
19 जुलाई से शुरू होकर 13 अगस्त तक चलेगा संसद का मानसून सत्र
क्या है खबर?
संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू होगा और 13 अगस्त तक चलेगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज इन तारीकों का ऐलान किया।
सत्र में कुल 19 दिन काम होगा और हर रोज दोनों सदनों का कामकाज सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक चलेगा।
कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए बचाव के सभी उपाय किए जाएंगे और सांसदों में सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करने के लिए इंतजाम किए जाएंगे।
नियम
वैक्सीन नहीं लगवाने वाले सांसदों के होंगे टेस्ट
बिरला ने कहा कि सभी सांसदों और मीडिया को कोविड-19 के नियमों के तहत ही संसद में प्रवेश दिया जाएगा। उन्होंने कहा, "RT-PCR टेस्ट अनिवार्य नहीं होगा। हम जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाई है, उनसे टेस्ट करवाने का अनुरोध करेंगे।"
जिन सांसदों ने वैक्सीन नहीं लगवाई है, उन सांसदों को हर दो हफ्ते पर टेस्ट कराना होगा। संसद में घुसने वाले हर एक शख्स को इस नियम का पालन करना होगा।
आंकड़े
लोकसभा के 444 और राज्यसभा के 218 सांसद लगवा चुके हैं वैक्सीन
बता दें कि अभी तक लोकसभा के 444 सदस्य और राज्यसभा के 218 सदस्य कोरोना वायरस की वैक्सीन लगवा चुके हैं। 323 सांसद दोनों खुराकें लगवा चुके हैं। कुछ सांसद कोरोना से संक्रमित होने के कारण अपनी दूसरी खुराक नहीं लगवा पाए हैं।
वहीं एक शीर्ष अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि लगभग 30 सांसदों ने अपने वैक्सीनेशन के बारे में कोई सूचना नहीं दी है और उनसे संपर्क करने की कोशिश की जा रही है।
महामारी का असर
महामारी के बाद समय से पहले खत्म हुआ है संसद का हर सत्र
गौरतलब है कि मार्च, 2020 में कोरोना वायरस महामारी की शुरूआत के बाद से संसद का हर सत्र प्रभावित हुआ है और इन्हें समय से पहले खत्म करना पड़ा है।
2020 का शीतकालीन सत्र तो महामारी के कारण पूरी तरह से रद्द हो गया था। इसके बाद भी हर सत्र को समय से पहले खत्म किया गया।
अब अधिकांश सांसदों को वैक्सीन लगने के कारण लंबे सत्र होने की संभावना बढ़ गई है।
कैबिनेट विस्तार
कैबिनेट के विस्तार के बाद पहला सत्र
ये मोदी सरकार की कैबिनेट के विस्तार के बाद संसद का पहला सत्र होगा। पिछले हफ्ते हुए इस विस्तार में 15 कैबिनेट मंत्रियों से 43 नेताओं ने शपथ ली थी। इसमें सात नेता ऐसे रहे जिनके मंत्रालय में फेरबदल की गई है, वहीं 36 नए चेहरे हैं।
इस विस्तार से पहले 12 मंत्रियों ने अपना इस्तीफा दिया था और इनमें कानून मंत्रालय संभाल रहे रविशंकर प्रसाद और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर जैसे बड़े नाम भी शामिल थे।