CJI की टिप्पणी के बाद बोले कानून मंत्री- भारत जितनी स्वतंत्र न्यायपालिका कहीं नहीं
केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरण रिजीजू ने शनिवार को कहा कि भारत जितनी स्वतंत्र न्यायपालिका दुनिया में कहीं नहीं है। उनका यह बयान भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना की उस टिप्पणी के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कई मामलों में मीडिया ट्रायल पर तल्ख बातें कही थीं। रिजीजू ने कहा कि भारतीय जज और न्यायपालिका पूरी तरह सुरक्षित है। यह भरोसे के साथ कहा जा सकता है कि भारत की न्यायपालिका दुनिया में सबसे स्वतंत्र है।
CJI के बयान पर नहीं की टिप्पणी
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया द्वारा मीडिया ट्रायल पर CJI की टिप्पणी भारत और दुनिया में मौजूद स्थितियों पर उनका अवलोकन है। अगर किसी को ऐसा लगता है तो सार्वजनिक तौर पर इस पर बात की जा सकती है। रिजीजू ने आगे कहा, "उन्होंने जो कहा, उस पर मैं अभी टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा।" बता दें कि CJI ने शनिवार को रांची में एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया ट्रायल पर टिप्पणी की थी।
CJI बोले- मीडिया चला रहा कंगारू कोर्ट
CJI ने अपने संबोधन में कहा कि मीडिया कंगारू कोर्ट चला रहा है। इस कारण कई बार अनुभवी जजों के लिए भी सही और गलत का फैसला मुश्किल हो जाता है। सोशल मीडिया और टीवी मीडिया में चल रहे कंगारू कोर्ट देश को पीछे की तरफ ले जा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि सोशल मीडिया पर जजों के खिलाफ अभियान चलाए जा रहे हैं। जज उस पर तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दे सकते, लेकिन इसे कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए।
लोकतंत्र को कमजोर कर रहे मीडिया के पक्षपातपूर्ण विचार- CJI
अपने संबोधन के दौरान CJI रमन्ना ने कहा कि गलत जानकारी और एजेंडे से चलने वाली बहस लोकतंत्र के लिए हानिकारक होती है। मीडिया द्वारा फैलाए जा रहे पक्षपातपूर्ण विचार लोकतंत्र को कमजोर कर और सिस्टम को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस प्रक्रिया में न्याय देने का काम बुरी तरह प्रभावित होता है। उन्होंने आगे कहा कि मीडिया अपनी जिम्मेदारी से भागकर लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जा रहा है।
जजों की सुरक्षा को लेकर भी की टिप्पणी
CJI रमन्ना ने कहा कि मजबूत लोकतंत्र के लिए न्यायपालिका का मजबूत और जजों का सशक्त होना जरूरी है। इन दिनों जजों पर हमले बढ़ रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि नेताओं, नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों और दूसरे जन प्रतिनिधियों को रिटायरमेंट के बाद भी उनके काम की संवेदनशीलता को देखते हुए सुरक्षा मिलती है, लेकिन दुखद है कि जजों के लिए ऐसी सुरक्षा की व्यवस्था नहीं है। जज और आरोपी एक ही समाज का हिस्सा हैं।