किसान आंदोलन: 22 जुलाई से संसद के बाहर प्रदर्शन करेंगे किसान- संयुक्त किसान मोर्चा
नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के सीमाओं पर पिछले सात महीनों से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अब आंदोलन को तेज करने का निर्णय किया है। इसके तहत किसान 19 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र के दौरान 22 जुलाई से प्रतिदिन संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे। रविवार को कुंडली बॉर्डर पर हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में इसका निर्णय किया गया है। इससे सरकार की चिंता बढ़ गई है।
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन कानून लाई थी। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
मांगों के लिए कई तरह के विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं किसान
बता दें कि किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर कई तरह के विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। इसके तहत 8 दिसंबर, 2020 को भारत बंद, 26 जनवरी को टै्रक्टर परेड, 6 फरवरी को चार घंटे चक्का जाम, 18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन, 26 मार्च को फिर से भारत बंद सहित कई विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। इस दौरान लोगों को तो परेशानी झेलनी पड़ी, लेकिन सरकार के साथ उनकी बात नहीं बन सकी है।
किसान संगठनों की सरकार के साथ विफल रही सभी 11 वार्ताएं
इस मामले में सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ताएं भी हुई है, लेकिन किसानों के कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहने के कारण कोई सामाधान नहीं निकला। खास बात यह रही कि सरकार ने किसानों को कानूनों को 18 महीने तक लागू नहीं करने का भी प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसानों ने 22 जनवरी को आखिरी वार्ता में कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग करते हुए उसे खारिज कर दिया।
प्रतिदिन 200 किसान करेंगे संसद के बाहर प्रदर्शन- टिकैत
भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि बैठक में 22 जुलाई से प्रतिदिन संसद के बाद प्रदर्शन करने का निर्णय किया गया है। प्रतिदिन 200 किसान संसद पहुंचकर बाहर प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि यह विरोध पूरी तरह से शांतिपूर्ण होगा। सरकार किसानों से वार्ता में दिलचस्पी नहीं ले रही है। इसका कारण यह है कि सरकार कोई पार्टी नहीं, बल्कि कंपनियां चला रही है। ऐसे में किसान अपनी मांग उठाएंगे।
ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा किसानों के खिलाफ थी साजिश- सिंह
BKU एकता उग्राहन के किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्राहन ने कहा, "ये काले कृषि कानून है। इन्हें वापस लिया जाना चाहिए। विरोध प्रदर्शन के दौरान किसान पूरी तरह शांत रहेंगे। ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा किसानों को बदनाम करने की एक बड़ी साजिश थी।"
किसानों द्वारा सांसदों को लिखा जाएगा पत्र
संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने के दो दिन पहले सदन के अंदर कानूनों का विरोध करने के लिए सभी विपक्षी सांसदों को पत्र लिखा जाएगा। इसमें सांसदों से प्रतिदिन कृषि कानून के मुद्दे को उठाने की मांग की जाएगी। मोर्चा ने कहा कि सांसद सदन के अंदर विरोध करेंगे और किसान बाहर। सांसदों से यह भी कहा कि जाएगा कि मामले का समाधान नहीं होने तक सत्र को नहीं चलने दें।
बढ़ती महंगाई के खिलाफ 8 जुलाई को किया जाएगा देशव्यापी प्रदर्शन
संयुक्त किसान मोर्चा ने पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमतों के खिलाफ 8 जुलाई को देशव्यापी विरोध का भी आह्वान किया। मोर्चा ने लोगों से सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों पर अपने वाहन पार्क करने की अपील की है। इसी तरह किसान नेताओं ने लोगों से गैस सिलेंडर अपने साथ लाने तथा 7-8 जुलाई की रात 12 बजे आठ मिनट तक अपने वाहनों का हॉर्न बजाने की भी अपील की है।
10 जुलाई को सिंघु बॉर्डर पहुंचेगी किसानों की रैली
इससे पहले किसानों ने जुलाई में दो ट्रैक्टर रैली निकलाने का निर्णय किया था। इसमें एक रैली 9 जुलाई को निकाली जाएगी, जो 10 जुलाई को सिंघु बॉर्डर पहुंचगी। इसमें शामली और बागपत के लोग शामिल होंगे। इसी तरह दूसरी रैली 24 जुलाई को निकाली जाएगी। उसमें बिजनौर और मेरठ के लोग शामिल होंगे। यह रैली 25 जुलाई को गाजीपुर बॉर्डर पहुंचेंगी। ऐसे में संभावना है कि 9 जुलाई के बाद आंदोलन स्थलों पर किसानों की भीड़ बढ़ेगी।