#NewsBytesExclusive: युवाओं में क्यों बढ़ रहे अचानक कार्डियक अरेस्ट के मामले? जानिए क्या कहते हैं कार्डियोलॉजिस्ट
पिछले कुछ समय से युवाओं में अचानक कार्डियक अरेस्ट आने के मामलों में तेजी से इजाफा देखने को मिला है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्व स्तर पर हृदय रोग से होने वाली 17.9 लाख मौतों में से लगभग पांचवां हिस्सा भारतीय युवाओं का है और इसके मुख्य कारणों में अचानक कार्डियक अरेस्ट आना भी शामिल है। इस गंभीर विषय पर जब न्यूजबाइट्स हिंदी ने कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर रजत गुप्ता से विशेष बातचीत की तो उन्होंने कई महत्वपूर्ण बातें बताई।
हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में क्या अंतर होता है?
डॉ रजत ने बताया, "इन दोनों स्थितियों के बीच काफी अंतर है। कार्डियक अरेस्ट में अचानक से हृदय काम करना बंद कर देता है, जबकि हार्ट अटैक में हृदय की किसी मुख्य धमनी में ब्लॉकेज हो जाता है। इससे हृदय में खून का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता। हालांकि, कार्डियक अरेस्ट का एक कारण हार्ट अटैक भी हो सकता है।" उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक एक प्रकार की प्लंबिंग समस्या और कार्डियक अरेस्ट इलेक्ट्रिकल समस्या है।
युवाओं में बढ़ते अचानक कार्डियक अरेस्ट के मामलों के पीछे क्या कारण हैं?
डॉ रजत का कहना है कि पहले लोग कार्डियक अरेस्ट और अन्य हृदय संबंधित बीमारियों को बढ़ती उम्र के साथ जोड़ते थे, लेकिन अब यह युवाओं में आम हो गई है और इसका सबसे बड़ा कारण अनुवांशिकता हो सकता है। डॉ रजत ने बताया कि अधिक धूम्रपान, शराब और अन्य नशीले पदार्थों का अधिक सेवन, हाई कोलेस्ट्रॉल, बढ़ता वजन और मधुमेह भी अचानक कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ाने की वजह हो सकते हैं।
डांस और एक्सरसाइज करते समय कार्डियक अरेस्ट आने का क्या कारण है?
डॉ रजत ने बताया कि डांस और एक्सरसाइज जैसी गतिविधियां मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने के साथ ही हृदय को ढंग से पंप करने में मदद करती हैं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों में जन्मजात हृदय वाल्व की खराबी, धमनियों में ब्लॉकेज या मांसपेशियों में कमजोरी जैसी बीमारियां होती हैं और इनसे प्रभावित व्यक्ति जब अपनी क्षमतानुसार गतिविधियां नहीं करता है तो उसके हृदय का रक्त प्रवाह या दिल की धड़कने अनियमित होने से कार्डियक अरेस्ट आने की संभावना बढ़ जाती है।
क्या कोरोना वायरस और कार्डियक अरेस्ट के बढ़ते मामलों का कोई संबंध है?
डॉ रजत के अनुसार, "कोरोना के बाद से स्थिति और अधिक खतरनाक हुई है। इस वायरस की वजह से हृदय की मांसपेशियां सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं, वहीं खून के थक्के जमने की भी संभावना बढ़ी है, जिनसे कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ा है।" उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के कारण अभी भी कई लोग क्रोनिक कोविड सिंड्रोम से ग्रस्त हो सकते हैं और कुछ मामलों में यह सिंड्रोम भी कार्डियक अरेस्ट के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
क्या कोरोना वैक्सीन भी कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ाने की जिम्मेदार है?
डॉ रजत ने बताया कि कोरोना वैक्सीन के बाद भी हृदय रोगों से संबंधित कुछ मामले सामने आए हैं, लेकिन इस विषय पर कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि कोरोना वैक्सीन से कार्डियक अरेस्ट का खतरा है। ऐसे में कोरोना वैक्सीन के कारण कार्डियक अरेस्ट या हार्ट अटैक की बात महज एक भ्रांति से बढ़कर कुछ नहीं है। डॉ रजत ने आगे कहा कि जिन लोगों ने पहले वैक्सीन नहीं लगवाई, उन्हें अब इसे लगवाना लेना चाहिए।
कार्डियक अरेस्ट से जुड़े शारीरिक संकेत कौनसे हैं?
डॉ रजत ने बताया कि कार्डियक अरेस्ट से पहले शरीर कुछ संकेत देता है, जिन्हें इसके लक्षण भी कहा जा सकता है। डॉ रजत का कहना है, "छाती में भारीपन, सांस लेने में तकलीफ, अधिक थकान, पल्स का कम होना, अचानक घबराहट महसूस करना, ज्यादा पसीना आना, चक्कर और बाएं हाथ में तेज दर्द होना आदि इस स्थिति के शारीरिक लक्षण हैं। इन समस्याओं को हल्के में लेने की गलती न करें और तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें।"
क्या हार्ट अटैक की तरह कार्डियक अरेस्ट की भी स्टेज होती हैं?
डॉ रजत का कहना है कि कार्डियक अरेस्ट में स्टेज नहीं होती हैं क्योंकि इसमें हृदय अचानक से काम ही करना बंद कर देता है। हालांकि, इससे सुरक्षित रहने की बात करें तो हर व्यक्ति को अपनी जीवनशैली को व्यवस्थित रखने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए अपना वजन नियंत्रित रखें, अधिक तैलीय खाद्य पदार्थों से दूरी बनाएं, धूम्रपान सहित नशीले पदार्थों से परहेज करें, मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल की जांच करवाते रहें और रोजाना 15-20 मिनट ब्रिस्क वॉक आदि करें।
30 की उम्र के बाद नियमित रूप से कराने चाहिए हृदय संबंधित टेस्ट- डॉ रजत
डॉ रजत का कहना है कि हृदय रोग भी कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ाते हैं। ऐसे में हर किसी को 30 साल की उम्र के बाद से हृदय से जुड़े टेस्ट नियमित रूप से कराते रहना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि व्यक्ति को समय-समय पर ECG यानी इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। इसी तरह अगर खुद की धड़कनों में अनियमियता महसूस हो तो ECO यानी इकोकार्डियोग्राम टेस्ट या CTMT यानी कार्डियक ट्रेडमिल टेस्ट आवश्यक रूप से कराना चाहिए।
क्या कार्डियक अरेस्ट का इलाज संभव है?
डॉ रजत ने कहा कि ऐसा नहीं है कि कार्डियक अरेस्ट एक लाइलाज स्थिति है। अगर प्रभावित व्यक्ति को समय पर अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो स्थिति रिवर्सेबल हो सकती है। उन्होंने कहा, "कार्डियक अरेस्ट आने पर हृदय अचानक से अपना काम करना बंद नहीं करता है, बल्कि कुछ मिनट तक 350-400 BPM (बीट्स प्रति मिनट) की दर से तेज धड़कता है और फिर रुकता है। ऐसे में व्यक्ति को बचाने के लिए कुछ मिनट मिल सकते हैं।"
"आपातकालीन स्थिति में जान बचाने में बहुत मदद कर सकता है CPR"
डॉ रजत ने कहा, "कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन (CPR) एक तरह का प्राथमिक उपचार है, जो कार्डियक अरेस्ट, धकड़न के रुक जाने, बेहोश होने या फिर सांस न ले पाने जैसी आपातकालीन स्थिति में व्यक्ति को दिया जाता है।" बता दें कि CPR दो तरह का होता है। पहले प्रकार में पीड़ित की छाती को अपनी हथेलियों से लगातार तेजी से दबाना होता है। दूसरे में आपातकालीन स्थिति वाले व्यक्ति के मुंह में अपने मुंह के जरिए सांस दी जाती है।
हृदय रोगियों को कौनसी दवाइयां हमेशा अपने पास रखनी चाहिए?
डॉ रजत ने कहा, "अगर कोई व्यक्ति पहले से हृदय रोगी है या किसी की छाती में दर्द हो रहा है तो अस्पताल पहुंचने से पहले प्रभावित व्यक्ति को एस्पिरिन दवा दी जा सकती है। इसके अलावा, आइसोसोरबाइड दवा भी व्यक्ति की स्थिति को कुछ मिनट के लिए स्थिर रख सकती है। इसलिए हर किसी के पास, खासकर हृदय रोग से ग्रसित लोगों के पास ये दवाइयां तो जरूर होनी ही चाहिए।"
कार्डियोलॉजी में DM हैं डॉ रजत
डॉ रजत वर्तमान में राजस्थान की राजधानी जयपुर के कृष्णा हार्ट एंड जनरल हॉस्पिटल में कंसलटेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में कार्यरत है। उन्हें चिकित्सा क्षेत्र में 7 साल से अधिक का अनुभव है। उन्होंने अपना डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (DM) कार्डियोलॉजी में किया है और वह हृदय स्वास्थ्य से जुड़े कई विषयों के विशेषज्ञ भी हैं। उन्हें चिकित्सा क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए अब तक कई प्रतिष्ठित अवॉर्ड्स भी मिल चुके हैं।