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परिजनों से अंतिम संस्कार नहीं कराना चाहता शख्स, दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की याचिका
दिल्ली हाई कोर्ट में शख्स ने परिवार को अंतिम संस्कार करने से रोकने के लिए दायर की याचिका (प्रतीकात्मक तस्वीर)

परिजनों से अंतिम संस्कार नहीं कराना चाहता शख्स, दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की याचिका

लेखन गौसिया
Sep 20, 2022
03:44 pm

क्या है खबर?

इंसान की मृत्यु के बाद उसके शव को उसके परिवार और रिश्तेदारों को दिया जाता है, ताकि वो उसका अंतिम संस्कार कर सकें। लेकिन एक ऐसा शख्स भी है जो चाहता है कि उसके निधन के बाद उसकी पत्नी, बेटी या दामाद को उसका अंतिम संस्कार न करने दिया जाए। इसके लिए उन्होंने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की। पूरा मामला क्या है, आइए आपको विस्तार से बताते हैं।

मामला

क्या है पूरा मामला?

कुंज बिहारी बंसल (56) ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर यह सुनिश्चित करने की मांग की कि उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी, बेटी और दामाद उनका अंतिम संस्कार नहीं करें। वो चाहते हैं कि निधन के बाद उनके शव को एक ऐसे व्यक्ति को सौंपा जाए जिसने एक बेटे की तरह बीमारी के दौरान उनकी देखभाल की है। बंसल हृदय रोग से पीड़ित हैं और उन्हें हृदय प्रत्यारोपण कराने की सलाह दी गई है।

कारण

बंसल के साथ परिवार ने क्रूर और खराब व्यवहार किया

बंसल ने दावा किया कि उनके परिवार ने उनके साथ क्रूर व्यवहार किया और उन्हें इसका बहुत दुख है, इसलिए वो चाहते हैं कि उनके निधन के बाद शव को कृष शर्मा नाम के व्यक्ति को सौंप दिया जाए, जिसे वो अपना बेटा मानते हैं। उन्होंने कहा कि कृष ने ही उनकी देखभाल की और जब वह बिस्तर से उठने में असमर्थ थे तो उनका शौच भी साफ किया।

कानून

जीवन के अधिकार का इस्तेमाल करने की मांग कर रहा हूं- बंसल

वकील विशेश्वर श्रीवास्तव और मनोज कुमार गौतम के माध्यम से दायर अपनी याचिका में याचिकाकर्ता बंसल ने कहा कि उन्हें अपने अंतिम संस्कार के तौर-तरीकों को निर्धारित करने का अधिकार है। उन्होंने कहा, "मैं केवल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए उचित व्यवहार, गरिमा और जीवन के अधिकार के तहत अपने शव के निपटान के अधिकार का इस्तेमाल करने की मांग कर रहा हूं।"

याचिका

याचिका में और क्या कहा गया?

बंसल ने अपनी याचिका में कहा, "मेरी पत्नी और बेटी ने मेरे साथ बहुत क्रूर और बुरा व्यवहार किया। मुझे न तो बेटी की परवरिश करने का मौका मिला और न ही बेटी की शादी में शामिल होने को मिला।" उन्होंने आगे कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि कब उनका अंत हो जाए और वो नहीं चाहते कि उनके परिवार के सदस्य दिल्ली सरकार की मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के अनुसार उनके शव पर दावा करें।

सुनवाई

मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा ने क्या कहा?

बंसल और परिवार के बीच खराब संबंधों को देखते हुए जस्टिस यशवंत वर्मा ने दिल्ली सरकार से मुर्दाघरों की आधिकारिक SOP के खंड 7.1 को चुनौती देने वाली इस याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिका में मांग की गई है कि SOP की व्याख्या इस तरह से की जाए जिससे बंसल के निधन के बाद कृष शर्मा उनका अंतिम संस्कार कर सकें। मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी।

जानकारी

न्यूजबाइट्स प्लस

मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) नियमों का ऐसा लिखित दस्तावेज होता है, जो किसी भी क्षेत्र में कार्य करने वाले कर्मचारियों के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करने का काम करता है। इससे कार्य सही और व्यवस्थित ढंग से करने में मदद मिलती है।