#NewsBytesExplainer: चंद्रयान-3 के टचडाउन पॉइंट का 'शिवशक्ति' नाम रखने पर क्या विवाद हो रहा?
क्या है खबर?
चंद्रमा पर चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के टचडाउन पॉइंट (सतह पर उतरने वाले स्थान) का नाम 'शिवशक्ति' रखे जाने को लेकर विवाद हो रहा है।
विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चंद्रयान-3 के टचडाउन पॉइंट का नाम 'शिवशक्ति' रखने को लेकर निशाना साधते हुए राजनीति करने का आरोप लगाया है, जबकि भाजपा ने इसे देश का गौरव बताया है।
आइए समझते हैं कि यह पूरा विवाद क्या है और क्या चंद्रमा के किसी स्थान का नाम रखा जा सकता है।
ऐलान
प्रधानमंत्री ने कब किया था नामकरण?
प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को बेंगलुरू में ISRO के वैज्ञानिकों के साथ मुलाकात के दौरान चंद्रमा-3 के टचडाउन पॉइंट का नाम 'शिवशक्ति' रखने का ऐलान किया था।
उन्होंने कहा था, "अंतरिक्ष मिशन के टचडाउन पॉइंट को एक नाम दिए जाने की परंपरा है। चंद्रमा के जिस स्थान पर चंद्रयान-3 का लैंडर उतरा है, अब उस पॉइंट को 'शिवशक्ति' के नाम से जाना जाएगा। इस मिशन के पीछे ISRO की महिला वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और शक्ति है।"
विवाद
नामकरण को लेकर क्या आपत्ति जताई गई है?
विपक्ष के कई नेताओं ने चंद्रयान-3 के टचडाउन पॉइंट का नाम शिवशक्ति रखे जाने को लेकर आपत्ति जताई है। कांग्रेस के नेता राशिद अल्वी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी चांद के मालिक नहीं हैं, जो इस तरह से किसी स्थान का नाम रख रहे हैं।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट के नेता संजय राउत ने कहा है कि भारत को हर चीज में हिंदुत्व दिखाई देता है और टचडाउन पॉइंट का नाम विक्रम साराभाई के नाम पर रखा जाना चाहिए।
बयान
ISRO प्रमुख ने नामकरण पर क्या कहा?
ISRO के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट का नाम 'शिवशक्ति' रखने को लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए और देश को उस स्थान का नाम रखने का अधिकार है।
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी ने शिवशक्ति का अर्थ उस तरीके से बताया है, जो हम सभी के लिए उपयुक्त है। मुझे लगता है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। हम जो कुछ भी कर रहे हैं, उसका एक महत्व होना चाहिए।"
मामला
क्या भारत ने पहले भी रखे हैं नाम?
भारत द्वारा चंद्रमा पर भेजे गए पहले मिशन चंद्रयान-1 का मून इम्पैक्टर प्रोब 14 नवंबर, 2008 को चंद्रमा की सतह पर उतरा था। यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास एक बिंदु पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसे 'जवाहर स्थल' या 'जवाहर पॉइंट' नाम दिया गया था।
इस स्थल का नाम भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के सम्मान में रखा गया था और संयोग से 14 नवंबर को उनकी जयंती भी होती है।
मायने
नामकरण के क्या मायने हैं?
चंद्रयान-3 के टचडाउन पॉइंट का नामकरण भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम है। यह भारत की संस्कृति और विविधता का प्रतीक है और भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्व की याद दिलाएगा।
हालांकि, नामकरण को लेकर छिड़ा विवाद एक वैज्ञानिक और तकनीकी अग्रणी के रूप में भारत की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे भारत के लिए अंतरिक्ष परियोजनाओं पर अन्य देशों के साथ सहयोग करना कठिन हो सकता है।
नामकारण
क्या चंद्रमा के स्थानों के नाम रखे जा सकते हैं?
चंद्रमा के स्थानों का नाम रखने को लेकर कोई आधिकारिक नियम मौजूद नहीं है। कई देश पहले भी चंद्रमा की सतह पर मौजूद विभिन्न भौगोलिक विशेषताओं का नामकरण कर चुके हैं।
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने चंद्रमा पर मौजूद कई लूनर क्रेटर्स के नाम प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के नाम पर रखे हैं।
इसके अलावा चंद्रमा के जिस स्थान पर अंतरिक्षयात्री नील आर्मस्ट्रांग ने पहली बार कदम रखा था, उस स्थान को ट्रैंक्विलिटी बेस के नाम से जाना जाता है।
मिशन
न्यूजबाइट्स प्लस
ISRO ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 14 जुलाई को चंद्रयान-3 को लॉन्च किया था। चंद्रयान-3 लॉन्चिंग के बाद पृथ्वी की ऑर्बिट में चक्कर काटता रहा और फिर इसे ट्रांस लूनर इजेक्शन प्रक्रिया के जरिए चांद की ऑर्बिट में पहुंचाया गया।
चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर 23 अगस्त को शाम 6:04 मिनट पर चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतर गया, जिसके बाद भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला पहला देश बन गया था।