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निमोनिया के जोखिम को कम करने में सहायक हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास
निमोनिया के जोखिम को कम करने में सक्षम हैं ये योगासन

निमोनिया के जोखिम को कम करने में सहायक हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास

लेखन अंजली
Oct 07, 2021
06:24 pm

क्या है खबर?

निमोनिया एक संक्रामक रोग है, जिससे फेफड़े बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि इसके कारण फेफड़ों में सूजन, मवाद भरना और सांस लेने में तकलीफ जैसी कई समस्याएं होती हैं। वहीं, अगर समय रहते इसका इलाज नहीं किया जाए तो यह संक्रामक रोग जानलेवा भी हो सकता है। आइए आज हम आपको कुछ ऐसे योगासनों के अभ्यास का तरीका बताते हैं, जो निमोनिया के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।

#1

अश्व संचालनासन

अश्व संचालनासन के लिए पहले योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और पंजे को जमीन पर रखते हुए दाएं पैर को घुटने से मोड़ें। इसके बाद अपने बाएं पैर को सीधा रखते हुए जितना हो सके शरीर के पीछे ले जाएं। अब अपने दोनों हाथों को दाएं पैर के बराबर में रखें और एकदम सामने की ओर देखें। इसी मुद्रा में सामान्य रूप से सांस लेते रहें। कुछ देर इसी अवस्था में बने रहने के बाद सामान्य हो जाएं।

#2

हस्त उत्तानासन

हस्त उत्तानासन के लिए सबसे पहले योगा मैट पर दोनों पैरों को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएं। अब सांस भरते हुए अपने दोनों हाथों को एक साथ सिर के ऊपर ले जाएं। इसके बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे अपने ऊपरी शरीर को पीठ के पीछे की ओर मोड़ने की कोशिश करें। इस दौरान अपनी नजरें आसमान की ओर रखें। कुछ मिनट इसी मुद्रा में बने रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। इसी प्रक्रिया को कई बार दोहराएं।

#3

उष्ट्रासन

उष्ट्रासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं और फिर घुटनों के बल ही खड़े हो जाएं। अब सामान्य रूप से सांस लेते हुए पीछे की ओर झुकें और दाईं हथेली को दाईं एड़ी पर और बाईं हथेली को बाईं एड़ी पर रखने की कोशिश करें। इस मुद्रा में कम से कम एक-दो मिनट रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं और कुछ मिनट विश्राम करें।

#4

बालासन

बालासन के अभ्यास के लिए पहले वज्रासन की मुद्रा में बैठें और फिर गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं। अब सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें और माथे को जमीन से सटाएं। इस अवस्था में दोनों हाथ सामने, माथा जमीन से टिका हुआ और छाती जांघों पर रहेगी। कुछ सेकंड इसी मुद्रा में रहकर सामान्य रूप से सांस लेते रहें, फिर सांस लेते हुए वापस वज्रासन की मुद्रा में आएं और सामान्य हो जाएं।