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गुलजार के जीवन से जुड़ी रोचक बातें, जिनके बारे में नहीं जानते होंगे आप
गुलजार के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें

गुलजार के जीवन से जुड़ी रोचक बातें, जिनके बारे में नहीं जानते होंगे आप

लेखन सयाली
Aug 18, 2025
11:50 am

क्या है खबर?

गुलजार भारतीय सिनेमा का वह नाम है, जो किसी परिचय का मोहताज नहीं। उन्होंने बतौर गीतकार हिंदी सिनेमा में अपना नाम इतना बुलंद कर लिया कि हर पीढ़ी उनकी प्रतिभा से वाकिफ है। 1963 में 'बंदिनी' फिल्म से उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक खूबसूरत गीत लिखे, जो आज भी लोगों के दिलो-दिमाग में बसे हैं। 18 अगस्त को गुलजार 91 साल के हो गए। आइए उनके जीवन की अनसुनी बातें जानते हैं।

जीवन

विभाजन के बाद दिल्ली में बस गए थे गुलजार

गुलजार का असली नाम संपूर्ण सिंह कालरा है, जो 18 अगस्त, 1936 को पाकिस्तान के दीना में जन्मे थे। विभाजन के दौरान वह अपने पिता के साथ दिल्ली आ गए थे। रोजी-रोटी की तलाश में गुलजार ने कुछ सालों बाद मुंबई का रुख किया, जहां उन्हें एक गैरेज में गाड़ियां ठीक करने का काम मिला। उनका दिल तो गीत लिखने में ही लगता था, जिसके चलते उन्होंने अपनी असली पहचान छिपाते हुए 'गुलजार' उपनाम से कविताएं लिखना शुरू किया था।

लेखन

पिता के डर से बदलना पड़ा था नाम

आज बच्चा-बच्चा गुलजार का नाम जानता है, लेकिन एक समय था जब उन्हें अपनी पहचान छिपानी पड़ी थी। उनके पिता और भाई को उनकी लेखनी पसंद नहीं आती थी। इसके चलते ही उन्होंने अपनी रचनाएं गुलजार दीनवी नाम से प्रकाशित कीं, ताकि पिता को इसकी भनक न लग सके। उन्होंने मुंबई जाने से पहले राजधानी के स्टीफंस कॉलेज में दाखिला लिया था, जिसमें कला विभाग भी था। गुलजार घंटों बिताकर वहीं अपनी प्रतिभा को मांझने में जुटे रहते थे।

करियर

बिमल रॉय की फिल्म से रखा बॉलीवुड में कदम

संगीत निर्देशक एसडी बर्मन ने गुलजार की योग्यता को पहचाना, जिसके बाद बतौर गीतकार उनका सफर शुरू हुआ। बिमल रॉय की फिल्म बंदिनी में पहला गाना लिखने के बाद वह सफलता की सीढ़ी चढ़ गए। फिल्म के हिट होने के बाद बिमल ने उन्हें अपना पूर्णकालिक सहायक बना लिया। इसके बाद कई अन्य निर्माताओं ने भी अपनी फिल्मों में गुलजार के सदाबहार गीतों को शामिल किया। गुलजार ने गीतकार के रूप में सफलता हासिल करने के बाद निर्देशन भी आजमाया।

निर्देशन

एक सफल निर्देशक भी रहे हैं गुलजार

गुलजार के करियर में तब एक नया मोड़ आया, जब उन्होंने निर्देशक बनने का फैसला किया। 1971 में 'मेरे अपने' नामक फिल्म से उन्होंने निर्देशन जगत में कदम रखा। इसके बाद उन्होंने 'परिचय', 'कोशिश', 'आंधी' और 'मौसम' जैसी प्रसिद्ध फिल्मों का भी निर्देशन किया। इनके जरिए उन्हें कहानी कहने और चरित्र चित्रण करने की कला का प्रदर्शन करने का मौका मिल सका। मौसम फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था।

प्रेम

अधूरी रह गई थी गुलजार की प्रेम कहानी

अपने गीतों से सभी को प्यार का मतलब समझाने वाले गुलजार एक अदाकारा पर दिल हार बैठे थे। उन्हें राखी से प्यार हो गया था और 1973 में दोनों ने शादी कर ली थी। उस वक्त दोनों सफलता के शिखर पर थे, लेकिन गुलजार चाहते थे कि राखी फिल्म जगत को अलविदा कह दें। राखी ने उनकी शर्त मानी, लेकिन फिर भी दोनों के बीच खट्टास बढ़ती गई। बेटी के जन्म के एक साल बाद दोनों का तलाक हो गया।

पुरस्कार

कई पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं गुलजार

हिंदी सिनेमा में गुलजार को बेहद सम्मान के साथ देखा जाता है। उन्हें उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया जा चुका है। 'स्लमडॉग मिलियनेयर' के लिए उन्होंने 'जय हो' गाना लिखा था, जिसके लिए उन्हें दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित फिल्म पुरस्कार ऑस्कर दिया गया था। इसी गीत के लिए उन्हें 'ग्रैमी' भी मिला था, जो दुनिया में संगीत जगत का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है। उनकी कला के लिए उन्हें 8 राष्ट्रीय पुरस्कार दिए जा चुके हैं।