही थी। कनाडा में 1 जनवरी, 2023 से यह प्रतिबंध शहरी क्षेत्रों में लागू हो गया।
इसलिए लगाया गया प्रतिबंध
2021 चुनाव में लिबरल पार्टी ने कहा था कि कनाडा के लोगों को घर मुहैया कराना उसकी जिम्मेदारी है और यहां घर की कीमतें स्थानीय लोगों की पहुंच से बाहर हो गई हैं। कनाडा में विदेशी ऊंची कीमतों पर घर खरीदते हैं, जिससे यहां के नागरिकों के लिए अपना घर खरीदना मुश्किल हो जाता है। प्रतिबंध के बाद भी कनाडा में शरणार्थी और स्थायी निवासी (जो नागरिक नहीं हैं) घर खरीद सकेंगे और उन्हें प्रतिबंध से रियायत दी गई है।
शहरी क्षेत्रों में बंद पड़े मकानों पर अतिरिक्त टैक्स लगना शुरू
साल 2021 में सत्ता पर काबिज होते ही लिबरल पार्टी ने विदेशियों के घर खरीदने पर प्रतिबंध लगाने का काम शुरू कर दिया था। सरकार ने इसके लिए गैर-कनाडाई अधिनियम में संशोधन किया। इसके अलावा कनाडा सरकार ने टोरंटो और वैंकूवर जैसे बड़े शहरों में खाली पड़े मकानों पर अतिरिक्त टैक्स लगाना शुरू कर दिया। कनाडा रियल एस्टेट एसोसिएशन के मुताबिक, प्रतिबंध के बाद यहां घर की कीमतें 1.70 लाख कनाडाई डॉलर (करीब 104 लाख रुपये) तक गिर गई हैं।
2030 तक कनाडा में होगी 1.9 करोड़ घरों की जरूरत- रिपोर्ट
विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रतिबंध से रियल एस्टेट पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि राष्ट्रीय आवास एजेंसी कनाडा मोर्टगेज एंड हाउसिंग कॉरपोरेशन ने जून की एक रिपोर्ट में कहा था कि 2030 तक देश में करीब 1.9 करोड़ घरों की आवश्यकता होगी। इसका मतलब है कि हर साल 58 लाख नए घरों का निर्माण करने की जरूरत पड़ेगी, जो अभी की उम्मीद से 35 लाख अधिक हैं।
किफायती दरों पर घर उपलब्ध करवाना चुनौती
विशेषज्ञों का यही मानना है कि कनाडा सरकार के इस तरह के फैसलों से आवासहीन स्थानीय लोगों की स्थिति पर ज्यादा फर्क पड़ेगा और सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती रियल एस्टेट की बढ़ती कीमतें हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी एजेंसी के मुताबिक, कनाडा में घरों के स्वामित्व में विदेशियों का पांच प्रतिशत से भी कम हिस्सेदारी है। सरकार कैसे बड़ी संख्या में लोगों को किफायती कीमतों पर घर उपलब्ध कराएगी, यह बड़ा सवाल है।