लॉन्ग कोविड से जुड़ी हो सकती हैं अचानक आए कार्डियक अरेस्ट से होने वाली मौतें- डॉक्टर
कोरोना वायरस महामारी के बाद अचानक कार्डियक अरेस्ट से लोगों की मौत के मामलों ने विशेषज्ञों की चिंताएं बढ़ा दी है। इनमें गरबा डांस करते समय 35 वर्षीय युवक, वरमाला के समय 20 वर्षीय दुल्हन और टहलते हुए 25 वर्षीय युवक की मौत के मामले प्रमुख है। इन घटनाओं के बाद कई चिकित्सा विशेषज्ञों ने इनके लॉन्ग कोविड से जुड़े होने की आशंका जताई है। आइए जानते हैं लॉन्ग कोविड क्या है और यह कैसे कार्डियक अरेस्ट से जुड़ा है।
"लॉन्ग कोविड से जुड़े हो सकते हैं कार्डियक अरेस्ट के मामले"
TOI के अनुसार, दिल्ली स्थिति अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ राकेश यादव ने कहा, "अचानक कार्डियक अरेस्ट से मौत की घटनाओं में वृद्धि पर वर्तमान में कोई मात्रात्मक डेटा उपलब्ध नहीं है, लेकिन प्राथमिक सबूत स्पष्ट रूप से सुझाव देते हैं कि ये घटनाएं लॉन्ग कोविड से जुड़ी हो सकती है।" उन्होंने कहा, "कुछ वैज्ञानिक कारणों के चलते लॉन्ग कोविड लोगों को कार्डियक अरेस्ट का शिकार बना सकता है।"
क्या होता है लॉन्ग कोविड?
लॉन्ग कोविड में रिपोर्ट के निगेटिव आने के बाद भी लोगों के कई सप्ताह या महीनों तक कोरोना वायरस के लक्षण बने रहते हैं। इन लक्षणों में आवश्यक से अधिक थकान, सांस की तकलीफ, सीने में दर्द उठना, याद्दाश्त में कमी, स्वाद और गंध में बदलाव और जोड़ों में दर्द आदि शामिल हैं। एक अध्ययन के अनुसार, एक तिहाई लोगों को लंबे समय तक कोरोना का अनुभव हो सकता है। हालांकि, इसका स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है।
IHJ में प्रकाशित लेख में भी मिले थे संकेत
डॉ यादव और उनके सहयोगियों द्वारा 2020 में इंडियन हार्ट जर्नल (IHJ) में प्रकाशित एक लेख में भी उन संभावित तंत्रों को चिह्नित किया था, जिनके द्वारा लॉन्ग कोविड कार्डियक अरेस्ट से होने वाली मौत का कारण बना सकता है। इसमें दिल की अनियमित धड़कन और हृदय की कमजोर मांसपेशियां शामिल थीं। डॉ यादव ने कोरोना से पीड़ित हो चुके लोगों को उम्र या फिटनेस की परवाह किए बिना हृदय संबंधी लक्षणों को नजरअंदाज न करने का सुझाव दिया है।
डॉक्टरों ने कार्डियक अरेस्ट से बचने के लिए क्या दिए सुझाव?
AIIMS में फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ सुधीर गुप्ता ने कहा कि कोरोना से पीड़ित हो चुके लोगों को कार्डियक अरेस्ट की परेशानी से बचने के लिए नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कार्डियक अरेस्ट से मौत के बाद मृतकों का पोस्टमार्टम भी किया जाना चाहिए। यह मृत्यु के कारण को समाप्त करने में मदद करेगा। इसी तरह अज्ञात हृदय स्थिति के कारण मौत होने पर आनुवांशिक बीमारी पर अध्ययन करना चाहिए।
हार्ट अटैक और अचानक कार्डियक अरेस्ट में क्या है अंतर?
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) के अनुसार, हार्ट अटैक हृदय में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध होने पर आता है और यह एक सर्कुलेशन समस्या है। इसमें पीड़ित को अस्पताल तक ले जाने का समय मिल जाता है। इसके उलट अचानक कार्डियक अरेस्ट इलेक्ट्रिकल समस्या है। यह दिल अचानक धड़कना बंद हो जाने पर आता है। यही कारण है कि अस्पताल के बाहर अचानक कार्डियक अरेस्ट के 10 मामलों में से नौ में पीड़ित की मिनटों में ही मौत हो जाती है।
हार्ट अटैक के बाद अधिक रहता है अचानक कार्डियक अरेस्ट का खतरा
AIIMS में कार्डियोलॉजी के एक अन्य प्रोफेसर डॉ अंबुज रॉय के अनुसार, हार्ट अटैक आने के बाद या उससे उबरने के दौरान अचानक कार्डियक अरेस्ट का खतरा सबसे अधिक रहता है। हालांकि, यदि कार्डियक अरेस्ट आने पर मरीज को समय पर अस्पताल पहुंचा दिया जाए और उसे कार्डियो-पल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) सुविधा उपलब्ध करा दी जाए तो उसकी जान बच सकती है। उन्होंने बताया हार्ट अटैक में बचने की संभावना अधिक रहती है।