क्या राहुल गांधी को लोकसभा से निलंबित किया जा सकता है? जानिए क्या हैं नियम
लंदन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के 'लोकतंत्र पर क्रूर हमले' वाले बयान को लेकर इन दिनों संसद में घमासान मचा हुआ है। केंद्रीय मंत्रियों सहित भाजपा नेताओं ने राहुल से माफी की मांग करते हुए जोर देकर कहा कि वह 'संसद से ऊपर नहीं' हैं। राहुल के माफी न मांगने पर उन्हें लोकसभा से निलंबित करने की मांग हो रही है। आइये जानते हैं कि क्या पहले ऐसी कोई कार्रवाई हुई है या कोई ऐसा प्रावधान है।
भाजपा नेताओं ने राहुल पर क्या आरोप लगाए हैं?
भाजपा नेताओं का आरोप है कि राहुल ने विदेश जाकर भारत के बारे में 'झूठ' बोला है, जो भारत की संसदीय परंपराओं का अपमान है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि राहुल के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की पहल भी की जा सकती है। भाजपा ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से एक विशेषाधिकार समिति बनाने की मांग की है। उसका कहना है कि यह सिर्फ विशेषाधिकार का मुद्दा नहीं है, यह उससे बहुत आगे की बात है।
क्या कहते हैं नियम?
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने विशेषाधिकार समिति के समक्ष तर्क दिया कि राहुल ने राष्ट्रपति के अभिभाषण प्रस्ताव पर अपने बयान के दौरान तीन विशेषाधिकारों का उल्लंघन किया है। दुबे ने राहुल पर लोकसभा अध्यक्ष को सूचित किए बिना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिप्पणी कर नियम 352 को तोड़ने का आरोप लगाया है, जबकि नियम 352 (2) के तहत एक सांसद केवल पूर्व सूचना और अध्यक्ष की अनुमति से किसी अन्य सांसद के बारे में टिप्पणी कर सकता है।
राहुल गांधी ने क्या कहा था?
राहुल का आरोप है कि उनके संसद में गौतम अडाणी पर दिए गए भाषण के बाद ही यह पूरा विवाद शुरू हुआ है, जिससे सरकार और प्रधानमंत्री डरे हुए हैं। उन्होंने कहा, "सवाल यह है कि मोदी जी और अडाणी जी के बीच क्या संबंध है। जब मैं संसद के अंदर बोलूंगा तो भाजपा को यह पंसद नहीं आएगा। अगर मुझे संसद के अंदर बोलने की अनुमति नहीं दी गई तो मैं संसद के बाहर बोलूंगा।"
भाजपा सांसद ने विशेषाधिकार समिति से और क्या कहा?
भाजपा सांसद दुबे ने तर्क दिया 1976 में सुब्रमण्यम स्वामी को भी राज्यसभा से निलंबित किया गया था। उस दौरान समिति ने अपनी जांच में पाया था कि स्वामी विदेशों में जाकर भारत विरोधी प्रचार में लगे हैं। दुबे ने कहा कि जब संसद के रिकॉर्ड से राहुल के बयान को हटा दिया गया था, तो उन्होंने अन्य सोशल मीडिया माध्यमों में अपने भाषण के अंश डालकर लोकसभा अध्यक्ष के अधिकार और विवेक को भी खतरे में डाल दिया है।
1976 में सुब्रमण्यम स्वामी के खिलाफ क्यों हुई थी कार्रवाई?
1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था। इस बीच फरवरी, 1976 में राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अमेरिका और कनाडा की यात्रा के दौरान भारत में घोषित आपातकाल के खिलाफ विदेशों में दुष्प्रचार किया था। उस वक्त विशेषाधिकार के उल्लंघन मामले में उन्हें दोषी पाते हुए राज्यसभा से निलंबित किया गया था। विदेशों में स्वामी में अखबारों ने दिये इंटरव्यू में कहा था कि इंदिरा उन्हें मरवा भी सकती है।
क्या राहुल पर हो सकती है राजद्रोह की कार्रवाई?
कानून मंत्री रिजजू ने कहा, "राहुल ने लंदन में झूठ बोला। वहां उनके बयान संसदीय विशेषाधिकारों के उल्लंघन से परे हैं। उन्होंने देश का अपमान किया है और भारत विरोधी ताकतों को प्रोपेगेंडा फैलना का मौका दिया है।" राहुल के खिलाफ देशद्रोह का आपराधिक मामला दर्ज जाने की बात पर कानून मंत्री ने कहा कि सभी विकल्पों के बारे में बात की जानी चाहिए और यह बहुत गंभीर मामला है।
भारतीय दंड संहिता में क्या है देशद्रोह?
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A में राजद्रोह या देशद्रोह का उल्लेख है, जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति बोलकर या लिखकर या इशारों से या फिर चिह्नों के जरिए या किसी और तरीके से घृणा या अवमानना या उत्तेजित करने की कोशिश करता है या असंतोष को भड़काने का प्रयास करता है तो वो देशद्रोह है। यह एक गैर-जमानती अपराध है और इसमें दोषी पाए जाने पर 3 साल की कैद से लेकर आजीवन सजा का प्रावधान है।