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    राष्ट्रपति चुनाव में क्यों नहीं होता EVM का इस्तेमाल?

    राष्ट्रपति चुनाव में क्यों नहीं होता EVM का इस्तेमाल?
    लेखन प्रमोद कुमार
    Jul 18, 2022, 12:05 pm 1 मिनट में पढ़ें
    राष्ट्रपति चुनाव में क्यों नहीं होता EVM का इस्तेमाल?
    राष्ट्रपति चुनाव में क्यों नहीं होता EVM का इस्तेमाल?

    राष्ट्रपति चुनाव के लिए आज संसद और राज्यों की विधानसभाओं में मतदान जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपना वोट डाल दिया है। इनकी तस्वीरों में इन्हें बैलेट बॉक्स में वोट डालते हुए देखा जा सकता है। आपने कभी सोचा है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में इस्तेमाल होने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का राष्ट्रपति चुनाव में इस्तेमाल क्यों नहीं होता? आइये इसका जवाब जानते हैं।

    किस तकनीक पर काम करती है EVM?

    EVM एक ऐसी तकनीक पर काम करती है, जो लोकसभा और विधानसभा के प्रत्यक्ष चुनावों में वोट इकट्ठा करती है, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में मतदान की प्रक्रिया अलग होती है। भारत में राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचन मंडल (इलेक्टोरल कॉलेज) के जरिए होता है। इसके सदस्यों का प्रतिनिधित्व आनुपातिक होता है और उनका सिंगल वोट ट्रांसफर होता है। साथ ही उनकी दूसरी पसंद की भी गिनती होती है। यानी हर सांसद और विधायक अपनी-अपनी पसंद भी बता सकते हैं।

    मौजूदा तकनीक की EVM में पसंद बताना संभव नहीं

    इसे उदाहरण के जरिये समझना चाहें तो ऐसे समझ सकते हैं कि एक मतदाता पसंद के हिसाब से उम्मीदवारों को अलग-अलग नंबरों पर रख सकता है। बैलेट पेपर के कॉलम नंबर 2 में अपनी पसंद बताने के लिए जगह दी गई होती है। इस पूरे काम के लिए बैलेट पेपर की जरूरत होती है, जहां सांसद और विधायक अपनी पसंद लिख सकते हैं, लेकिन EVM में यह संभव नहीं है।

    अलग EVM की पड़ेगी जरूरत

    अधिकारियों ने बताया कि EVM मौजूदा तकनीक से कुल वोट एकत्रित करती है और सबसे ज्यादा वोट पाने वाले उम्मीदवार को विजयी घोषित कर देती है, लेकिन आनुपातिक प्रतिनिधित्व के मामले में मशीन को पसंद के आधार पर वोटों की गणना करती है, जिसके लिए अलग तकनीक की जरूरत होगी। इसका मतलब यह है कि अलग EVM की जरूरत पड़ेगी। बता दें कि 2004 के बाद चार लोकसभा और 127 विधानसभा चुनावों में EVM का इस्तेमाल हो चुका है।

    राष्ट्रपति चुनाव में कौन करता है मतदान?

    राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य वोट डालते हैं। इन सभी के वोट का मूल्य अलग-अलग होता है। यहां तक कि अलग-अलग राज्य के विधायकों के वोट का मूल्य भी अलग होता है। एक सांसद के वोट का मूल्य 708 होता है। वहीं, विधायकों के वोट का मूल्य उस राज्य की आबादी (1971 की जनगणना के आधार पर) और सीटों की संख्या पर निर्भर होता है। ऐसे में सभी राज्यों के विधायकों के वोट का मूल्य अलग-अलग होता है।

    कैसे निकाला जाता है विधायक के वोट का मूल्य?

    विधायक के वोट का मूल्य निकालने के लिए संबंधित राज्य की कुल विधानसभा सीटों को 1,000 से गुणा करके गुणनफल का राज्य की कुल आबादी में भाग दिया जाता है। जैसे, उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों को 1,000 से गुणा करने पर 4,03,000 गुणनफल आता है। इसका राज्य की 1971 की आबादी 8,38,49,905 में भाग देने पर एक विधायक के वोट का मूल्य 208.06 आता है। दशमलव में वोट का मूल्य न होने पर इसे 208 किया जाएगा।

    राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने की प्रक्रिया क्या है?

    राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने की प्रक्रिया भी आम चुनाव से अलग होती है। इसमें मतदाताओं को चुनाव आयोग की ओर से एक विशेष पेन दिया जाता है। उसी पेन से उम्मीदवारों के आगे वोटर को नंबर लिखने होते हैं। सबसे पसंदीदा उम्मीदवार के नाम के आगे एक लिखना होता है। इसी तरह दूसरी पसंद वाले उम्मीदवार के आगे दो लिखना होता है। आयोग द्वारा दिए गए पैन का इस्तेमाल नहीं करने पर वोट को अमान्य घोषित किया जाता है।

    कैसे होती है मतगणना?

    इस बार राष्ट्रपति चुनाव में सभी विधायकों के वोटों का मूल्य 5,43,231 और सांसदों के वोटों का मूल्य 5,43,200 होगा। चुनाव में अधिक वोट हासिल करने वाले की जगह निर्धारित कोटे से अधिक वोट हासिल करने वाले की जीत होती है। गणना में सभी वैध वोटों का मूल्य निकाला जाता है। उसे दो से विभाजित करके भागफल में एक जोड़कर कोटा निर्धारित किया जाता है। कोटे से सबसे कम वोट प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को हटा दिया जाता है।

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