संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा जारी, आज नहीं बोलेंगे राहुल गांधी
विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में बहस जारी है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने बहस की शुरुआत की। पहले खबर थी कि राहुल गांधी बहस की शुरुआत कर सकते हैं। हालांकि, राहुल आज नहीं बोलेंगे। अब तक विपक्ष की ओर से गोगोई, टीआर बालू, सौगत राय, सुप्रिया सुले, डिंपल यादव और अरविंद सावंत, वहीं सरकार की ओर से निशिकांत दुबे, श्रीकांत शिंदे, नारायण राणे, सुनीता दुग्गल और किरेन रिजिजू बोल चुके हैं।
भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा पहले बुलाई संसदीय दल की बैठक
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से पहले भाजपा ने आज अपने संसदीय दल की बैठक बुलाई। सदन में बुधवार और गुरुवार को भी अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और वोटिंग हो सकती है। इस प्रस्ताव के सदन में पारित होने की कोई संभावना नहीं है। यह विपक्ष का प्रधानमंत्री को मणिपुर हिंसा पर बोलने के लिए मजबूर करने एक तरीका है। मानसून सत्र की शुरुआत से संसद में मणिपुर का मुद्दा हावी है।
भाजपा की ओर से बोलेंगे 5 केंद्रीय मंत्री
20 जुलाई को सत्र की शुरुआत से विपक्ष मणिपुर को ज्वलंत मुद्दा बताते हुए संसद में चर्चा की मांग कर रहा है। सरकार मणिपुर पर चर्चा के लिए सहमत थी, लेकिन उसने स्पष्ट किया है कि प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर सदन को संबोधित नहीं करेंगे। सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण, स्मृति ईरानी, ज्योतिरादित्य सिंधिया और किरेन रिजिजू बोलेंगे। इसके अलावा चर्चा में भाजपा के 5 अन्य सांसद भी हिस्सा लेंगे।
सरकार ने कहा- प्रधानमंत्री का बयान मांगने का कोई कारण नहीं
सरकार का कहना है कि 1993 और 1997 में मणिपुर में बड़ी हिंसा होने के बाद एक मामले में संसद में कोई बयान नहीं दिया गया, जबकि दूसरे मामले में गृह मंत्री ने सदन में बयान दिया था। सरकार ने कहा कि संसद में किसी मिसाल के अभाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान मांगने का कोई कारण नहीं है। इसके विपरीत विपक्षी गठबंधन INDIA मणिपुर में जारी जातीय हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री के बयान की मांग पर अड़ा है।
26 जुलाई को लोकसभा में पेश किया गया था अविश्वास प्रस्ताव
26 जुलाई को कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने लोकसभा सचिवालय में अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक नोटिस दिया था। इसमें कहा गया था कि वो और उनके विपक्षी गठबंधन INDIA के अन्य सांसद सदन के नियम 198 के तहत मणिपुर मुद्दे पर अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं, जिसकी वो मंजूरी दें। इसी दिन लोकसभा अध्यक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था।
क्या अविश्वास प्रस्ताव जीत सकता है विपक्ष?
केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) के लोकसभा में 545 में से 331 सांसद हैं। इनमें भाजपा के अकेले 301 सांसद हैं। विपक्ष के गठबंधन INDIA के पास लोकसभा में 144 सदस्य हैं, जिनमें कांग्रेस के 49 सांसद शामिल हैं। इससे तय है कि सरकार आसानी से अविश्वास प्रस्ताव की चुनौती को पार कर लेगी। हालांकि, विपक्ष ने कहा है कि उसका लक्ष्य अविश्वास प्रस्ताव को जीतना नहीं, बल्कि चर्चा करना है।
प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ दूसरा अविश्वास प्रस्ताव
प्रधानमंत्री मोदी आज संसद में अपने दूसरे अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगे। इससे पहले 20 जुलाई, 2018 को मोदी सरकार को सदन में चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (TDP) द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था। 12 घंटे की बहस के बाद सरकार ने इस प्रस्ताव को 199 वोटों से हरा दिया था। उस वक्त भाजपा के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन को 325 वोट मिले, जबकि अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 126 वोट पड़े थे।
क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?
भारत के संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 75 के मुताबिक केंद्रीय मंत्रिमंडल सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होता है। इसका मतलब यह है कि प्रधानमंत्री और उनके मंत्री तब तक अपने पद पर बने रह सकते हैं जब तक उन्हें लोकसभा के अधिकांश सदस्यों का विश्वास प्राप्त है। दूसरे शब्दों में कहें तो केवल लोकसभा ही अविश्वास प्रस्ताव पारित करके प्रधानमंत्री या मंत्रियों को पद से हटा सकती है।