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    संसद में बैन हुए शब्दों का इस्तेमाल करने पर क्या होता है?
    असंसदीय शब्दों के इस्तेमाल करने पर क्या होता है और इसका इतिहास क्या है?

    संसद में बैन हुए शब्दों का इस्तेमाल करने पर क्या होता है?

    लेखन प्रमोद कुमार
    Jul 14, 2022
    04:41 pm

    क्या है खबर?

    गुरुवार को लोकसभा सचिवालय ने ऐसे शब्दों की नई सूची जारी की है, जिनका सदन में इस्तेमाल असंसदीय माना जाएगा।

    इन शब्दों में जुमलाजीवी, बाल बुद्धी, कोविड स्प्रेडर, स्नूपगेट (जासूसी कांड), शकुनी, जयचंद, लॉलीपॉप, चांडाल चौकड़ी, गुल खिलाए और पिट्ठू आदि शामिल हैं। इसे लेकर खूब हल्ला मचा हुआ है।

    आइये जानते हैं कि अगर कोई सांसद असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल कर लेता है तो क्या होता है और यह परंपरा कब से चली आ रही है।

    नियम

    असंसदीय शब्दों के इस्तेमाल पर क्या होता है?

    अगर कोई सांसद किसी भी सदन में असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल करता है तो उसे कार्यवाही से हटा दिया जाता है।

    नियमों के मुताबिक, अगर लोकसभा के स्पीकर या राज्यसभा के सभापति को लगता है कि किसी सांसद द्वारा इस्तेमाल किए शब्द अपमानजनक, अंससदीय और अशोभनीय है तो वह इसे सदन की कार्यवाही से हटाने का आदेश दे सकता है।

    इसका मतलब है कि इन शब्दों को लिखित रिकॉर्ड में नहीं रखा जाएगा।

    नियम

    सांसदों के खिलाफ नहीं हो सकता मुकदमा

    हालांकि, इन शब्दों के इस्तेमाल पर किसी भी सांसद के खिलाफ अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया जा सकता। संविधान के अनुच्छेद 105(2) में कहा गया है कि किसी भी सांसद के खिलाफ संसद में बोले गए शब्द या उसके द्वारा दिए गए मत के खिलाफ अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया जा सकता।

    फिर भी असंसदीय शब्दों की सूची दिखाती है कि सांसदों के पास सदन में भी अभिव्यक्ति की आजादी की पूर्ण स्वतंत्रता नहीं है।

    इतिहास

    कब से चल रही है परंपरा?

    भारतीय संसद के कई नियम ब्रिटिश संसद से लिए गए हैं, जहां कार्यवाही से शब्दों को निकालने की परंपरा 1604 से ही चली आ रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 1604 में पहली बार किसी बात के लिए सदन में कार्रवाई की गई थी।

    कई ब्रिटिश इतिहासकारों का मानना है कि इससे पहले भी ऐसी कार्रवाई हुई होगी, लेकिन 1604 में पहली बार इसे किसी जर्नल में दर्ज किया गया था।

    नियम

    दूसरे देशों में भी ऐसे नियम

    केवल भारत और ब्रिटेन में ही कुछ शब्दों को असंसदीय बताकर कार्यवाही से निकालने का नियम नहीं है। दुनिया के दूसरे देशों में भी ऐसे उदाहरण मिलते हैं।

    एक ऐसा उदाहरण ऑस्ट्रेलिया का है, जहां 1997 में सीनेट ने 'लायर' और 'डंबो' शब्द को कार्यवाही से हटाकर इससे असंसदीय करार दिया था।

    न्यूजीलैंड में कम्युनिस्टों के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द 'कोमो' को असंसदीय माना जाता है। कनाडा में इन शब्दों की सूची और भी लंबी है।

    ताजा मामला

    भारत में इन शब्दों पर लगा प्रतिबंध

    असंसदीय शब्द 2021 सूची में जिन शब्दों पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें जुमलाजीवी, बाल बुद्धी, कोविड स्प्रेडर, स्नूपगेट (जासूसी कांड), शकुनी, जयचंद, लॉलीपॉप, चांडाल चौकड़ी, गुल खिलाए और पिट्ठू आदि शामिल हैं।

    इसके अलावा बहरी सरकार, दोहरा चरित्र, दलाल, दादागिरी, दंगा, तानाशाह, तानाशाही, विनाश पुरुष, खालिस्तानी और खून की खेती आदि शब्दों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।

    शर्मिंदा, भ्रष्ट, निकम्मा, नौटंकी, ढिंढोरा पीटना, धोखा देना और अक्षम जैसे आम बोलचाल के शब्दों के उपयोग पर भी प्रतिबंध रहेगा।

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