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    राज्यसभा में दिल्ली सेवा विधेयक बहुमत से पारित, जानिए पक्ष में कितने पड़े वोट
    दिल्ली सेवा विधेयक राज्यसभा में भी बहुमत के साथ पारित हो गया है

    राज्यसभा में दिल्ली सेवा विधेयक बहुमत से पारित, जानिए पक्ष में कितने पड़े वोट

    लेखन नवीन
    Aug 07, 2023
    10:07 pm

    क्या है खबर?

    दिल्ली सेवा विधेयक सोमवार को राज्यसभा में भी पारित हो गया। सदन में विपक्षी गठबंधन INDIA के विरोध के बावजदू बहुमत के आधार पर केंद्र सरकार ने आसानी से विधेयक को पारित करवा लिया।

    आज राज्यसभा में केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक को सदन के पटल पर रखा था। इस विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी नेताओं ने इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया।

    आइए जानते हैं कि विधेयक को लेकर किसने क्या कहा।

    अमित शाह

    गृह मंत्री शाह बोले- विधेयक कोर्ट के फैसले का उल्लंघन नहीं करता है

    केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने राज्यसभा में कहा, "विधेयक किसी भी तरह से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन नहीं करता है। विधेयक का उद्देश्य दिल्ली में प्रभावी भ्रष्टाचार मुक्त शासन करना है क्योंकि यह एक केंद्र शासित प्रदेश है।"

    उन्होंने कहा, "मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि दिल्ली सेवा विधेयक का कोई भी प्रावधान कांग्रेस शासन के विधेयक से अलग नहीं है। कोई बदलाव नहीं किया गया है।"

    उनका दावा है सबसे पहले कांग्रेस यह विधेयक लेकर आई थी।

    कितने वोट

    दिल्ली सेवा विधेयक के पक्ष में राज्यसभा में कितने वोट पड़े?

    भाजपा को राज्यसभा में इस विधेयक को आसानी से पास करवा लिया। राज्यसभा की वर्तमान सदस्यों की संख्या 237 है और विधेयक पास कराने के लिए बहुमत का आंकड़ा 119 चाहिए था।

    भाजपा और उसके सहयोगियों के पास 105 सदस्य हैं। उसके सहयोगी पार्टियों ने बीजू जनता दल (BJD) और YSR कांग्रेस ने भी विधेयक का समर्थन किया।

    इस विधेयक के समर्थन में 131 वोट पड़े हैं, वहीं इसके विरोध में 102 वोट पड़े।

    क्या

    कांग्रेस सासंद सिंघवी बोले- विधेयक संघीय ढांचे के खिलाफ 

    इससे पहले राज्यसभा में विधेयक पेश होने के बाद कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने सदन में इस पर चर्चा की शुरुआत की।

    उन्होंने कहा, "यह विधेयक संघीय ढांचे के खिलाफ है। विधेयक में सारे अधिकार दिल्ली सरकार से छीनकर गृह मंत्रालय को दे दिए हैं।"

    उन्होंने कहा, "विधेयक मकसद डर पैदा करना है। जो लोग इसका समर्थन कर रहे हैं या समर्थन करने की घोषणा कर चुके हैं, उन्हें यह सोचना चाहिए कि सबका नंबर आ सकता है।"

    बयान

    AAP सांसद चड्ढा बोले- यह विधेयक राजनीतिक धोखा है  

    राज्यसभा में विधेयक का विरोध करते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद राघव चड्ढा ने कहा, "यह विधेयक एक राजनीतिक धोखा है। भाजपा ने 1989, 1999 और 2013 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा किया था। आज भी भाजपा के पास मौका है, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दीजिए।"

    उन्होंने कहा, "लालकृष्ण आडवाणी संसद में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए विधेयक लेकर आए थे।"

    बयान

    AAP सांसद बोले- नेहरूवादी नहीं, आप आडवाणीवादी बनिए 

    AAP सासंद चड्ढा ने कहा, "गृह मंत्री शाह ने कहा कि नेहरू जी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के विरोध में थे। आप नेहरूवादी मत बनिए, आप तो बस आडवाणीवादी बनिए। जिन्होंने कि खुद दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाए जाने की मांग उठाई थी।"

    उन्होंने कहा, "अटल जी, आडवाणी जी और सुषमा स्वराज ने दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने के लिए संघर्ष किया था। आप यह विधेयक लाकर उनके संघर्ष का अपमान कर रहे हो।"

    संजय राउत

    शिवसेना सांसद राउत बोले- यह विधेयक देश के संघीय ढांचे पर सीधा हमला 

    शिवसेना उद्धव ठाकरे के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा, "सदन में इस विधेयक के समर्थन में जो भी वोट करेंगे, वो भारत माता से साथ बेईमानी करेंगे, INDIA के साथ बेईमानी करेंगे।"

    उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार का यह विधेयक देश संघीय ढांचे पर सीधा हमला और लोकतंत्र की हत्या है। यह विधेयक लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई दिल्ली सरकार पर थोपा गया है और हम इस खतरनाक विधेयक का विरोध करते हैं।"

    मामला

    क्या है दिल्ली विधेयक का मामला? 

    दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को जारी अपने एक आदेश में कहा था कि अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर केंद्र नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार का अधिकार है।

    इसके बाद केंद्र ने 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश जारी किया था और ये अधिकार उपराज्यपाल (LG) को दे दिए थे।

    इस अध्यादेश को केंद्र ने विधेयक के रूप में लोकसभा के बाद राज्यसभा में पारित करवा दिया, जिसके बाद अब यह कानून बन गया है।

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