सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं राज्य और केंद्र सरकार से संबंधित करीब 35,000 मामले- कानून मंत्री
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट में 2017 से केंद्र और राज्य सरकारों से संबंधित करीब 35,000 मामले लंबित हैं। गुरुवार को एक लिखित प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि देश की शीर्ष अदालत में केंद्र सरकार के 1,807 मामले लंबित हैं, जबकि 6,104 मामलों में केंद्र प्रतिवादी है।
कानून मंत्री ने जजों और न्यायिक अधिकारियों की कमी, मामलों की जटिलताओं आदि कारकों को मामले लंबित रहने की वजह बताया है।
जानकारी
रिजीजू से किया गया था यह सवाल
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) सांसद बिनॉय विस्वम ने सवाल किया था कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि केंद्र और राज्य सरकारों के खिलाफ मामलों में पिछले कुछ सालों में कई गुना वृद्धि हुई है।
इसके जवाब में रिजीजू ने कहा कि उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार अलग-अलग अदालतों में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा या उनके खिलाफ मामलों में औसतन वृद्धि तो हुई है, लेकिन मामले कई गुना नहीं बढ़े हैं।
सुप्रीम कोर्ट
राज्य सरकारों से जुड़े इतने मामले लंबित
सुप्रीम कोर्ट में 2017 से कुल लंबित 34,974 मामलों में से 6,426 में राज्य सरकारें याचिकाकर्ता और 20,637 मामलों में प्रतिवादी हैं। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रखने के लिए 823 वकील कार्यरत हैं।
रिजीजू ने बताया कि लंबित मामलों का निस्तारण न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार में है और अदालतों की तरफ से इनके निस्तारण के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गई है। मामलों के निस्तारण में सरकार की कोई भूमिका नहीं है।
लंबित मामले
कुल 4.70 करोड़ मामले लंबित
सरकार की तरफ से संसद को जानकारी दी गई कि देश की अलग-अलग अदालतों में 4.7 करोड़ से अधिक मामले लंबित है।
2 मार्च तक इनमें से 70,154 मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित थे। वहीं 21 मार्च तक देश के 25 हाई कोर्ट्स में 58.94 लाख मामले ऐसे थे, जिनमें फैसला आना बाकी है।
रिजीजू ने यह भी बताया कि पूर्व न्यायधीशों और अधिकारियों को संसद और विधान मंडलों में प्रवेश से रोकने की कोई योजना नहीं है।
जानकारी
सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित हैं 4,984 मामले
देश की विभिन्न अदालतों में सांसदों और विधायकों के खिलाफ 4,984 मामले लंबित हैं।
फरवरी में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक रिपोर्ट में बताया गया था कि रिपोर्ट में कई निर्देशों और निरंतर निगरानी के बावजूद 1 दिसंबर, 2021 तक देश की विभिन्न अदालतों में सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के खिलाफ कुल 4,984 मामले लंबित थे और इनमें से 1,899 मामले पांच वर्ष से अधिक पुराने हैं।
कुछ राज्यों ने इनके लिए विशेष अदालतें गठित की है।