मोदी सरनेम मामला: रांची कोर्ट का राहुल गांधी को समन, 16 जून को पेशी पर बुलाया
रांची की एक कोर्ट ने मोदी सरनेम से जुड़े मानहानि मामले में कांग्रेस के नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी को 16 जून को उपस्थित रहने के लिए समन भेजा है। इससे पहले कोर्ट ने 3 मई को राहुल की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर पेश होने से छूट की मांग की थी। यह मामला मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी से जुड़ा है, जिसमें रांची के प्रदीप मोदी ने मानहानि का मुकदमा दायर किया है।
कोर्ट ने राहुल को किया था 22 मई को तलब
रांची की सांसद-विधायक (MP-MLA) कोर्ट ने 3 मई को राहुल को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने से छूट देने से मना कर दिया था। इसके बाद कोर्ट ने राहुल को 22 मई को पेश होने के लिए कहा था, लेकिन वह पेश नहीं हुए। इसके बाद कोर्ट ने राहुल के खिलाफ नया समन जारी करते हुए 16 जून को पेश होने के लिए कहा है। राहुल के खिलाफ रांची के अलावा सूरत और पटना में भी केस चल रहे हैं।
राहुल ने झारखंड हाई कोर्ट में दाखिल की है याचिका
राहुल ने रांची कोर्ट के व्यक्तिगत तौर पर पेश होने के आदेश के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राहुल के वकील ने कहा कि राहुल के खिलाफ दर्ज केस के कोई मायने नहीं हैं और केस को खारिज कर दिया जाना चाहिए। दरअसल, रांची कोर्ट ने कहा था कि राहुल राजनीतिक गतिविधियों को लेकर पूरे देश का दौरा करते रहते हैं और उन्होंने पेश नहीं होने को लेकर कोई विशेष कारण नहीं दिया है।
राहुल के खिलाफ झारखंड में लंबित हैं 2 और केस
राहुल के खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर झारखंड में 2 और केस लंबित हैं। यह दोनों केस रांची और चाईबासा में दर्ज हैं। दरअसल, राहुल ने शाह की तुलना हत्या के एक आरोपी से की थी।
राहुल ने मोदी सरनेम को लेकर क्या कहा था?
राहुल ने 2019 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान कहा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों होता है। उन्होंने कहा था, "नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी... ऐसा कैसे है कि इन सभी का सरनेम मोदी है? सभी चोरों को सरनेम मोदी क्यों होता है?" इस बयान पर गुजरात के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने सबसे पहले राहुल के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया था।
मानहानि मामले में ही गई थी राहुल की लोकसभा सदस्यता
भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर किए गए मामले में सुनवाई करते हुए सूरत की एक कोर्ट ने राहुल को 2 साल जेल की सजा सुनाई थी और 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। सजा होने के बाद लोक प्रतिनिधिनत्व अधिनियम के तहत राहुल का संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी। इस मामले पर राहुल ने गुजरात हाई कोर्ट में भी अपील की थी, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली।