दिल्ली हाई कोर्ट ने MCD की स्थायी समिति का चुनाव दोबारा कराने पर लगाई रोक
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD) की स्थायी समिति के 6 सदस्यों के दोबारा चुनाव करवाने पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने भाजपा के पार्षदों की याचिका पर दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) विनय कुमार सक्सेना और मेयर शैली ओबरॉय को नोटिस जारी किया है। शुक्रवार को स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव के दौरान भाजपा और आम आदमी पार्टी (AAP) पार्षदों के बीच हंगामा हुआ था, जिसके बाद मतदान को रद्द कर दिया गया था।
हाई कोर्ट ने क्या कहा?
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि नियमों में यह कहीं भी परिभाषित नहीं है कि मेयर स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव को अमान्य घोषित कर सकता है। हाई कोर्ट ने मेयर से स्थायी समिति के चुनाव से संबंधित मतपत्र, CCTV फुटेज और अन्य जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए भी कहा है। भाजपा पार्षदों शिखा रॉय और कमलजीत सहरावत ने चुनाव के दौरान 1 वोट को अमान्य घोषित किए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
चुनाव के दौरान क्यों हुआ था झगड़ा?
MCD के सदन में स्थायी समिति के 6 सदस्यों के चुनाव के लिए शुक्रवार को मतदान हुआ था। मतगणना के दौरान मेयर शैली ओबरॉय ने भाजपा की तरफ से पड़े एक वोट को अमान्य करार दे दिया। यह एक वोट बेहद महत्वपूर्ण था और इसके निरस्त होने पर AAP का चौथा प्रत्याशी जीत जाता। इसी कारण भाजपा और AAP के पार्षद मुद्दे पर एक-दूसरे से भिड़ गए और उनके बीच जमकर लात-घूंसे चले।
AAP और भाजपा के बीच छिड़ा पोस्टर वॉर
स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव को लेकर भाजपा और AAP के बीच पोस्टर वॉर छिड़ गया है। दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे के खिलाफ पोस्टर जारी कर निशाना साधा है। भाजपा ने आतिशी और अन्य AAP नेताओं की तस्वीर के साथ पोस्टर जारी कर लिखा, 'सदन में मारपीट और तानाशाही करवाने वाली AAP की खलनायिका।' वहीं AAP ने पलटवार करते हुए लिखा, 'भाजपा वाले जो इतना मचा रहे शोर हैं, ये ही लोकतंत्र के हत्यारे और बैलेट चोर हैं।'
बेहद शक्तिशाली होती है स्थायी समिति
स्थायी समिति को लेकर AAP और भाजपा के बीच इस झगड़े का कारण इसका बेहद शक्तिशाली होना है। MCD में स्थायी समिति को सबसे शक्तिशाली माना जाता है और इसी के पास लगभग सभी प्रशासनिक और आर्थिक शक्तियां होती हैं। सदन में पेश होने वाला हर प्रस्ताव इस समिति से होकर जाता है। ऐसे में जो भी पार्टी स्थायी समिति में बहुमत पा लेगी, उसका पलड़ा भारी रहेगा और AAP के पास मेयर पद रहने का खास असर नहीं पड़ेगा।