#NewsBytesExclusive: सर्दियों में छोटे बच्चे बार-बार क्यों पड़ जाते हैं बीमार? शिशु रोग विशेषज्ञ से जानिए
छोटे बच्चे नाजुक होते हैं और सर्दी के मौसम में तो उनका स्वास्थ्य काफी प्रभावित होता है। इससे वह बार-बार बीमार पड़ जाते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, सर्दियों में छोटे बच्चों को 100 से ज्यादा कोल्ड वायरस का खतरा रहता है। इस गंभीर विषय पर जब न्यूजबाइट्स हिंदी ने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रीति विजय से विशेष बातचीत की तो उन्होंने सर्दियों में बच्चों को होने वाली बीमारियों सहित उनका ख्याल रखने के तरीके और कई महत्वपूर्ण बातें बताई।
सर्दियों में बच्चों को क्या परेशानी रहती है और उसके कारण क्या है?
डॉ प्रीति ने बताया कि सर्दियों में बच्चों को बार-बार खांसी-जुकाम, बुखार, रूखी त्वचा, कभी-कभी निमोनिया और ब्रोंकियोलाइटिस होने की संभावना रहती है। उन्होंने बताया कि ब्रोंकियोलाइटिस फेफड़ों का संक्रमण है, जिसके कारण छोटे बच्चों को सांस लेने में तकलीफ और घरघराहट होने लगती है। ऐसी परिस्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उनकी सलाह का पालन करें। उन्होंने आगे कहा कि कमजोर इम्यूनिटी, स्वच्छता में कमी और पोषण की कमी आदि इन बीमारियों के मुख्य कारण हैं।
किस उम्र के बच्चों को सर्दी में बीमार होने का ज्यादा खतरा रहता है?
डॉ प्रीति के मुताबिक, "पांच साल से छोटे बच्चों को सर्दियों में बीमार पड़ने का खतरा होता है, लेकिन छह महीने से छोटे बच्चों को इसका सबसे अधिक खतरा रहता है और उसमें भी नवजात शिशुओं को।" उन्होंने बताया कि बच्चों को इन बीमारियों से बचाने के लिए छोटे बच्चों को गर्म कपड़े से लपेटकर रखें और उन्हें लेयर्स में आरामदायक कपड़े पहनाएं। इसके साथ ही उनके सिर, हाथ-पैर ढककर रखें और नवजात शिशु की कंगारू मदर केयर करें।
क्या सर्दियों में बच्चों को भी रहता है हार्ट अटैक का खतरा?
इस बारे में डॉ प्रीति का कहना है कि सर्दियों के दौरान बच्चों में हार्ट अटैक का खतरा न के बराबर होता है। हालांकि, कोरोना वायरस महामारी के बाद बच्चों में मल्टी इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) होने की संभावना ज्यादा देखी गई है। इसमें बच्चों के हृदय की धमनियां फैल जाती है, जिस वजह के उन्हें हृदय रोग का खतरा हो सकता है। उन्होंने आगे बताया कि यह सिंड्रोम कोरोना की चपेट में आए बच्चों को हो सकता है।
क्या बच्चों को फ्लू होने पर एंटीबायोटिक्स देना सुरक्षित है?
डॉ प्रीति के मुताबिक, बच्चों को फ्लू होने पर एंटीबायोटिक्स देना गलत है। साधारण वायरल इंफेक्शन होने पर एंटीबायोटिक्स देने से बच्चों में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, अगर बच्चा अस्पताल में एडमिट है या किसी इंफेक्शन के कारण उसकी स्थिति काफी गंभीर है तो डॉक्टरी सलाह के बाद उसे एंटीबायोटिक्स दी जा सकती है। उन्होंने आगे बताया कि एजिथ्रोमाइसिन, एमोक्सीसिलिन या सेफालोस्पोरिन नामक दवाइयां बच्चों के लिए काफी हद तक सुरक्षित होती हैं।
सर्दियों में बच्चों के खान-पान में क्या-क्या शामिल करना चाहिए?
डॉ प्रीति ने बताया कि सर्दियों के दौरान बच्चों को गर्माहट महसूस करवाने वाली चीजों का ज्यादा से ज्यादा सेवन कराना चाहिए। इसके अतिरिक्त उनकी डाइट में खिचड़ी, दलिया, गुड़, सूप, मौसमी फल और हरी सब्जियों को शामिल करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों को सर्दियों में ठंडी चीजों से दूर रखें। इसके अतिरिक्त, अधिक कैलोरी, कोल्ड ड्रिंक्स, तली हुई और डिब्बाबंद चीजों के सेवन से भी बचाना चाहिए।
सर्दियों की समस्याओं से बच्चों को कैसे बचाया जा सकता है?
डॉ प्रीति ने बताया कि बच्चों का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है, जिस वजह से वे जल्दी तरह-तरह की बीमारियों और संक्रमणों की चपेट में आ जाते हैं। खासकर, छह महीने से छोटे बच्चे का। इसलिए बच्चों की इम्यूनिटी को मजबूत बनाने की ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बताया कि इसके लिए नवजात शिशु को मां का दूध पिलाएं। छह महीने के बाद बच्चे को ठोस आहार दें और बाजार के उत्पादों की जगह उन्हें घर में ही बनाएं।
सर्दियों की समस्याओं के उपचार के लिए बच्चों पर घरेलू नुस्खे आजमाने चाहिए?
डॉ प्रीति ने बताया कि सर्दियों में होने वाली समस्यओं के उपचार के लिए बच्चों पर घरेलू नुस्खे आजमाएं जा सकते हैं, क्योंकि ये असरदार भी होते हैं। उन्होंने कहा कि खांसी होने पर बच्चों को अदरक के रस को शहद के साथ मिलाकर दिया जा सकता है। इसके अलावा फ्लू होने पर काली मिर्च पाउडर और लौंग पाउडर को अदरक के रस में मिलाकर बच्चों को दे सकते हैं। इससे बच्चों को तत्काल आराम मिल सकता है।
बच्चों के समय-समय पर कौन से हेल्थ टेस्ट कराना सही है?
डॉ प्रीति के अनुसार, "एक साल की उम्र के बच्चों का हेल्थ टेस्ट करवाने से ज्यादा मैं कहूंगी कि बच्चों का वजन, हाइट और सिर के साइज को चेक करते रहना चाहिए। अगर बच्चों की ये तीन चीजें सही हैं तो हेल्थ टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं है।" उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी बच्चे को बार-बार सर्दी-खांसी रहता है तो एलर्जी टेस्ट, ब्लड टेस्ट, हीमोग्लोबिन टेस्ट करवाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, विटामिन-D और हेपेटाइटिस-B का टेस्ट कराया जा सकता है।
इन बातों का भी रखें ध्यान
डॉ प्रीति ने यह भी कहा कि अगर घर में किसी को फ्लू या कोई इंफेक्शन हुआ है तो उससे बच्चों को दूर रखें। समय-समय पर बच्चों का टीकाकरण जरूर करवाएं और उनके हाइजीन का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
पीडियाट्रिक हेपेटोलॉजी और लिवर ट्रांसप्लांट में DM हैं डॉ प्रीति
डॉ प्रीति वर्तमान में राजस्थान की राजधानी जयपुर में बच्चों के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जेके लॉन में पेट, लीवर और आंत रोग विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत है। उन्हें चिकित्सा क्षेत्र में नौ साल से अधिक का अनुभव है। उन्होंने अपना डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (DM) पीडियाट्रिक हेपेटोलॉजी और लिवर ट्रांसप्लांट पर किया है और वह बच्चों के लिवर स्वास्थ्य से जुड़े विषयों की विशेषज्ञ हैं। उन्हें चिकित्सा क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए कई अवॉर्ड्स भी मिल चुके हैं।